चीन ने खड़ी की भारत की मुसीबत, ब्रहमपुत्र की सहायक नदी का पानी रोका
बीजिंग, 01 अक्टूबर 2016 (IMNB). चीन ने अपनी सबसे महंगी पनबिजली
परियोजना के निर्माण के तहत तिब्बत में ब्रहमपुत्र की सहायक नदी का प्रवाह
रोक दिया है जिससे भारत में चिंता पैदा हो सकती है क्योंकि इससे नदी के
निचले बहाव वाले देशों में जल का प्रवाह प्रभावित होने की आशंका है।
चीन की
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने परियोजना के प्रशासनिक ब्यूरो के प्रमुख
क्षांग युन्बो के हवाले से कहा कि तिब्बत के शिगाजे में यारलुंग झांग्बो
(ब्रहमपुत्र का तिब्बती नाम) की सहायक नदी शियाबुकू पर बन रही लाल्हो
परियोजना में 4.95 अरब युआन 74 करोड़ डॉलर का निवेश किया गया है। शिगाजे को
शिगात्जे के नाम से भी जाना जाता है। यह सिक्किम से लगा हुआ है। ब्रहमपुत्र
शिगाजे से होकर अरूणाचल आती है। खबर के अनुसार इस सबसे महंगी परियोजना का
निर्माण कार्य जून 2014 में शुरू हुआ था। तय कार्यक्रम के अनुसार निर्माण
कार्य 2019 तक पूरा हो जाएगा।
खबर में कहा गया कि यह अभी साफ नहीं हुआ है कि नदी का प्रवाह रोकने का नदी के निचले बहाव वाले देशों जैसे भारत एवं बांग्लादेश में जल प्रवाह पर क्या असर होगा। पिछले साल चीन ने 1.5 अरब डॉलर की लागत वाले पनबिजली स्टेशन का संचालन शुरू कर दिया था जिसे लेकर भारत में चिंताएं उठी थीं। ब्रहमपुत्र नदी पर बना यह पनबिजली स्टेशन तिब्बत में सबसे बड़ा पनबिजली स्टेशन है।
लेकिन चीन कहता रहा है कि उसने भारत की चिंताओं पर ध्यान दिया है। उसने साथ ही जल प्रवाह रोकने की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि उसके बांध नदी परियोजनाओं के प्रवाह पर बने हैं जिन्हें जल रोकने के लिए नहीं बनाया गया है। चीन की 12वीं पंचवर्षीय योजना की रूपरेखा से संकेत मिले हैं कि तिब्बत में ब्रहमपुत्र नदी की मुख्यधारा पर तीन और पनबिजली परियोजनाओं के कार्यान्वयन की मंजूरी दी गयी है। ब्रहमपुत्र की सहायक नदी का प्रवाह ऐसे समय में रोका गया है जब भारत ने उरी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि से संबंधित वार्ता निलंबित करने का कथित फैसला किया है।