राष्ट्रपति भवन के पास गुफा बनाकर 40 साल से रहता है यह आदमी
नई दिल्ली, 13 दिसंबर 2016 (IMNB). राष्ट्रपति भवन के जंगल की दीवार
को एक संदिग्ध को कूदते देख आतंकी होने की आशंका से पीसीआर कॉल से सुरक्षा
एजेंसियों में हड़कंप मच गया। सूचना पर जंगल में सर्च ऑपरेशन करते हुए
सुरक्षाकर्मी जब एक मजार पर पहुंचे तो दंग रह गए। पुलिस एवं सुरक्षा
एजेंसियों को अब तक इस मजार के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी, जबकि यहां
पर अपने बेटे मोहम्मद नूर के साथ रह रहे 68 वर्षीय व्यक्ति गाजी नुरुल हसन
ने दावा किया कि वे 40 साल से यहीं रह रहे हैं।
चाणक्यपुरी थाना पुलिस ने
दोनों को हिरासत में लेकर कई घंटे तक गहन पूछताछ की और फिर कोई संदिग्ध
मामला नहीं होने पर दोनों को छोड़ दिया। दरअसल, शनिवार शाम को पुलिस
पैट्रोलिंग वैन जब राष्ट्रपति भवन के पीछे बीजी लाइन के पास से गुजर रही
थी, तो एक पुलिसकर्मी ने जंगल की दीवार कूदते हुए एक युवक को देखा।
पुलिसकर्मी को दीवार कूदने पर शक हुआ और उसने पीसीआर कॉल की कि दो संदिग्ध
व्यक्ति राष्ट्रपति भवन के जंगल में घुसे हैं, जोकि आतंकी हो सकते हैं।
राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा से जुड़ा मामला होने के कारण तत्काल सुरक्षा
एजेंसियों के साथ दिल्ली पुलिस टीम ने जंगल में छानबीन शुरू कर दी।
पुलिस को जंगल के अंदर मौजूद मजार के संबंध में पहले से कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस जब वहां पहुंची तो गुफानुमा कमरे में गाजी नुरुल हसन (68) और मोहम्मद नूर (22) मिले। मोहम्मद नूर को नुरुल ने अपना बेटा बताया। नुरुल ने बताया कि वह यहां 40 साल से रह रहा है और मजार से होने वाली कमाई से अपना पेट पालता है। उसने दावा किया कि उसके पास पासपोर्ट और मतदाता कार्ड के साथ ही बिजली कनेक्शन भी हैं। उसने बताया कि मजार में लोग आते हैं। पड़ताल में यह भी सामने आया कि नुरुल मजार की देखरेख करता था, लेकिन उसे आसपास के लोग नहीं जानते। उसने बताया कि जंगल में जड़ी-बूटी की तलाश के दौरान उसने इस मजार को ढूंढा था और फिर वहीं रहने लगा। इससे पहले वह ओखला में रहता था। उसने यह भी दावा किया कि पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के लिए धार्मिक उपदेश देता था। उधर, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि लुटियन्स दिल्ली इलाके में वीवीआइपी एलर्ट होने पर यह एक रुटीन अभ्यास था। पुलिस अधिकारियों ने माना कि जंगल के अंदर मौजूद मजार के संबंध में जानकारी नहीं थी।