नेपाल के रास्ते भारत को घेरने में जुटा चीन, भेज रहा बड़ा कंसाइनमेंट
बीजिंग 12 दिसम्बर 2016 (IMNB). चीन अब नेपाल के रास्ते भारत को
मात देने में जुटा है। अपनी इस रणनीति के तहत सबसे पहले उसने भारत और नेपाल
के बीच बेरोक-टोक हो रहे व्यापार पर लगाम लगाने की कवायद भी शुरू कर दी
है। इसके लिए उसने तिब्बत के रास्ते नई परिवहन सेवा शुरू की है। चीन की
सरकारी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक इसके जरिए चीन ने ट्रकों मेंं
लादकर करीब 28 लाख डॉलर का सामान तिब्बत के सीमाई शहर गिरॉन्ग से नेपाल की
राजधानी काठमांडो के लिए भेजा है।
इस परिवहन सेवा की शुरुआत शुक्रवार को
हुई थी। चीन की योजना नेपाल तक एक रणनीतिक रेलवे लिंक स्थापित करने की भी
है। यह रेल लिंक तिब्बत के गिरॉन्ग से शुरू होकर नेपाल तक जा सकता है। नेपाल
में प्रचंड द्वारा प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद ऐसा पहली बार है जब इस
हिमालयी देश को चीन से सामानों की खेप हासिल होगी। इसके पीछे नेपाल और चीन
के बीच हुआ करार है जो नेपाल के मौजूदा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और चीन
के बीच हुआ है। यह जगजाहिर है कि ओली का झुकाव भारत से कहीं ज्यादा चीन से
है और माना जा रहा है कि भारत से निर्भरता कम करने के लिए ही उन्होंने यह
करार भी किया है। हालांकि दुर्गम रास्तों की वजह से चीन से आनेे वाला यह
सामान नेपाल के लिए काफी महंगा साबित होगा।
शिन्हुआ के मुताबिक इस कदम से चीन, नेपाल के साथ अपना कारोबारी रिश्ते बढ़ाना चाहता है। वहीं चीन अपने बेल्ट ऐंड रोड (सिल्क रोड) मुहिम को आगे बढ़ा रहा है और नेपाल के साथ कारोबार इसी का एक हिस्सा है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस माल परिवहन सेवा के तहत एक मालगाड़ी चीन के ग्वांएडॉन्ग प्रांत की राजधानी ग्वांचू और तिब्बत के शिगेज के बीच 5,200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इस मालगाड़ी में जूते, कपड़े, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक्स और भवन निर्माण से संबंधित सामान है। इसके बाद आगे का 870 किलोमीटर का रास्ता ट्रकों से तय किया जायेगा। ट्रकों के जरिए इन सामानों को गिरॉन्ग से अंतिम पड़ाव काठमांडो तक पहुंचाया जाएगा।