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छत्तीसगढ़ - विवाहित महिला बीच बाज़ार से अचानक गायब, पुलिस जांच के नाम पर कर रही है खानापूर्ति

छत्तीसगढ़ 21 जनवरी 2017 (जावेद अख्तर). जिला राजनांदगांव पिछले कुछ समय से मानव तस्करी एवं बच्चों के अगवा होने के लिए प्रसिद्ध होता जा रहा है। विगत 5-6 वर्षों में जिले भर से काफी अधिक संख्या में लोग गायब हो चुके हैं जिनकी पतासाजी आज तक नहीं हो सकी। जब राजनांदगांव जिले में यह स्थिति है तो प्रदेश के अन्य जिलों मेें क्या हालात होंगे? यह विचारणीय तथ्‍य है।


जानकारी के अनुसार राजनांदगांव पूर्ण रुप से ट्राइबल बेल्ट है एवं महाराष्ट्र की सीमा रेखा के निकट है। पूर्व में भी मानव तस्करी से संबंधित कई मामले सामने आए हैं, बावजूद इसके जिले में कानून व्यवस्था लचर है और अफसरशाही हावी है। यह जिला छग सीएम डा रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह का क्षेत्र है, यहां से पहली बार एवं वर्तमान में सांसद हैं। पूर्व में मुख्यमंत्री का भी कार्यक्षेत्र रहा है। परंतु अत्यंत दुखद व शर्मनाक है कि पूर्व में प्रदेश मुखिया एवं वर्तमान में मुखिया पुत्र के कार्यक्षेत्र में कानून व्यवस्था नगण्य है एवं मानव तस्करी व बच्चों का अपहरण प्रदेश में सबसे अधिक राजनांदगांव जिले में हो रहा है। यह सरकारी आंकड़ा बता रहा है।

पुलिस आज भी कर रही महज़ खानापूर्ति - 
प्रशासनिक व्यवस्था इस कदर ढुलमुल है कि विगत 4 वर्षों मेें गायब या अपहरण हुए लोगों में से 93 फीसदी का आज तक अता-पता नहीं लगा सका है जिले का पुलिस महकमा। सभी जिम्मेदार उक्त मामले पर जवाब देने से बचते हैं, सरकार एवं मंंत्री होंठों को सिलकर बैठें हैं। ऐसे में जिले के निवासियों एवं छोटे बच्चों के परिजनों में भय व्याप्त है तथा स्कूल आने जाने वाले बच्चों के परिजन तो काफी डरे सहमे रहतें हैं क्योंकि विगत कई वर्षों से बच्चों के गायब होने की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। स्थानीय नेताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस पर चिंता व्यक्त करते हुए विधायक, सांसद एवं मुख्यमंत्री से मुलाकात कर, वहीं कलेक्टर, एसपी तथा संभागीय आईजी तक कई बार शिकायतें व गुहार लगाने के बावजूद भी हालात बिगड़ते जा रहें हैं।

पीड़ित परिजन मोहला मानपुर, जिला राजनांदगांव अपने पुत्र के गायब होने के लगभग 5 वर्ष बाद भी विधायक, सांसद एवं प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सिर्फ आश्वासन पर आश्वासन ही दिया जा रहा है,  जबकि इस दौरान दर्जन भर से भी अधिक लोग गायब हो गए, जिनकी कोई जानकारी या सूचना आज तक नहीं मिल सकी है। पुलिस थानों का चक्कर लगा लगाकर पीड़ित परिजन थक हार कर बैठ जातें हैं क्योंकि कहीं पर भी सुनवाई नहीं हुई, जिसके भी पास गए मात्र आश्वासन के कुछ नहीं मिला। बार बार थाने जाकर पूछने पर पदस्थ पुलिसकर्मियों द्वारा दुर्व्यवहार किया जाने लगा, वहीं प्रभारी ने भी यह कहकर भगा दिया कि हमारे पास सिर्फ एक यही काम नहीं है, जब कुछ पता चलेगा तो तुम्हें खबर कर दिया जाएगा, जब देखो तब मुंह उठाकर चले आते हो, तुम्हारे पास कोई काम-धाम नहीं है क्या। अब से बार बार थाने आकर पूछने की जरूरत नहीं है। अब तो उम्मीद भी खत्म हो गई है क्योंकि बेटे को गायब हुए पांच साल बीत चुकें हैं, इस दौरान और कई बच्चे भी अचानक ही गायब हो गए। सभी परिजन थानों का चक्कर ही काट रहें हैं। 

अपनी बड़ी बहन के साथ बाजार जाने निकली विवाहित महिला रहस्यमय तरीके से गायब हो गई है। परिजनों ने उसके अपहरण की आशंका जताई है। काबिले गौर है कि कुछ समय पहले ही राजनांदगांव जिले में भी इसी तरह का एक मामला सामने आया था जिसमें महिला की सक्रियता से आरोपी डॉक्टर पुलिस की गिरफ्त में आया था। इस घटना के बाद भी तोरवा पुलिस सबक नहीं ले रही है और गुमशुदगी का मामला दर्ज कर जांच कर रही है। कहने के लिए महिला सुरक्षा को लेकर कड़े कानून बने हैं लेकिन इसका पालन करने वाली पुलिस ही उदासीन बनी हुई है।

बीच बाजार से महिला गायब या फिर अपहरण? 
तोरवा थाना क्षेत्र निवासी महिला के पिता ने बताया कि वर्ष 2007 में उसकी शादी हुई थी एवं उसकी दो मासूम बच्चियां हैं। इस बीच उसके पति से विवाद हो गया और मामला कोर्ट में चल रहा है। इस बीच महिला अपने मायके में रहने लगी। बीते 26 दिसंबर को वह अपनी बड़ी बहन के साथ बुधवारी बाजार गई थी और वह बीच बाज़ार से अचानक ही गायब हो गई या गायब कर दी गई? फिलहाल अभी तक जानकारी नहीं मिली है। बहन ने घटना की जानकारी परिजनों को दी, परिजनों ने घटना की सूचना पुलिस को दी। लेकिन महिला के बालिग होने का हवाला देकर पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर औपचारिकता पूरी कर ली।

पुलिस आज भी उदासीन - 
इस बीच पुलिस ने महिला की पतासाजी करने की कोशिश नहीं की और न ही परिजनों के बताए अनुसार संदेही की जानकारी जुटाई। परिजनों का आरोप है कि हिर्री क्षेत्र के ग्राम झलफा निवासी वीरेंद्र बंजारे पिता पुनीत बंजारे उसे जबरिया अपने साथ ले गया है। उसे डरा-धमका कर जान से मारने की धमकी देकर अपने पास रखा है।

थाने का चक्कर काट रहे परिजन - 
इस घटना के बाद से पीड़ित परिजन लगातार थाने का चक्कर काट रहे हैं और पुलिस का काम भी कर रहे, मतलब इसके साथ ही परिजन अपने स्तर पर पतासाजी भी करते रहे।  वहीं पुलिस का रव्वैया शुरू से ही मामले में लापरवाही भरा रहा है। इसी बीच पीड़ित परिजनों ने संदेही युवक के भाई को तोरवा पुलिस के हवाले भी किया। उसने स्वीकार किया है कि महिला उनके घर में है। उसका कहना है कि उसके भाई ने उससे शादी की है। लेकिन परिजनों को उसकी बातों पर भरोसा नहीं हो रहा है।

22 दिन में हिर्री नहीं पहुंच सकी पुलिस -
पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज कर भूल गए। परिजनों के संदेह के आधार पर संदेही को पकड़कर पूछताछ करने तक की कोशिश पुलिस ने नहीं की। अगर मामले पर पुलिस गंभीर होती तो 22 दिन में हिर्री क्षेत्र के ग्राम झलफा जाकर संदेही युवक के साथ ही महिला का बयान दर्ज कर परिजनों को हकीकत बता सकती थी एवं मामले की वास्तविकता भी सामने ला सकती थी। प्रशिक्षु डीएसपी व थाना प्रभारी अमित पटेल का कहना है कि महिला के पति ने छोड़ दिया है और अब वह भागकर दूसरी शादी रचा ली है। फिर भी इस मामले में गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया है।

2 मासूम बच्ची को छोड़कर नहीं जा सकती महिला - 
परिजनों का कहना है कि महिला की दो मासूम बच्चियां हैं, अपनी मासूम बच्चियों के बिना वह नहीं रह सकती। अगर पुलिस की बातों को मान लिया जाए और उसने शादी कर ली है तो अपनी बच्चियों से मिलने तो आ सकती थी या फिर अपने साथ रख भी सकती थी। कुछ नहीं तो कम से कम मोबाईल द्वारा सम्पर्क कर ही सकती थी। इससे स्पष्ट है कि उसे जबरिया घर में बंधक बनाकर रखा गया होगा। 

* यह गंभीर मामला है। पुलिस ने गुमशुदगी का अपराध दर्ज किया है तो मामले में उसकी पतासाजी की जानी चाहिए और संदेही को पकड़कर पूछताछ करनी चाहिए। इस मामले की जानकारी लेकर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। - शलभ सिन्हा, प्रशिक्षु आईपीएस व सीएसपी कोतवाली