रेलवे का फर्जी नियुक्ति पत्र दे लाखों की कर ली ठगी, पुलिस है कि नींद से ही नहीं जगी
छत्तीसगढ़ 23 फरवरी 2017 (पंकज दास). रेलवे में नौकरी लगाने के नाम पर बेरोजगारों से लाखों रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। जिसमें आरोपियों के विरुद्ध थाने में शिकायत भी हुई परंतु कई सप्ताह बीतने के बाद भी पुलिस उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, जबकि आरोपी बेधड़क होकर क्षेत्र में आना जाना कर रहे हैं। कार्यवाही न होने के चलते ही पीड़ितों ने मुख्यमंत्री के जनदर्शन में पहुंच कर मामले की शिकायत की है।
फर्जीवाड़ा का मामला -
उक्त मामला महासमुंद जिले का है, जहां पीड़ित सुनील चंद्राकर, टिकेश डडसेना व अन्य ने बताया कि धमतरी जिले के कुरूद निवासी प्रदीप चंद्राकर और संजू वर्मा ने खुद को रेल्वे का ठेकेदार बताते हुए उच्चाधिकारियों से अच्छा संबंध होना बताकर विभाग में स्टेशन मास्टर की नौकरी लगवा देने का आश्वासन दिया। इसके एवज में महासमुंद में सभी को बुलाकर 8-8 लाख रुपए लिया।
शातिर तरीके से अंजाम दिया फर्जीवाड़े को -
पैसे लेने के कुछ सप्ताह बाद प्रदीप व संजू, पीड़ितों को फर्जी ट्रेनिंग के लिए कोलकाता लेकर गए, परंतु वहां पहुंचकर किसी फर्जी अधिकारी से मिलाया गया। जिसने आश्वासन दिया कि ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं है मेरी सीधी पहुंच रेल्वे बोर्ड में है, मैं डायरेक्ट भर्ती करवाता हूं, निश्चिंत होकर घर जाओ, जल्द ही नियुक्ति पत्र प्राप्त हो जाएगा। तत्पश्चात कुछ माह बाद रेल्वे भर्ती बोर्ड कोलकाता का नियुक्ति पत्र आरोपियों द्वारा थमा दिया गया। नियुक्ति-पत्र लेकर सुनील और टिकेश कोलकाता रेल्वे के मुख्यालय में नियुक्ति करने पहुंच गए। जहां पर रेल्वे अफसरों ने बताया कि यह नियुक्ति-पत्र फर्जी है।
राजनीतिक रसूखदार इसलिए कार्यवाही नहीं -
पीड़ितों द्वारा इसकी शिकायत पहले महासमुंद के थाने में की गई जिस पर पुलिस ने अपराध तो दर्ज कर लिया लेकिन आज दिनांक तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। पीड़ितों ने बताया कि आरोपी राजनीतिक रसूखदार है, संभवतः कार्यवाही न करने के लिए ऊपर से अतिरिक्त दबाव बनावाया गया है, जिसके चलते पुलिस आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं कर रही है।
नामजद अपराध फिर भी कर गए ठगी -
जानकारी ये भी मिली है कि थाने में नामजद अपराध दर्ज होने के बाद भी कानूनी कार्यवाही नहीं होने से आरोपियों के हौसले बुलंद हो गये।इसीलिए बीते 6-7 सप्ताह के दौरान आरोपियों द्वारा 3-4 बेरोज़गारों के साथ भी ठगी किए हैं। अगर अपराध दर्ज होने के बाद पुलिस आरोपियों पर कार्यवाही कर देती तो 3-4 बेरोज़गार ठगी का शिकार होने से बच सकते थे।
पुलिस की लापरवाही से हुए ठगी के शिकार -
पीड़ितों ने बताया कि प्रदीप चंद्रकार और संजू वर्मा ने आदिम जाति कल्याण विभाग में हॉस्टल अधीक्षक के रूप में स्थायी नौकरी लगवाने का झांसा देकर धनंजय पटेल, रोहित साहू व अन्य से भी 3-3 लाख रुपए लिया है। उनकी भी नौकरी नहीं लगाई और न ही पैसे वापस किए। पैसे वापस मांगने पर धमकी चमकी देते हैं और पुलिस थाने जाने की सलाह भी देतें हैं।