आवेदन-पत्र देख दंग रह गए अफसर व संत्री, लिखा - भ्रष्टाचार रोकने हेतु मुझे बनाओ मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़ 02 मार्च 2017 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ में प्रदेश की आमजनता की समस्याओं एवं उत्पीड़न व शोषण की शिकायतें तथा प्रशासन द्वारा लापरवाही बरतने की लगातार खबरों से परेशान होकर राज्य शासन द्वारा लोक सुराज अभियान चलाया जा रहा है। इसी तारतम्य में लोक सुराज अभियान शिविर में एक ऐसा आवेदन-पत्र आया जिसे पढ़ने के पश्चात सभी की हंसी
निकल गई। इस एक विचित्र व अनूठे आवदेन-पत्र में आवेदक ने खुद को
मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की है।
इस आवेदन-पत्र में लिखा है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को रोकने मुझे मुख्यमंत्री बनाएं। दरअसल यह आवेदन-पत्र बिलासपुर के कोटा विकासखंड के सेमरा गांव, जहां लोक सुराज के पहले चरण के तहत अफसर शिविर लगाकर गांव के लोगों से उनकी समस्याओं को लेकर आवेदन ले रहे थे। इसी बीच सेमरा गांव के निवासी नेतराम साहू ने शिविर में खुद को मुख्यमंत्री बनाने के लिए आवेदन दिया। आवेदन में नेतराम ने लिखा है कि अगर प्रदेश में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को रोकना है तो मुझे मुख्यमंत्री बनाएं। नेतराम के इस आवेदन को देखकर शिविर में मौजूद सभी संत्री पहले तो सन्न रह गए और आवेदन पत्र को पढ़ने के बाद उपस्थित सभी अफसरों की हंसी निकल गई।
लोक सुराज अभियान के बदले स्वरूप का आगाज रविवार से शुरू हो गया। पहले चरण में ग्राम पंचायतों और निकायों के वार्डों में 28 फरवरी तक शिविर लगाकर आम लोगों से उनकी समस्याओं को लेकर आवेदन लिया गया। दूसरे चरण में 1 मार्च से 2 अप्रैल तक आवेदनों का निराकरण किया जाएगा। तीसरा चरण 3 अप्रैल से 20 मई तक होगा। विदित हो कि क्षेत्र में ही लोक सुराज अभियान के तहत शिविर लगाने एवं सभी आवेदनों को
स्वीकृति कर विवेचना में लेना एवं जल्द से जल्द निराकरण के लिए मुख्यमंत्री
डॉ रमन सिंह ने आदेश दे रखा है। इसके तहत प्रदेश में बराबर अलग अलग
क्षेत्रों में लोक सुराज अभियान के शिविर में मुख्यमंत्री, संत्री व
अधिकारीगण उपस्थित रहते हैं।
पहले चरण के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह स्वयं जिलों में हेलीकाप्टर के जरिए अचानक पहुंचकर अपनी चौपाल लगाए और उनकी समस्याएं सुनी। उन्होंने कहा अभियान को समाधान की दृष्टि से उपयोगी और सार्थक बनाने के लिए बदलाव किए गए हैं। इसका ध्येय वाक्त ही लक्ष्य समाधान का रखा गया है। मुख्यमंत्री ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे अपनी हर समस्या के लिए अलग-अलग आवेदन फार्म भरें, ताकि आवेदन पत्रों को विभागवार अलग-अलग चिन्हांकित कर संबंधित विभागों को भेजा जा सके।