विधायक अमित जोगी, राजेन्द्र राय व सियाराम विधानसभा से हुये निलंबित
छत्तीसगढ़ 04 मार्च 2017 (जावेद अख्तर). विधानसभा में अमित जोगी, सियाराम कौशिक और राजेन्द्र कुमार राय के खिलाफ गुरुवार को निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। छग विधानसभा के इतिहास का यह पहला मामला है, जब सदन ने अपने मौजूदा सदस्यों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया। सदन के दोनों पक्षों ने एकमत होकर उनके व्यवहार की निंदा की। गर्भगृह में प्रवेश करने की वजह से तीनों को 7 मार्च मंगलवार सुबह तक के लिए निलंबित कर दिया गया।
बुधवार को सदन में गंगाजल छिड़कने की हुई घटना को लेकर तीनों के खिलाफ संसदीय कार्यमंत्री अजय चंद्राकर ने सदन में निंदा प्रस्ताव लाया था। गर्भगृह में प्रवेश करने की वजह से तीनों को 7 मार्च मंगलवार सुबह तक के लिए निलंबित कर दिया गया। सदन में निंदा प्रस्ताव रखते हुए संसदीय कार्य मंत्री चंद्राकर ने कहा कि अमित जोगी पहले भी सदन की मर्यादा का उल्लंघन करते रहे हैं। नया सदस्य होने की वजह से आसंदी (अध्यक्ष) ने छोड़ दिया। लेकिन अब वे पूरी तरह सदन की गरिमा के खिलाफ जा रहे हैं। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान उन्होंने राष्ट्रगान का अपमान किया। कल सदन में जल छिड़का, जो पूरी तरह गलत है।
बुधवार को सदन में गंगाजल छिड़कने की हुई घटना को लेकर तीनों के खिलाफ संसदीय कार्यमंत्री अजय चंद्राकर ने सदन में निंदा प्रस्ताव लाया था। गर्भगृह में प्रवेश करने की वजह से तीनों को 7 मार्च मंगलवार सुबह तक के लिए निलंबित कर दिया गया। सदन में निंदा प्रस्ताव रखते हुए संसदीय कार्य मंत्री चंद्राकर ने कहा कि अमित जोगी पहले भी सदन की मर्यादा का उल्लंघन करते रहे हैं। नया सदस्य होने की वजह से आसंदी (अध्यक्ष) ने छोड़ दिया। लेकिन अब वे पूरी तरह सदन की गरिमा के खिलाफ जा रहे हैं। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान उन्होंने राष्ट्रगान का अपमान किया। कल सदन में जल छिड़का, जो पूरी तरह गलत है।
अमित के व्यवहार पर कांग्रेसी भी भड़के -
कांग्रेस सदस्य भूपेश बघेल ने कहा कि यह राज्य की ढाई करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करने वाला पवित्र सदन है। यह किसी भी तरह से अपवित्र नहीं हो सकता। अमित का व्यवहार न केवल सदन, बल्कि हिन्दू धर्म का अपमान है। हर धर्म में शुद्धिकरण की अलग परंपरा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या अमित जोगी ने धर्म परिवर्तन कर लिया है, जो वे गंगाजल का इस्तेमाल कर रहे हैं? नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने भी अमित के व्यवहार की निंदा की।
पक्ष व विपक्ष के तर्क -
अपना पक्ष रखने खड़े हुए अमित जोगी ने कहा, मैंने राष्ट्रगान का अपमान नहीं किया है। राष्ट्रगान के दौरान मैं सीधा खड़ा था। उन्होंने गंगाजल छिड़कने को लेकर अपना बचाव करते हुए उपनिषद का उल्लेख किया। इस पर विस अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने उन्हें टोका। इसके बाद मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने कहा कि अमित निंदा प्रस्ताव के लायक भी नहीं हैं। अमित ने कहा कि मैं इस सदन और यहां मौजूद सभी जनप्रतिनिधियों का सम्मान करता हूं, किसी को ठेस पहुंची है तो खेद भी व्यक्त करता हूं। इसके बाद अमित कुछ बोलना चाह रहे थे, लेकिन विधायक बघेल व शिवरतन ने कहा कि खेद व्यक्त करने के बाद बोलने के लिए कुछ नहीं बचा है। अध्यक्ष ने निंदा प्रस्ताव पर मत विभाजन कराया, जिसमें सभी सदस्यों ने एकमत से प्रस्ताव पारित कर दिया।
गर्भगृह में पहुंचे, अध्यक्ष ने बाहर भेजा -
निंदा प्रस्ताव पारित होने के बाद अमित ने शराबबंदी को लेकर चर्चा की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले में अविश्वास प्रस्ताव की सूचना दी है। अध्यक्ष ने बताया कि उनका प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया है। इसके बाद अमित, कौशिक और राय नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में पहुंच गए। इस पर अध्यक्ष ने उनके निलंबन की घोषणा करते हुए सदन से बाहर भेज दिया। दोपहर बाद विस अध्यक्ष ने तीनों को मंगलवार सुबह तक के लिए निलंबित करने की घोषणा की। इससे विस में बजट पर सोमवार की चर्चा में यह तीनों विधानसभा सदस्य शामिल नहीं हो सकेंगे।
जूनियर जोगी ने साधा निशाना -
अमित जोगी ने कहा कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) शराबबंदी लागू करने सदन से सड़क तक लड़ाई लड़ेगी। पार्टी के एप्प में फीचर जोड़ा जाएगा, टोल फ्री नंबर लांच किया जाएगा, प्रदेश के सभी नगरीय निकायों एवं ग्राम पंचायतों में 'गुलाबी टोलियों' का गठन किया गया है जो जनजागरण के साथ साथ शराबबंदी लागू करने के अभियान को लेकर प्रत्येक वार्ड में लोगों से मिलना जुलना कर रहीं हैं। जैसे जैसे अभियान बढ़ रहा है वैसे वैसे लोगों का समर्थन तथा संख्या। विशेषकर महिलाएं शराबबंदी को लागू करने पर अधिक जागरूक दिखाई दे रही हैं, बढ़ती महिलाओं की अधिक संख्या सरकार के लिए नई मुसीबत बनेगी ही।
सीएम खुद डाक्टर, फिर भी शराब के लिए समर्पित -
अमित जोगी ने कहा कि हमारे प्रदेश के मुखिया विश्व के पहले ऐसे डॉक्टर हैं जो मरीज को दवा नहीं बल्कि दारु देंगे। छत्तीसगढ़ बीमार है। 20 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं। 800 के लगभग किसान आत्महत्या कर चुके हैं। किसान कर्ज से डूबे हैं। महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में 340% से ज्यादा वृद्धि हुई है। शराब से परिवार बर्बाद हो गए हैं। डब्ल्यूएचओ अकाल मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक शराब को मानता है और प्रदेश मुख्यमंत्री स्वयं डाक्टर होकर शराब जैसी मादक पदार्थ के प्रति समर्पित हैं। यह बीमार छत्तीसगढ़ जब डॉक्टर के पास इलाज करने की गुहार लगाता है तो प्रदेश के मुखिया उन्हें दवा देने की बजाय दारु देते हैं।
सरकार की कोचियाबंदी पर विधायकों का वार -
सरकार द्वारा कोचियाबंदी की बात भी पूरी तरह भ्रामक, बेबुनियाद और हास्यापद है। फर्क केवल इतना है कि पहले अनपढ़ कोचिये थे और अब पढ़े लिखे कोचिये यानि सरकारी अधिकारी शराब बेचेंगे। सरकार शराब बेचने की ठेकेदारी अपने अधीन यानि सीधा अधिकारीयों के सुपुर्द कर रही है। वो अधिकारी जिनके यहां छापे में करोड़ों रुपयों के साथ साथ डॉलर भी निकल रहे हैं।
यह निर्णय बीमार छग को ठीक करेगा या जान लेगा ?
अमित जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा केरल और तमिलनाडु के तर्ज़ पर छत्तीसगढ़ में शराब बेचने का मॉडल प्रदेश के हित में नहीं है। केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों की जीवनशैली तथा आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था छत्तीसगढ़ से भिन्न है। छग में 60 फीसदी से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे हैं। 20 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार घूम रहे हैं, किसान कर्ज में डूबे हैं, ऐसे में सरकार द्वारा शराब जैसे ज़हर को स्वयं लोगों को पिलाना न केवल अनुचित है बल्कि अमानवीय भी है।
राजस्व नुकसान की बात भ्रमित करना -
सरकार के निर्णय को विरोधभासी बताते हुए विधायकों ने कहा कि जहां एक ओर सरकार ने आंशिक शराबबंदी की बात कही थी वहीं अब स्वयं शराब बेचने का काम कर रही है। सरकार द्वारा शराबबंदी पर चार हज़ार करोड़ के राजस्व के नुकसान की बात करना भी बेमानी है। अगर छग में पूर्ण शराबबंदी हो जाए तो चार हज़ार करोड़ का नुकसान नहीं बल्कि उसका कई गुना फायदा होगा। शराब के कारण जो घरेलु हिंसा, बलात्कार आदि अपराध होते हैं, शराब की लत से जो गरीब परिवारों में छोटी बचत पर असर पड़ता है वो सब बंद हो जाएगा। इसलिए शराबबंदी सरकार के लिए और छग के लोगों के लिए एक फायदे का निर्णय है। राजस्व नुकसान की बात केवल सरकार भ्रमित करने के लिए कर रही है।
* सरकार द्वारा स्वयं शराब बेचने का जहां आम जनता विरोध कर रही, वहीं सरकार के मंत्री एवं विधायक भी इसका विरोध कर रहे हैं। किसी जनविरोधी निर्णय को दलगत निष्ठा से ऊपर उठकर राज्य हित में रोका जा सकता है। आखिर एक विधायक के लिए उसके क्षेत्र की जनता का हित महत्व रखता है। - सियाराम कौशिक, विधायक
* सरकार के शराब बेचने को लेकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) सदन से सड़क तक की लड़ाई लड़ेगी। डिजिटल एप्प, टोल फ्री सहित गुलाबी टोलियों का प्रत्येक वार्ड में गठन भी किया गया है एवं स्वतंत्र विधायकों सहित दोनों दलों के विधायकों से संपर्क कर बहुमत जुटाया जा रहा है। सत्तापक्ष, निर्दलीय विधायक भी शराबबंदी पर सहमत है। - आर.के. राय, विधायक
* दामाखेड़ा में कबीर पंथाचार्य श्री प्रकाशमुनि साहेब, श्री श्री रविशंकर सहित राजिम कुंभ में एकत्रित हुए साधु संतों ने भी मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी झोली फैलाकर प्रदेशहित में शराबबंदी लागू करने की मांग की, लेकिन सीएम साहब ने एक न सुनी उल्टा स्वयं शराब बेचने लगे। यह केवल प्रकाशमुनि साहब एवं अन्य गुरुओं का नहीं बल्कि छग के सभी सामाजिक गुरुओं का अपमान है। गुरु समाज हित में काम करते हैं और यह सरकार शराब बेचकर समाज का अहित कर रही है। - अमित जोगी, विधायक