छत्तीसगढ़ की बची इज़्ज़त, सही सलामत मिला कनाडाई नागरिक
छत्तीसगढ़ 30 मार्च 2017 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ के बस्तर में सोमवार की शाम से लापता कनाडाई नागरिक जॉन श्लैजेक सही सलामत मिल गया है। यह मामला तूल पकड़ता जा रहा था, मामले की गंभीरता को देखते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर जॉन की जानकारी मांगी थी। विदेश मंत्री के ट्वीट ने उड़ीसा और छग सरकार की नींद उड़ा दी। तत्पश्चात पूरा महकमा जॉन की खोजबीन में जुट गया।
हालांकि पुलिस प्रशासन के नक्सलियों द्वारा अगवा करने का अंदेशा जताने के बाद हालात नाज़ुक बन गए थे। कनाडाई दूतावास ने भी भारतीय दूतावास से जानकारी मांग ली। परंतु जॉन के सही सलामत मिलने से छग सरकार और बस्तर प्रशासनिक उच्चाधिकारियों की जान में जान आई और एक बड़ा कलंक छग सरकार और राज्य दोनों पर लगने से बच गया। बस्तर पुलिस द्वारा बताया गया कि यहां के सिंगामड़गू गांव से लापता जॉन अरलमपल्ली गांव में सकुशल सुरक्षाबलों को मिल गया है। वह इस महीने की 27 तारीख को सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र के अंतर्गत सिंगामड़गू गांव के करीब से गुजर रहा था तब क्षेत्र में विदेशी नागरिक को देखकर संघम सदस्यों ने उसे रोक लिया।
हालांकि पुलिस प्रशासन के नक्सलियों द्वारा अगवा करने का अंदेशा जताने के बाद हालात नाज़ुक बन गए थे। कनाडाई दूतावास ने भी भारतीय दूतावास से जानकारी मांग ली। परंतु जॉन के सही सलामत मिलने से छग सरकार और बस्तर प्रशासनिक उच्चाधिकारियों की जान में जान आई और एक बड़ा कलंक छग सरकार और राज्य दोनों पर लगने से बच गया। बस्तर पुलिस द्वारा बताया गया कि यहां के सिंगामड़गू गांव से लापता जॉन अरलमपल्ली गांव में सकुशल सुरक्षाबलों को मिल गया है। वह इस महीने की 27 तारीख को सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र के अंतर्गत सिंगामड़गू गांव के करीब से गुजर रहा था तब क्षेत्र में विदेशी नागरिक को देखकर संघम सदस्यों ने उसे रोक लिया।
नक्सल समर्थक संघम के चंगुल में फंसने के बाद जॉन ने अपने पास रखे इमरजेंसी अलार्म डिवाइस का बटन चुपचाप दबा दिया। सैटेलाइट से कनेक्ट इस डिवाइस की मदद से उसने मुसीबत में फंसे होने का संदेश दिया। संबंधित कंपनी ने इसरो को इस बात की जानकारी दी। तब जाकर कनाडाई साइकिलिस्ट के अगवा होने की बात सामने आई। इसके बाद हड़कम्प मच गया। ज्ञात हो कि इससे पहले 29 दिसम्बर 2015 भारत जोड़ो अभियान पर निकले पुणे के तीन छात्रों आदर्श पाटिल, श्रीकृष्ण शेवारे एवं विकास को नक्सलियों ने बीजापुर के तर्रेम से अगवा कर लिया था। 3 जनवरी को उन्हें रिहा किया गया था।
स्थानीय ग्रामीणों की मदद से छुड़ाया गया -
जॉन के लापता होने की सूचना के बाद पुलिस की अलग-अलग टीमें बनाकर उसकी सरगर्मी से तलाश की जा रही थी। इसी बीच खबर मिली कि वह सिंगामड़गू गांव में नक्सल समर्थक संघम सदस्यों ने रोक कर उससे पूछताछ शुरू कर दी थी, मगर भाषा नहीं समझा पाने के कारण संघम सदस्यों ने उसे नहीं छोड़ा। उसकी रिहाई के लिए हरसंभव प्रयास किये गए तथा क्षेत्र के स्थानीय निवासियों को वहां भेजकर जानकारी पहुंचाई गई और संघम सदस्यों को बताया गया कि जॉन पुलिस या प्रशासन से नहीं जुड़ा है तथा वह पर्यटक है। ग्रामीणों से बातचीत के बाद जब संघम सदस्यों ने तस्दीक कर ली कि जॉन का पुलिस या प्रशासन से कोई संबंध नहीं है, उसके बाद उसे पोलमपल्ली थाना क्षेत्र के अरलमपल्ली गांव के निकट ग्रामीणों के साथ छोड़ दिया। डीजीपी के मुताबिक, जॉन तेलंगाना के भद्राचलम से होते हुए बस्तर के सुकमा में दाखिल हुआ। स्थानीय भाषा का ज्ञान नहीं होने के चलते जॉन को ग्रामीणों ने अपने कब्जे में रखा था क्योंकि नक्सलियों की ओर से जॉन को अगवा किए जाने का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है।
फॉरेन रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत सभी विदेशियों को स्थानीय थाने में आमद दर्ज करवानी होती है, लेकिन जॉन ने ऐसा नहीं किया। गौरतलब है कि कनाडाई सामाजिक कार्यकर्ता जॉन के लापता होने के बाद पता चला कि वह मुंबई से साइकलिंग की शुरुआत करने के बाद तेलंगाना से होते हुए वह बस्तर पहुंचा। मगर उसने इसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी। पुलिस इस बात की भी पड़ताल कर रही कि विदेशी नागरिक को क़ानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए खास ताकीद किया जाता है। इसके बावजूद जॉन ने आखिर अपनी मौजूदगी की सूचना सुकमा पुलिस और स्थानीय प्रशासन को क्यों नहीं दी? पुलिस इस बात को पचा नहीं पा रही है कि आखिर जॉन एक खास गांव में कैसे पहुंचा।
फॉरेन रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत सभी विदेशियों को स्थानीय थाने में आमद दर्ज करवानी होती है, लेकिन जॉन ने ऐसा नहीं किया। गौरतलब है कि कनाडाई सामाजिक कार्यकर्ता जॉन के लापता होने के बाद पता चला कि वह मुंबई से साइकलिंग की शुरुआत करने के बाद तेलंगाना से होते हुए वह बस्तर पहुंचा। मगर उसने इसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी। पुलिस इस बात की भी पड़ताल कर रही कि विदेशी नागरिक को क़ानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के लिए खास ताकीद किया जाता है। इसके बावजूद जॉन ने आखिर अपनी मौजूदगी की सूचना सुकमा पुलिस और स्थानीय प्रशासन को क्यों नहीं दी? पुलिस इस बात को पचा नहीं पा रही है कि आखिर जॉन एक खास गांव में कैसे पहुंचा।
* जॉन टूरिस्ट वीसा पर भारत आया है। मुंबई से 14 मार्च को वह साइकिल पर रवाना हुआ था। ओडिशा और तेलंगाना के रास्ते रविवार को सुकमा जिले के किस्टारम क्षेत्र के सिंगामड़गू गांव पहुंचा था। विदेशी नागरिकों को किसी जिले में जाने पर वहां के पुलिस प्रमुख को सूचना देना व रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। नक्सल इलाकों में खास एहतियात बरतने के निर्देश हैं। लेकिन जॉन बिना बताए नक्सल इलाके में चला गया। - अभिषेक मीणा, एसपी सुकमा
* जॉन फिलहाल सही सलामत है और सुरक्षा बलों के साथ है, उसे पोलमपल्ली लाया गया और फिर शाम को सुकमा मुख्यालय लेकर पहुंचे। शासन को सूचना भेज दी गई है। वहीं सुकमा मुख्यालय में जॉन से पूछताछ की गई। जॉन के आने की खबर किसी भी थाने में दर्ज नहीं होने से प्रशासन को जानकारी ही नहीं थी अन्यथा सुरक्षा का बंदोबस्त किया गया होता। इस लापरवाही के चलते ही जॉन मुसीबत में फंस गए। - सुंदरराज पी, आईजी बस्तर
* छत्तीसगढ़ पुलिस जॉन को कनाडाई दूतावास को सौपेंगी। राज्य सरकार ने इस विदेशी नागरिक के सुरक्षित होने की जानकारी विदेश मंत्रालय को भेज दी है। कनाडाई दूतावास को सौपें जाने के पहले जॉन श्लैजेक से पूरी पूछताछ होगी। वहीं इस बात की पड़ताल जारी है कि जॉन का कोई नक्सल कनेक्शन तो नहीं? किसके बुलावे पर वह बस्तर पहुंचा था? उसका उद्देश्य क्या है? आज जॉन को रायपुर लाया जाएगा। - डीएम अवस्थी, डीजीपी नक्सल आपरेशन