अल्हागंज - माँ दुर्गा मंदिर चिलौआ के ऐतिहासिक मेले का हुआ समापन
अल्हागंज 11 अप्रैल 2017. क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगने वाले पांडव कालीन ऐतिहासिक चिलौआ के मेले का आज समापन हो गया। अल्हागंज से पाँच किलोमीटर ग्राम चिलौआ वो स्थान है, जहाँ अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने जंगलों में रह कर कुछ समय बिताया था और अपना राज्य कौरवों से वापस लेने के लिए आदि शक्ति माता दुर्गा पीठ की स्थापना की थी और उनकी तपस्या आराधना करके विजय श्री का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
बताते हैं कि पूरा क्षेत्र प्राचीनकाल में घने जंगल से आच्छादित था वहाँ मीठे जल का पोखर भी था। जहाँ पांडवों ने अपना काफी समय व्यतीत किया था। वर्तमान में पांडव काल में स्थापित माँ दुर्गा पीठ का अब भव्य मंदिर बन गया है। और प्रतिवर्ष चैत्रमाह की तेरस और चौदस को दो दिवसीय मेले का भव्य आयोजन क्षेत्रीय ग्रामीणों की मदद से किया जाता है। जिसमें दूर-दूर से दरी कालीन, इमारती लकड़ी का सामान और बाॅक्स की बडी बडी दुकानें यहां लगती है। ग्रामीण सभी उपयोगी वस्तुओं की खरीददारी करते हैं। इस मेले मे आने वाले अपने परिचितों से होली की तरह मिलकर जलपान कराते हैं। इस मेले के बारे में कहावत है कि 'चिलौआ का मेला जब निकल जअई तब फरिया उडनिया को का करई'.
माँ दुर्गा के प्रसाद के रुप में बतासे तथा टेशू के फूल चढाकर अपने तथा अपने परिवार के कल्याण की मन्नतें मांगते हैं। पूरा होने पर कन्या भोज कराकर माता की विशेष पूजा आराधना कराते हैं। मंदिर का प्रबंधन मालियों की जिम्मेदारी है। मेले के प्रबंधन का कार्य ग्रामीणों की बनाई गई कमेटी करती है। इसकी सुरक्षा के लिए वहाँ पुलिस का कैम्प लगता है। असामाजिक तत्वों पर नजर रखने के लिए मेले में चेक प्वाइंट बनाऐ जाते हैं। इस बार मेले की यातायात, पेयजल और सुरक्षा व्यवस्था चौकस रही।