छत्तीसगढ़ - केंद्र ने सुरक्षा बलों को सौंपी नक्सलियों की हिटलिस्ट
छत्तीसगढ़. 27 अप्रैल 2017 (जावेद अख्तर). सुकमा हमले में 25 जवानों की शहादत के बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षा बलों को नक्सलियों की एक हिटलिस्ट दी है, जिसमें दक्षिण बस्तर के क्षेत्रीय कमांडर रघु, जगरगुंडा इलाके के प्रमुख पप्पू राव और पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के कमांडर हिड़मा के नाम शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि यही लोग सुकमा हमले के जिम्मेदार हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार सीआरपीएफ को नक्सलियों के हौसले पस्त करने के लिए बनाई गई इस हिटलिस्ट में उनके लीडर्स को निशाना बनाया जाएगा। इसके अलावा उनके क्षेत्रीय मुखिया और 'जन मिलिशिया' के प्रभावशाली सदस्य भी शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि इस सूची में लगभग 250 बड़े नामी नक्सली शामिल हैं, जो छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र में अपनी योजनाओं को अंजाम देते हैं।
बताया जा रहा है कि बस्तर बेल्ट में करीब 4 हजार हथियार बंद नक्सली मौजूद हैं। एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, "पिछले एक साल में कई नक्सलियों को हिरासत में लिया गया है। मगर इनके बड़े नेता अब भी पहुंच से बाहर हैं और ये लोग ही सुरक्षा बलों पर हमला करने की साजिश करते हैं। अब इन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत है। इसको गिराने के लिए गृह मंत्रालय से भी अनुमति मिल गई है। साथ ही सुरक्षा बलों को अतिरिक्त कंपनियां और मॉडर्न तकनीक भी मुहैया कराई जाएगी।"
छग पुलिस का खुफिया तंत्र पूरी तरह से बेकार -
सुरक्षा बलों ने सोमवार को हुए हमलों के लिए काफी हद तक छग पुलिस खुफिया तंत्र को मानते हैं तथा उन्होंने इस हमले को इंटेलिजेंस तथा राज्य सरकार के खुफिया तंत्र की नाकामी बताया है। सुरक्षा बलों ने कहा कि करीब 400 हथियारबंद नक्सली बुर्कापाल गांव में छुपे हुए थे और उनके पास राकेट लांचर्स भी था मगर इंटेलिजेंस और खुफिया तंत्र को पता ही नहीं था। क्या शासन ऐसे दक्ष तंत्रों के सहारे काम करने की बात करता है। छग का पुलिस तंत्र अत्यधिक लचर और लापरवाह है या फिर भ्रष्टाचार इतना हावी हो चुका है कि ये लोग जवानों का सौदा कर रहे हैं। हमला होने के बाद भी नक्सलियों से संबंधित कोई सटीक जानकारी नहीं दे पाने से ही समझा जा सकता है कि छग पुलिस की कार्यप्रणाली कितनी उत्कृष्ट और कार्यशैली किस स्तर की है। हालांकि राज्य सरकार ने भी पूरी मदद का भरोसा दिया है मगर अब विश्वास कैसे किया जाए बड़ा सवाल तो यही है। संभवत छग पुलिस को जानकारी न रहे गुप्त आपरेशन की तो ही सुरक्षा बलों के लिए ज्यादा बेहतर होगा।
महिला नक्सलियों ने 6 जवानों के काटे गुप्तांग -
दोरनापाल। सुकमा जिले के बुरकापाल में नक्सली हमले में शहीदों के शवों से क्रूर एवं अमानवीयता की शर्मसार करने वाला सच सामने आया जिसे देख रूह कांप जाए। घटनास्थल से बरामद शवों में से करीब 6 शहीद जवानों के गुप्तांग काट दिए। दरअसल, सोमवार दोपहर गश्त के बाद थके सीआरपीएफ 74वीं बटालियन के जवान पारी-पारी से भोजन कर रहे थे। इसी दौरान 12.55 बजे नक्सलियों ने उन्हें एंबुश में फंसाकर अंधाधुंध फायरिंग की तथा 10 राउंड यूबीजीएल (अंडर बैरल गैनेड लॉन्चर्स) भी दागे गए थे। दोपहर से फायरिंग शुरू हुई और बैकअप पार्टी 4.45 बजे पहुंची। जिसमें 25 जवान शहीद हो गए और 6 लापता थे। लापता जवानों का शव बाद में खोजबीन करने पर घटनास्थल से कुछ दूरी पर मिला। शव को देखते ही आखें फट गई क्योंकि अत्यंत क्रूर व हिंसात्मक व्यवहार करते हुए लगभग पौने दो घंटे में महिला नक्सलियों ने धारदार हथियार से अंग काटने की वारदात को अंजाम दिया। बुरकापाल हमले में शामिल नक्सलियों में लगभग एक तिहाई महिला थीं, इसके चलते इस बात को और बल मिल रहा है।
आदिवासी महिलाओं से ज्यादती का बदला तो नहीं -
सोमवार को सुकमा जिले के बुरकापाल में हुए नक्सली हमले में कई महिला नक्सलियों ने देश के 6 शहीद जवानों के गुप्तांग काट दिए हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक बस्तर में तैनात जवानों पर अक्सर आदिवासी महिलाओं और युवतियों के साथ ज्यादती के आरोप लगते रहे हैं। इस अमानवीय कृत्य को महिला नक्सलियों की बदले की कार्रवाई के रूप में भी देखा जा रहा है।
पहले भी दिखा चुके हैं अमानवीय चेहरा -
वर्ष 2007 में बीजापुर जिले के रानीबोदली में सीएएफ कैंप पर हमले में 55 जवान व एसपीओ शहीद हुए थे। तब नक्सलियों ने धारदार हथियार से कुछ जवानों के सिर धड़ से अलग कर दिए थे। झीरम-2 नाम से चर्चित टाहकवाड़ा मुठभेड़ में शहीद जवानों के शवों को टंगिए व धारदार हथियारों से गोदा गया था। शहीद जवान के शव में बम लगा देने की घटना को भी अंजाम दिया गया था।
पेड़ों पर चढ़कर 15 फीट ऊंचाई से फायरिंग -
घटना में प्रत्यक्षदर्शी 74वीं बटालियन के जवान मनोज कुमार ने बताया कि बुरकापाल कैंप से जवानों की टीम निर्माणाधीन पुलिया की सुरक्षा के लिए सर्चिंग पर निकली थी। इस बीच रास्ते में लाल साड़ी पहने कुछ ग्रामीण महिलाएं तेंदूपत्ता व आम तोड़तीं नजर आई। ये महिलाएं फोर्स की रेकी कर रहीं थीं। महिलाएं गांव की नहीं थीं, इसलिए सुरक्षा बल को उन पर संदेह भी हुआ। इसके बाद जब सभी जवान भोजन करने बैठे, तभी नक्सलियों ने अचानक फायर किया। इसके बाद तीनों दिशाओं से गोलियां चलनी शुरू हुई। जवानों ने जवाबी कार्रवाई में एचई (हाई एक्सप्लोसिव) बम भी दागे। नक्सलियों ने पेड़ों पर चढ़कर 15 फीट की ऊंचाई से जवानों पर गोलियां दाग रहे थे। वहीं सपोर्टिग पार्टी को रोकने लिए भी नक्सलियों की दूसरी पार्टी विपरीत दिशा में फायरिंग कर रही थी।
फिर किया तीर बम का इस्तेमाल -
मौके पर बिना फटे व फटे हुए तीर बम समेत खाली कारतूस के खोखे चारों ओर नजर आए। मालूम हो, 12 मार्च को कोत्ताचेरू में हुए हमले के दौरान भी नक्सलियों ने तीर बम का इस्तेमाल किया था। बताया जाता है कि तीर के अगले हिस्से में नक्सली आईईडी लगा देते हैं। इसके लगते ही विस्फोट हो जाता है। इस प्रकार के तीर बम का नक्सलियों ने पहले भी कई बार इस्तेमाल किया है।
तीन नक्सली भी मारे गए : आईजी
तीन नक्सलियों के मारे जाने का दावा करने वाले आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि ग्राम लिंपा के ग्रामीणों ने नक्सलियों द्वारा तीन शवों के जलाए जाने की पुष्टि की है। वहीं कई नक्सलियों के घायल होने की जानकारी भी मिली है। घटनास्थल पर खून के छींटे भी मिले हैं। सिन्हा ने खुफिया तंत्र की नाकामी की बात से इंकार करते कहा कि नक्सलियों के मुकाबले जवानों की संख्या काफी कम थी, इसलिए नुकसान उठाना पड़ा।
शहीदों के परिजनों को पतंजलि देगा दो-दो लाख -
आचार्य बालकृष्ण ने सुकमा में नक्सली हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों के परिजनों को पतंजलि योगपीठ की ओर से दो-दो लाख रुपए आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। दिव्य योग मंदिर में पत्रकारों से बातचीत में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि पतंजलि योगपीठ शहीदों को श्रृद्धांजलि देता है, साथ ही घोषणा करता है कि देश की सुरक्षा में शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों, उनके बच्चों की पतंजलि योगपीठ हर तरह की संभव सहायता करेगा। उन्होंने देश की अखंडता और एकता पर होने वाले हर हमले का मुंहतोड़ जवाब देने की भी मांग की।