मुठभेड़ से लौटते जवानों ने रायगुड़ा में फूंक दिये 16 आदिवासियों के घर
रायपुर 25 मई 2017 (जावेद अख्तर). बस्तर में सुरक्षा-बलों की बर्बरता की एक और तस्वीर उजागर हुई है। स्थानीय पत्रकार द्वारा बताया गया कि सुरक्षा-बलों द्वारा सोलह आदिवासी परिवारों के आशियाने फूंक दिये गये हैं। जब हकीक़त जानने के लिए हमारी टीम मौके पर पहुंची तो वहां का नजारा देख हमारा दिल दहल गया।
12 से 15 मई तक नक्सलियों के खिलाफ अभी तक के सबसे बड़े अभियान के दौरान बीजापुर सीमा पर सुकमा के रायगुडा में सुरक्षा बल के जवानों ने निवासरत आदिवासियों के 16 घर जला दिए, जिसमें घर गृहस्थी के सामान, राशन तथा कपड़े लत्ते सब कुछ जलकर खाक हो गया। भीषण गर्मी में 9 परिवारों की छत छिन जाने से 30 लोगों का जीवन तबाह व बर्बाद हो गया। इनका आरोप है कि चिन्नाबोडकेल में सुरक्षा बल एवं नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ से वापसी के समय जवानों ने घर जला दिया। और फिर 18 मई को 2 जवानों ने आगजनी के लिये नक्सलियों को जिम्मेदार ठहराते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी।
डीआरजी, एसटीऍफ़ और कोबरा बटालियन द्वारा नक्सलियों के बड़े व व प्रमुख अड्डे माने जाने वाले सुकमा के पूर्वर्ती इलाके में महाअभियान चलाया था। इस दौरान रायगुडा के 16 मकानों माग लगा दी गई। घटना कि पड़ताल के लिये पत्रकारों की एक टीम 18 मई 2017 को मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर घटनास्थल पर पहुंची, घटना के चार दिन बाद भी मकानों से धुंआ उठ रहा था। टीम को देख पूरा गांव जुट गया। पीड़ित और ग्राम पटेल मांडवी मुत्ता ने बताया कि दोपहर करीब 2 बजे सुरक्षाबल के लोग पहुंचे और सभी ग्रामीणों को खदेड दिया। 2:30 से 4:00 बजे के बीच दोरला जाती की सोढ़ी धर्मा, सोढ़ी जोगा, वेट्टी भीमा, सोढ़ी कन्ना, माडवी नरसा, माडवी गणेश, माडवी सरेसा, सोढ़ी चिलक सहित 9 घरों को निशाना बनाया गया। इनमें से एक घर खपरेल शेष 15 घर घासफूस के हैं। 37 खौफज़दा परिवार के लोगों ने पास के गांव भीमा राम में 2 दिन शरण ली, किन्तु थाने में कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई।
आदिवासी होना गुनाह है क्या ?
घरों को फूंक तमाशा देख रक्षक आगे बढ़ते गए, खुद के आशियानों को जलता देख हमारे आंसू बहते गए!! रायगुडा के पीड़ितों ने कहा कि हमारा गुनाह क्या है? सिर्फ इतना कि हम आदिवासी हैं। आदिवासी होने का मतलब नक्सली या माओवादी तो नहीं होता है। सरकार क्या चाहती है कि हम सब भी बंदूक उठा कर अपना हक मांगने की बजाए जबरन छीन लें, जैसा सरकार खुद कर रही है हमारे साथ।
4 गांव के ग्रामीण जुटे पीड़ितों का घर बनाने -
गांव में आज भी काफी अधिक इंसानियत जिंदा है इसका जीता जागता प्रमाण रायगुडा में आदिवासियों के सोलह घर जलने के बाद दिखाई दिया। घटना के बाद चिन्नाबोडकेल रायगुडा, जब्बा, गुट्टा और पूर्वती गांव के लगभग 300 ग्रामीणों, व्यस्क, वृद्ध, महिलाएं एवं बच्चे, ने मिलकर जले हुए घरों को बनाने के लिए उपस्थित हुए और देखते ही देखते सभी ने मिलकर ढांचा खड़ा कर दिया। आसपास के गांव के लोगों ने पीड़ितों के लिए भोजन और वस्त्रों का का प्रबंध किया।
देखते ही देखते बन गया नया आशियाना यारों,
जलाने वाले एक दूसरे का मुंह ताकते रह गए।
नक्सलियों ने किया खण्डन -
छत्तीसगढ़ के बस्तर में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल द्वारा पंद्रह से बीस माओवादियों के मारे जाने के दावे का माओवादियों ने खंडन किया है। माओवादियों ने आरोप लगाया है कि सुरक्षाबल के जवानों ने कुछ गांवों में हमला किया और वहाँ रहने वाले आदिवासी ग्रामीणों के घरों में जमकर आगज़नी की है।
* सभी आरोप सरासर झूठ है। चिन्नाबोडकेल से मुठभेड़ के बाद फ़ोर्स लौट आई है। यह गांव नक्सलियों ने ही जलाये हैं, गांव के लोग नक्सलियों के डर से ऐसा बोल रहे हैं। - एसपी सुकमा