फाइटर प्लेन सुखोई-30 का मलबा चीन के बॉर्डर के पास मिला
नई दिल्ली, 26 मई 2017 (IMNB). इंडियन एयरफोर्स के लापता फाइटर
प्लेन सुखोई का मलबा मिला है। असम के तेजपुर के पास सुखोई का मलबा मिला है।
मंगलवार सुबह तेजपुर एयरबेस से उड़ान भरने के बाद से लापता विमान था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मलबा चीन बॉर्डर के पास मिला है. विमान
में दो पायलट भी सवार थे, जिनके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिली है।
वायुसेना का सुखोई-30 लड़ाकू विमान अपने दो पायलटों के साथ असम के तेजपुर
वायुसेना स्टेशन से नियमित अभ्यास के तहत सुबह साढ़े नौ बजे उड़ान भरी थी।
विमान के उड़ान भरने के करीब पौने दो घंटे के बाद सवा 11 बजे उसका संपर्क
रडार और रेडियो से टूट गया। विमान की अंतिम लोकेशन चीन सीमा से सटे अरुणाचल
प्रदेश में डौलासांग इलाके में दर्ज की गयी थी। तब से सुखोई-30 के बारे
में कोई सूचना नहीं मिली है।
दो-इंजन वाले सुखोई-30 एयरक्राफ्ट का निर्माण रूसी की कंपनी सुखोई एविएशन कॉरपोरेशन ने किया है। भारत की रक्षा जरूरतों के लिहाज से सुखोई विमान को काफी अहम माना जाता है। यह सभी मौसमों में रात और दिन दोनों में उड़ान भरने में सक्षम है, साथ ही हवा से हवा में और हवा से सतह पर मार करने में पूरी तरह तत्पर रहता है। हालांकि एक के बाद एक सुखोई विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने से चिंता बढ़ रही हैं। बता दें कि एक सुखोई विमान की कीमत करीब 400 करोड़ आती है। वायुसेना के बेडे में शामिल 240 सुखोई विमान में से आठ सुखोई हादसे का शिकार हो चुके हैं।
सुखोई की
अंतरराष्ट्रीय कीमत के अनुसार देश का अब तक 3200 करोड़ रुपए का नुकसान हो
चुका है। देश में पहला और दूसरा सुखोई विमान क्रमश: 30 अप्रैल 2009 और 30
नवंबर 2009 को राजस्थान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ। तीसरा सुखाई 13 दिसम्बर
2011 को में पुणे में, चौथा सुखोई फिर से 19 फरवरी 2013 को राजस्थान में
गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पांचवां सुखोई अक्टूबर 2013 को पुणे में
गिरा। छठा सुखोई 19 मई 2015 को असम में तेजपुर के पास गिरा। फिर 15 मार्च
को एक सुखोई राजस्थान में गिरा। आठवां सुखाई विमान असम से उड़ान भरने के
बाद गायब चल रहा है।