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अल्हागंज - अज्योर पावर ने किया 54 बीघा सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ा

अल्हागंज 25 मई 2017. ग्राम पंचायत केवल रामपुर चिलौआ में अज्योर पावर ज्युपिटर प्रा०लि० के द्वारा स्थापित किया जा रहा सौर ऊर्जा पावर प्लांट विवादों के घेरे में फंस गया है। पावर प्लांट को लगाने के लिए आवासीय व कृषि दर पर स्टाम्प ड्यूटी अदा की गई है। जबकि इसका व्यवसायिक रुप से इस्तेमाल करने की योजना है। पावर प्लांट लगाने वाली कम्पनी ने कुल 20.545 हे० भूमि ही खरीदी है। जबकि उसका कब्ज़ा 24.091 हे० भूमि पर है। 


प्राप्त जानकारी के अनुसार अज्योर पावर ज्युपिटर प्रा०लि० के द्वारा ग्राम पंचायत केवल रामपुर चिलौआ में स्थापित किऐ जा रहे सौर ऊर्जा आधारित पावर प्लांट मे विद्युत उत्पादन करके उसका व्यवसायिक इस्तेमाल करने की योजना है। जिसके लिए अमरीक सिंह पुत्र अवतार सिंह की गाटा संख्या 23, 24, 25, 26 में 4.508 हे० तथा अमनदीप कौर पुत्री धर्मवीर सिंह पत्नी गुरुविन्दर सिंह की गाटा संख्या 40, 52  में 5.050 हे० एंव गुरुविन्दर सिंह पुत्र अमरीक सिंह की गाटा संख्या 35, 37, 50  में  5.052 हे० तथा लखविन्दर कौर पत्नी अमरीक सिंह की गाटा संख्या 34, 36, 38 में 4.973 हे० तथा सुनीता पत्नी कुंजविहारी की गाटा संख्या 1, 22घ में 0.962 हे० ज़मीन खरीदी है। इस प्रकार कम्पनी के द्वारा पाँचों विक्रेताओं से कुल 20.545 हे० भूमि ही खरीदी गई है। जबकि सौर ऊर्जा पावर प्लांट के कब्जे में 24.091 हे० भूमि है। पूरी भूमि पर तार बंदी करके निर्माण कार्य भी  कराया जा रहा है।

इस प्रकार कम्पनी ने 3.546 हे० भूमि पर अवैध कब्ज़ा किऐ हैं जो कि लगभग 54 बीघा कृषि भूमि होती है। इस अवैध भूमि के कब्जे का भांडा फोड ग्राम चिलौआ निवासी समाजसेवक गुलाब चंद्र त्रिपाठी के द्वारा जनसूचना अधिकार के तहत  माँगी गई जानकारी में हुआ है। इस संदर्भ में उप निबन्धक जलालाबाद कमलकांत शुक्ला के द्वारा दी गई लिखित सूचना में स्पष्टः किया है। सौर ऊर्जा पावर प्लांट के कब्जे में 24.091 हे० भूमि है। जबकि इस प्लांट के लिए कम्पनी की तरफ से कुल 20.545 हे० कृषि भूमि पाँच विक्रेताओं से खरीदी है। और उस पर आवासीय तथा कृषि दर पर स्टाम्प ड्यूटी अदा की है। अब सवाल यह उठता है कि कम्पनी ने व्‍यवसायिक रेट पर स्टाम्प ड्यूटी क्यों नहीं अदा की गई।

ज्ञात रहे सौर ऊर्जा आधारित पावर प्लांट शुरू से ही विवादों के दायरे मे फंस गया है। कई आरोप लगने के बाद इसकी तत्कालीन एसडीएम जलालाबाद ने जाँच करके इसके निर्माण कार्य को रोक दिया था। लेकिन बाद में इसका काम फिर शुरू करा दिया गया। इस संदर्भ मे एसडीएम जलालाबाद पदम सिंह का कहना है कि  पावर प्लांट के कब्जे वाली भूमि ग्राम  पंचायत  की नहीं है। तो सवाल उठता है। कि पावर प्लांट के अवैध कब्जे की 54 बीघा जमीन का असली  मालिकाना हक किसका है। जैसा कि उप निबन्धक जलालाबाद के द्वारा दी गई लिखित सूचना में स्पष्ट हुआ है।