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रायपुर - पत्रकार तामेश्वर के घर बिना वारंट जबरन घुसी पुलिस, लगाया सट्टेबाजी का आरोप

रायपुर 19 जून 2017 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सरकार और प्रशासन सिर्फ़ जुबानी जमाखर्च कर रही। पत्रकारों की रक्षा व सुरक्षा के नाम पर सैकड़ों संगठन तो हैं मगर इनका होना न होना एक बराबर ही है। नक्सल प्रभावित और सुदूर आंचलिक इलाकों में तो पत्रकार होना ही अपने आप में बहुत बड़ी समस्या है जिससे निपट पाना लगभग असंभव होता जा रहा है क्योंकि पत्रकारों की कोई सुनवाई नहीं होती है। 


कांकेर के पत्रकार तामेश्वर सिन्हा, चूंकि काफी सक्रिय एवं शासन प्रशासन के अत्याचार एवं भ्रष्टाचारों को उजागर करने और क्षेत्र की गंभीर समस्याओं पर ध्यानाकर्षक करने में सफल रहे। 18 जून को रायपुर स्थित कमरे पर सादी वर्दी में पुलिस ने बिना वारन्‍ट जबरन शाम 7 बजे से 10 बजे तक तलाशी ली और रूम में रखी सभी वस्तुओं को तितर-बितर कर चलते बने।

शाम सात बजे अचानक सिविल ड्रेसधारी तथाकथित पुलिस ने तामेश्वर के रूम में पहुंच बताया कि यहां पर सट्टा चलता है। तामेश्वर ने जब जानकारी चाही तब पुलिस ने बताया की वे क्राईम ब्रांच सिविल लाईन रायपुर से आये हैं, क्योंकि यहां पर क्रिकेट में सट्टेबाजी के शक में छापा मार छानबीन कर रहे। जब उन्हें मालूम हुआ की तामेश्वर कांकेर से है तो उनके तेवर बदल गये, मोबाइल छीनने के बाद वाट्सअप पर ग्रुप और कांकेर का नाम देखकर उन्होंने लैपटॉप पर भी कब्जा कर लिया। तामेश्वर और दोस्त उन्हें अपना परिचय बताते रहे लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी।

तामेश्वर और उनके रूम मैट के मोबाईल और कम्पयूटर को पुलिस द्वारा बिना किसी कारण को बताए छीन लिए गया और उसकी जब्ती बनाकर छेड़छाड़ किया, जिससे उसकी हार्ड डिस्क, साफ्टवेयर, फाइल्स और महत्वपूर्ण व उपयोगी डाटा करेप्ट हो गए, बाद में पुलिस ने मोबाइल और लैपटॉप वापस कर चले गए। यहां पर स्पष्ट रूप से समझ सकतें हैं कि पत्रकार को मानसिक रूप से परेशान करने के लिए पुलिस टीम द्वारा सट्टेबाजी का बहाना बनाया गया, जानबूझकर लैपटॉप से छेड़छाड़ किया।  मगर किसके आदेश पर? जिसका उत्तर देने की बजाए पुलिस समझा गई कि सुधर जाओ अन्यथा तुम्हारे लिए दिक्कत हो जाएगी। पत्रकार जगत में इस छापे को लेकर बहुत रोष है।