सुकमा पुलिस का झूठ पकड़ाया, वकीलों ने की शिकायत
रायपुर 01 जून 2017 (जावेद अख्तर). कई बार झूठ बोलना बहुत ज्यादा ही भारी पड़ जाता है उदाहरण स्वरूप सुकमा पुलिस ने वकीलों पर मनगढ़ंत और झूठा आरोप लगाया था जिसकी पुष्टि हाईकोर्ट के आदेश से हो गई। छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक व्यवस्था और नक्सली आत्मसमर्पण की पूरी असलियत आप इससे साफ समझ सकते हैं कि छग में पुलिस खुद को सही साबित करने के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक के नामों का दुरुपयोग करने से गुरेज नहीं करती है।
पोडियाम पंडा के मामले में पहले ही सुकमा पुलिस को अपनी जमकर थू थू कराने के बाद भी मन को संतुष्टि नहीं मिली इसीलिए और बेइज्जती कराने के लिए लालायित पुलिस ने छग के माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के नाम का दुरुपयोग कर खुद को शत प्रतिशत सही साबित कराने का प्रयास किया गया था मगर किस्मत साथ नहीं देने के चलते पुलिस महकमे की यह दिदादिलेरी खुद पुलिस के लिए मुसीबत बन गई।
पोडियाम पंडा के मामले में पहले ही सुकमा पुलिस को अपनी जमकर थू थू कराने के बाद भी मन को संतुष्टि नहीं मिली इसीलिए और बेइज्जती कराने के लिए लालायित पुलिस ने छग के माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर के नाम का दुरुपयोग कर खुद को शत प्रतिशत सही साबित कराने का प्रयास किया गया था मगर किस्मत साथ नहीं देने के चलते पुलिस महकमे की यह दिदादिलेरी खुद पुलिस के लिए मुसीबत बन गई।
गौरतलब हो कि सुकमा पुलिस ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के नाम का उपयोग करके झूठ फैलाया बल्कि पोडियाम पण्डा के बयान के खिलाफ उसकी पत्नी पोडियाम मुइए के वकीलों को बदनाम करने के लिए गलत बयानी की। ज्ञात हो कि पिछले दिनों सुकमा पुलिस के एएसपी जितेन्द्र शुक्ल ने पोडियाम पण्डा द्वारा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपने आत्म समर्पण के संबंध में बयान दिया लेकिन सुकमा के एएसपी द्वारा तुरंत ही न केवल वादियों के वकील से अभद्र व्यवहार किया बल्कि उसी दिन शाम को सोशल मीडिया पर और पुलिस विज्ञप्ति में लिखा कि पण्डा ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बयान दिया कि उसकी पत्नी को वकील सुधा भारद्वाज, शालिनी गेरा, ईशा खंडेलवाल और नंदनी सुन्दर ने बंदी बना लिया है और इसकी शिकायत उसने पुलिस में भी की है।
दूसरे दिन ही वकीलों की संस्था आल इण्डिया लायर्स यूनियन ने प्रेस काफ्रेंस करके इसका खंडन भी किया और कहा की पुलिस वकीलों को डराना चाहती है जिससे कि वह आदिवासियों के पक्ष में खड़े न हों। अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का उस दिन का अंतिम आदेश प्राप्त किया गया है जिसमें पण्डा के बयान में ऐसा कहीं भी नहीं कहा गया पाया है। वकीलों ने इस अभद्रता की शिकायत सभी समुचित स्थानों पर कर दी है। इस शिकायत और आदेश प्रति के बाद सोशल मीडिया पर सुकमा पुलिस के अलावा पूरे पुलिस महकमे की जबरदस्त छीछालेदर हो रही है और लोग मजे ले रहे कि शायद अब काले वोट वाले खाकी वर्दीधारी को अलग ही क्लेवर और फ्लेवर में दिखाई दे रहें होंगे। कुछेक लोगों ने कमेंट्स किया है कि सुकमा पुलिस अपना चेहरा कैसे दिखायेगी यह देखना दिलचस्प होगा।