न्यू जागृति हास्पिटल रेप काण्ड - युसूफ को निर्दोष साबित करने में जुटा अस्पताल प्रबन्धन
कानपुर 20 जून 2017 (सूरज वर्मा). न्यू जागृति हास्पिटल में छात्रा के साथ हुए रेप काण्ड के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली पर अब सवालिया निशान उठने लगे हैं। पुलिस इस मामले में सरासर लापरवाही बरतती नजर आ रही है। सूत्रों के अनुसार पुलिस द्वारा की गयी कुछ गलतियों के कारण ही इतना बवाल बढा। घटना के तत्काल बाद न तो पुलिस ने डयूटी रजिस्टर को और न ही सीसीटीवी फुटेज को अपने कब्जे में लिया।
छोटी सी घटना पर फारेन्सिक टीम बुलाने वाली पुलिस ने अस्पताल की इतनी बडी घटना पर फारेन्सिक टीम को नहीं बुलाया और न ही आइसीयू को सील किया। सोमवार को कानपुर प्रेस क्लब में अस्पताल के प्रबन्धक संजय सिंह ने वार्ता के दौरान कहा कि 15 जून की रात को 11.30 पर शिवानी को उसके पिता चंद्रेश सिंह ने अर्ध बेहोशी की हालत में भर्ती कराया था और ठीक होने के उपरांत दवाइयों का पेमेन्ट न करने पर कर्मचारियों से विवाद हो गया। अस्पताल में जमकर तोड फोड की गयी जिसकी जानकारी युसूफ ने उन्हें फोन पर दी। उस समय अस्पताल में लेडीज स्टॉफ व नर्स मौजूद थीं। आरोपी यूसुफ को नौकरी से निकाल दिया गया है। श्री सिंह ने बताया कि उनका अस्पताल पूरे मानकों के साथ रजिस्टर्ड है।
बताते चलें कि न्यू जागृति अस्पताल की संचालिका संध्या सिंह के द्वारा दी गयी तहरीर में आरोपी की आईसीयू में डयूटी ही नहीं दिखाई थी। वहीं पुलिस द्वारा लिये गये बयानो में अस्पताल के लोगों में ही आपसी विरोधाभास था। एक बात यह भी है कि यदि आरोपी यूसुफ की डयूटी नहीं थी तो किसकी डयूटी थी।
प्रेस वार्ता में संध्या सिंह ने कहा कि वहां गुडिया व रानी दो महिलाओं की तैनाती थी, जबकि अस्पताल के ड्यूटी रजिस्टर पर उस दिन किसी महिला की तैनाती नहीं दर्ज थी। पुलिस ने अस्पताल प्रबन्धन पर कोई कार्यवाही नहीं की और पीडित परिजनों पर मुकदमा तत्काल दर्ज कर दिया। पुलिस ने पास सीसीटीवी फुटेज देखने और स्टाफ के बयान दर्ज करने के नाम पर कोेई जवाब नहीं है। बताते चले कि जागृति अस्पताल की यह घटना नई नहीं है। कुछ महीने पहले लखनऊ से आई टीम ने गर्भपात की सूचना पर इसी अस्पताल में छापा मारा था।