हर-हर बम-बम के उदघोष के साथ उमडा आस्था का जन सैलाब
अल्हागंज 25 जुलाई 2017. भगवान शिव जी की विशेषताओं की वजह से उनको देवों के देव महादेव कहा जाता है। उन्होंने अपने भक्तों को मनवांछित वरदान देते समय अपना भी ख्याल नहीं रखते जैसे पार्वती जी की जिद पर उन्होंने अपने परिवार के रहने के लिए सोने का महल बनवाया, उसके गृह प्रवेश के लिए महापंडित लंका के राजा लंकापति रावण को बुलवाया। उन्होंने जब लंकापति से दक्षिणा लेने के लिए कहा तो लंकापति ने उनसे उनका सोने का महल ही माँग लिया जिसे बाद में सोने की लंका कहा गया।
इसी प्रकार उन्होंने भस्मासुर को अमृत्व का वरदान दे दिया। जिसका परीक्षण शिव जी पर ही करते हुए उनकी भार्या पार्वती को ही हडपने की सोच ली। वो सौम्य हैं, तो रौद्र भी हैं इसलिये उनको संहारक भी कहा जाता है। इन्हीं विशेषताओं की वजह से उनके भक्तों में युवाओं की संख्या सबसे अधिक बडी है। युवा अपने कैरियर की फिक्र की वजह से कांवरिये के रुप में शिव भक्त बन रहे हैं। कोई युवा जमीन पर लेटकर शिवधाम के रास्ते को पूरा करता है, तो कोई कांवर लेकर उनके दरबार में पहुंच कर अपनी अरदास लगाता है।
ज़मीन पर लेटकर शिवधाम जाते हैं भक्त -
क्षेत्र के गांव असरफपुर निवासी रामसजीवन पिछले पाँच वर्षो से गंगातट पंचालघाट फरुँखाबाद से जल लेकर दूसरे गांव नगरा के शिव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए लेट लेट कर जाते हैं। शिव जी के प्रति उनकी बडी श्रद्धा है। एमएससी(कृषि) कर रहे रामसंजीवन अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उनकी इच्छा एक बड़े अधिकारी बनने की है। इसलिये शिव जी की भक्ति में लगे हैं।
क्षेत्र के गांव असरफपुर निवासी रामसजीवन पिछले पाँच वर्षो से गंगातट पंचालघाट फरुँखाबाद से जल लेकर दूसरे गांव नगरा के शिव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए लेट लेट कर जाते हैं। शिव जी के प्रति उनकी बडी श्रद्धा है। एमएससी(कृषि) कर रहे रामसंजीवन अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद उनकी इच्छा एक बड़े अधिकारी बनने की है। इसलिये शिव जी की भक्ति में लगे हैं।
पांडव कालीन है सिद्धवेश्वरनाथ मंदिर -
यहां पांडव कालीन शिव मंदिर अल्हागंज से सात किलो मीटर दूर सीमावर्ती जनपद हरदोई में है। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। मंदिर के आसपास घरघौर जंगल मे महाबली भीम का संपर्क हिडिम्बा नामक राक्षसी से हुआ, इस दौरान घटोत्कच नामक पुत्र पैदा हुआ। हिडिम्बा के नाम पर ही हडा मलिकापुर गांव की पहचान है। इस पांडव क़ालीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार अल्हागंज के स्वर्गीय ओमप्रकाश मिश्रा ने कराया था। इस मंदिर मे कलुआ नामी डकैत ने 51 किलो का एक घण्टा भी चढाया था जो आज भी मंदिर की शोभा बढा रहा है।
यहां पांडव कालीन शिव मंदिर अल्हागंज से सात किलो मीटर दूर सीमावर्ती जनपद हरदोई में है। अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। मंदिर के आसपास घरघौर जंगल मे महाबली भीम का संपर्क हिडिम्बा नामक राक्षसी से हुआ, इस दौरान घटोत्कच नामक पुत्र पैदा हुआ। हिडिम्बा के नाम पर ही हडा मलिकापुर गांव की पहचान है। इस पांडव क़ालीन शिव मंदिर का जीर्णोद्धार अल्हागंज के स्वर्गीय ओमप्रकाश मिश्रा ने कराया था। इस मंदिर मे कलुआ नामी डकैत ने 51 किलो का एक घण्टा भी चढाया था जो आज भी मंदिर की शोभा बढा रहा है।
बारह पत्थर का शिव मंदिर -
इस मंदिर में प्रत्येक सोमवार को तमाम शिव भक्त जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर में शिव लिंग की स्थापना किसने की किसी को नहीं पता है। इस शिव लिंग की मोटाई करीब तीन फिट है। एक बार इसकी लम्बाई नापने के लिए खुदाई भी की गई लेकिन लम्बाई कोई नहीं जान सका।
इस मंदिर में प्रत्येक सोमवार को तमाम शिव भक्त जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर में शिव लिंग की स्थापना किसने की किसी को नहीं पता है। इस शिव लिंग की मोटाई करीब तीन फिट है। एक बार इसकी लम्बाई नापने के लिए खुदाई भी की गई लेकिन लम्बाई कोई नहीं जान सका।
नगर का नर्मदेश्वर नाथ मंदिर -
इस मंदिर की स्थापना स्वर्गीय लाला रोशन लाल ने की थी। इस मंदिर में सावन माह के प्रत्येक सोमवार को शिव जी का रुद्राभिषेक किया जाता है। वैसे भी प्रतिदिन तमाम शिव भक्त मंदिर में शिव प्रतिमा पर जल और बेलपत्र चढाते हैं। कोई कोई भक्त यह कांवर भी चढाता भी आ जाता है।
इस मंदिर की स्थापना स्वर्गीय लाला रोशन लाल ने की थी। इस मंदिर में सावन माह के प्रत्येक सोमवार को शिव जी का रुद्राभिषेक किया जाता है। वैसे भी प्रतिदिन तमाम शिव भक्त मंदिर में शिव प्रतिमा पर जल और बेलपत्र चढाते हैं। कोई कोई भक्त यह कांवर भी चढाता भी आ जाता है।