गौहत्या के आरोपी भाजपा नेता हरीश वर्मा की कोर्ट परिसर में पिटाई, पोती गई कालिख
दुर्ग 20 अगस्त 2017 (हेमंत उमरे). जामुल के शगुन गौशाला संचालक और भाजपा नेता हरीश वर्मा की कोर्ट में सबके सामने पिटाई कर दी गई और उसके चेहरे पर कालिख भी पोती गई। आरोप युवक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर है। भाजपा की ओर से हरीश वर्मा जामुल नगर पालिका उपाध्यक्ष हैं। तनाव को देखते हुए पुलिस उसे कोर्ट में पेश करने में ऐतियात बरत रही थी,
लेकिन फिर भी कालिख पोत ही दी गई।
हरीश वर्मा को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया गया। तनाव को देखते हुए पुलिस उसे कोर्ट में पेश करने में ऐतियात बरत रही थी, लेकिन जैसे ही हरीश वर्मा कोर्ट पहुंचा उस पर कालिख पोत दी गई। इस दौरान हरीश वर्मा को पुलिस ने बचाने की कोशिश की लेकिन वो नाकाम रही। गौरतलब है कि हरीश वर्मा की दो गौशालाओं में साढ़े तीन सौ गायों की मौत हो गई है। इन गायों की मौत भूख से हुई है जबकि उन्होंने गायों को पालने के लिए तीन साल में करीब 50 लाख रुपये अनुदान लिया था। विदित हो कि मरी गायों के अलावा जिंदा गायों को भी गौशाला में भूसे
के नीचे छुपाकर रखा गया था।
गौशाला में गायों को दिन में लाया जाता था मगर बाहर देर रात ही निकालते थे। महीने भर में तकरीबन सात-आठ बार देर रात कमजोर गायों को ट्रकों में भरकर ले भी जाया जाता था। गौशाला के आसपास कोई भी बाहरी व्यक्ति दिखाई देता तो गौशाला के कर्मी उस पर निगाह रखते। परंतु एक दिन हमारे पत्रकार हेमंत को गौशाला के भीतर का दृश्य देखने का मौका मिला जिसे देखने के बाद समझ आया कि गौशाला में गायों की बुरी दुर्दशा है और अधिकांश गाय बेहद कमजोर थीं। तब पत्रकार हेमंत उमरे कुछ ग्रामीणों को लेकर भाजपा नेता हरीश वर्मा के गौशाला में पहुंचे। गौशाला कर्मियों ने भीतर जाने का विरोध किया मगर ग्रामीणों की संख्या अधिक होने के चलते कर्मी रोक पाने में असमर्थ रहे। ग्रामीण जब अंदर पहुंचे तब उन्हें भी गौशाला की वास्तविकता का पता चला, इधर उधर पचासों गाय मृत पड़ी थी और कुछेक अधमरी थीं।
हैरानी की बात ये है कि तीन सौ से भी अधिक गायों की मौत का मामला सामने आया लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से इस संदर्भ में कोई सुध नहीं लिया गया। यहां तक कि ग्रामीणों के आक्रोश और सैकड़ों गायों के बीमारी की खबर सामने आने के बाद भी पशु चिकित्सक गौशाला में जांच करने नहीं पहुंचे थे। मामले में सबसे बड़ी लापरवाही प्रशासनिक अफसरों की उजागर हुई क्योंकि सूचना दिए जाने के कई घंटे बाद जिला प्रशासन गौशाला पहुंचा था, जबकि गौशाला से थाने की दूरी एक हज़ार मीटर भी नहीं है। वहीं पशु चिकित्सा विभाग भी बेसुध ही रहा सूचना के बाद काफी देर से घटनास्थल पर पहुंचा। हालांकि तब तक कुछेक जागरूक लोगों ने सोशल मीडिया पर उक्त सूचना, फोटोग्राफ और वीडियो वायरल कर दिया। जिससे मीडिया और आसपास के लगभग तीन से चार सौ ग्रामीण गौशाला में इकठ्ठा हो गये।
गौशाला में गायों को दिन में लाया जाता था मगर बाहर देर रात ही निकालते थे। महीने भर में तकरीबन सात-आठ बार देर रात कमजोर गायों को ट्रकों में भरकर ले भी जाया जाता था। गौशाला के आसपास कोई भी बाहरी व्यक्ति दिखाई देता तो गौशाला के कर्मी उस पर निगाह रखते। परंतु एक दिन हमारे पत्रकार हेमंत को गौशाला के भीतर का दृश्य देखने का मौका मिला जिसे देखने के बाद समझ आया कि गौशाला में गायों की बुरी दुर्दशा है और अधिकांश गाय बेहद कमजोर थीं। तब पत्रकार हेमंत उमरे कुछ ग्रामीणों को लेकर भाजपा नेता हरीश वर्मा के गौशाला में पहुंचे। गौशाला कर्मियों ने भीतर जाने का विरोध किया मगर ग्रामीणों की संख्या अधिक होने के चलते कर्मी रोक पाने में असमर्थ रहे। ग्रामीण जब अंदर पहुंचे तब उन्हें भी गौशाला की वास्तविकता का पता चला, इधर उधर पचासों गाय मृत पड़ी थी और कुछेक अधमरी थीं।
हैरानी की बात ये है कि तीन सौ से भी अधिक गायों की मौत का मामला सामने आया लेकिन जिला प्रशासन की तरफ से इस संदर्भ में कोई सुध नहीं लिया गया। यहां तक कि ग्रामीणों के आक्रोश और सैकड़ों गायों के बीमारी की खबर सामने आने के बाद भी पशु चिकित्सक गौशाला में जांच करने नहीं पहुंचे थे। मामले में सबसे बड़ी लापरवाही प्रशासनिक अफसरों की उजागर हुई क्योंकि सूचना दिए जाने के कई घंटे बाद जिला प्रशासन गौशाला पहुंचा था, जबकि गौशाला से थाने की दूरी एक हज़ार मीटर भी नहीं है। वहीं पशु चिकित्सा विभाग भी बेसुध ही रहा सूचना के बाद काफी देर से घटनास्थल पर पहुंचा। हालांकि तब तक कुछेक जागरूक लोगों ने सोशल मीडिया पर उक्त सूचना, फोटोग्राफ और वीडियो वायरल कर दिया। जिससे मीडिया और आसपास के लगभग तीन से चार सौ ग्रामीण गौशाला में इकठ्ठा हो गये।