डीएवी कॉलेज में देखिये 1857 की क्रांति के ऐतिहासिक अभिलेख
कानपुर 08 सितम्बर 2017 (सूरज वर्मा). डीएवी कॉलेज के ऑडिटोरियम में चल रही प्रदर्शनी में 1857 की क्रांति के ऐतिहासिक अभिलेख दर्शाए
गए हैं। प्रदर्शनी के इंचार्ज संतोष यादव ने बताया कि इन प्रदर्शनियों
का उद्देश्य है कि 1857 की क्रांति के इतिहास को लोग जान सकें। सभी एेतिहासिक प्रमाणों को एनलार्ज कर यहां प्रदर्शनी के रूप में प्रयोग किया गया है।
झांसी
की रानी की लक्ष्मीबाई का तो क्रांति में अहम योगदान रहा था प्रदर्शनी में
लक्ष्मीबाई के बनारस स्थित जब्त किए गए भवनों की सूची के मूल रूप वाले
अभिलेख, लक्ष्मीबाई और नाना साहब की जब्त की गई सम्पत्ति के मूल अभिलेखों को दर्शाया गया है। 19 अक्टूबर 1858 को लक्ष्मीबाई
और उनके सहयोगियों की सम्पत्ति की जब्ती कर दी गयी थी। वहीं 19 फरवरी 1858
लक्ष्मीबाई के द्वारा पहला उनका हैंड रिटेन पत्र है जो बुंदेली भाषा मे
लिखा गया है। लक्ष्मीबाई की मोहर का मूल प्रमाण आज भी मौजूद है। अंग्रजों द्वारा झांसी की सुरक्षा हेतु तैयार किया मानचित्र भी मौजूद है।
अप्रैल 1858 में लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हो गयी थीं जिसके लिये
ग्वालियर से जनरल आर हैमिल्टन ने गवर्नर जनरल लार्ड केनिंग और अन्य
पदाधिकारियों को 18 जून 1858 के तार द्वारा सूचना दी गयी कि लक्ष्मी बाई
युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गयीं हैं। वे मूल प्रमाण आज भी मौजूद हैं इन
सभी प्रमाणों को एनलार्ज कर प्रदर्शनी के रूप में प्रयोग किया गया है।
क्रांति से जुड़ा तात्याटोपे का इतिहास का भी जिक्र मौजूद है। तात्या टोपे की गिरफ्तारी वाले वारेंट के अभिलेख भी यहां मौजूद हैं। नाना
साहब की गिरफ्तारी हेतु रुपये 1 लाख के पुरस्कार की घोषणा सम्बन्धी
इश्तेहार के अभिलेख के बारे में भी वर्णन किया गया है। 1857 की क्रांति में
कानपुर में क्रांति का विस्फोट का अलग ही इतिहास मौजूद है। कानपुर के
बिठूर के पास 20 अंग्रेजों को कैद कर मार दिया गया वो भी अभिलेख हैं। 1857 में लखनऊ के रेजीडेंसी में घिरे हुए अंग्रेजों के दस्तावेज मौजूद
हैं।