एक और नजीब - ढाई साल से अपहृत आमिर का नहीं मिला कोई सुराग
लखनऊ 01 सितम्बर 2017 (ए.एस खान). दिल्ली के बहुचर्चित नजीब कांड की ही तरह का एक और मामला राजधानी से सटे जिला हरदोई से सामने आया है। यहां पुलिस छिले ढाई सालों से अपहृत आमिर का आज तक कोई सुराग नहीं लगा सकी है। जिला हरदोई निवासी आमिर को घर से बुला कर उसके दोस्त ले गये थे।
पीडित परिवार सरकार से लेकर मानवाधिकार के ठेकेदारों तक के दरवाजे तक सर पटक कर हार चुका है।
जानकारी के अनुसार दिल्ली के बहुचर्चित नजीब कांड की ही तरह का एक और मामला राजधानी से सटे जिला हरदोई से सामने आया है। जहां पिछले लगभग ढाई वर्ष पहले आमिर खान नाम के 22 वर्षीय युवक का अपहरण हो गया था।
पीडित परिवार पुलिस प्रशासन से लेकर मानवाधिकार आयोग तक की दहलीज पर सर पटक-पटक कर थक गया, किन्तु न्याय तो दूर पीडित परिवार को कही से सांत्वना के दो शब्द तक नहीं मिल सके।
बीती दिनांक 17/6/2015 को 22 वर्षीय आमिर खान पुत्र मुबीन अहमद खान निवासी अब्दुल पुरवा पिहानी चुंगी थाना कोतवाली देहात जिला हरदोई का अपहरण उसी के दोस्तों द्वारा कर लिया गया था।
आमिर के पिता का हरदोई के सिनेमा रोड पर बडे चौराहे के पास (इन्डियन प्रिन्टिंग प्रेस) के नाम से एक छापा खाना है।
आमिर अपने दोस्त नूर आलम पुत्र निसार अहमद निवासी मोमिनाबाद थाना कोतवाली जिला हरदोई के साथ पार्टनर शिप में राशन कार्ड की छपाई का कार्य कर रहा था।
दोनों लोग एक ठेकेदार राहुल श्रीवास्तव से काम लाते थे तथा कार्ड छाप कर राहुल श्रीवास्तव को ही पहुंचा देते थे।
कार्ड की छपाई का बकाया ढाई लाख रुपये आमिर के राहुल श्रीवास्तव पर निकल रहे थे, जिसे देने में राहुल ना नुकुर कर रहा था।
दिनांक 17/6/2015 को आमिर अपने एक अन्य दोस्त आरिफ के साथ घर में बता कर गया की राहुल से पैसा लेने जा रहा हूं, वो फिर लौट कर नहीं आया।
आरिफ जिस मोटर साइकिल सीटी 100 नम्बर यूपी-30 एफ-9890 से गया था वो मोटरसाइकिल पुलिस ने बाद में लावारिस बरामद कर ली।
घटना की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना कोतवाली शहर हरदोई में मुकदमा अ0सं0-682/15/धारा 364 के तहत दर्ज है।
जिसमें आरिफ, नूर आलम तथा राहुल श्रीवास्तव को नामजद किया गया।
उक्त तीनों ही राजनैतिक शरण रखते हैं जिसके कारण शुरू से ही पुलिस की विवेचना लचर रही तथा अभियुक्तों की गिरफ्तारी के कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए। जिसके कारण अभियुक्तों ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया तथा वर्तमान में जमानत पर हैं। आरोप है कि नूर आलम का नाम हरदोई पुलिस ने चार्ज शीट से साजिशन हटा दिया जबकी परिवार वालों के कथनुसार मुख्य साजिशकर्ता नूर आलम ही है। जिसने आरिफ को फोन करके कहा था कि जाओ राहुल पैसे लिए बैठा है पैसे ले आओ।
साथ ही नूर आलम ने ही आरिफ को भी आमिर के पास भेजा था की वो आमिर को फौरन राहुल के पास लेकर पहुंचे।
उस समय की काल डिटेल का ही यदि पुलिस जरा संज्ञान लेकर विवेचना करती तो एक नहीं अनेक तथ्य ऐसे मिल जाते जो केस खोलने में महत्वपूर्ण होते । क्यों कि उस दौरान आमिर के नम्बर 9795177262 एवं राहुल श्रीवास्तव नम्बर 7505425883 तथा नूर आलम नम्बर 9696205646 तथा आरिफ नम्बर 9919906910 की डिटेल टैली करती है।
यही नहीं उक्त अभियुक्तों को रिमांड पर लिया जाना चाहिए था जिससे केस खुल सकता था, किन्तु हरदोई पुलिस ने खेल किया।
घटना की विवेचना के नाम पर जब तब पीडित परिवार का ही उत्पीडन पुलिस करने लगी तथा जब भी कही कोई लाश मिलती पुलिस जवान बेटे के गम में सुध बुध खोये बैठे पीडित माँ बाप को बुलाकर लाश को पहचानने को कहती।
पुलिस की संवेदनहीनता उस समय तो चरम पर पहुंच गई जब दिनांक 22/6/2015 को एक अज्ञात शव जली अवस्था में मलिहाबाद थाना क्षेत्र में पाया गया। उसे हरदोई पुलिस ने आमिर साबित करने की पूरी कोशिश की। किन्तु परिवार वालों के विरोध के कारण अंत में डीएनए टैस्ट पर सहमति बनी।
आमिर के माता पिता का डीएनए सैम्पल लेकर एफ.एस.एल लखनऊ में प्रदर्श संख्या 6471/- दिनांक 15/7/2015 को जांच हेतु भेजकर पुलिस ने विवेचना बंद कर दी।
इस बीच अभियुक्तों ने न्यायालय में सरैन्डर कर दिया तथा जमानत पर बाहर आ गये। आरोपी पीडित को धमकाते हुये केस से नाम कटवाने का दबाव आदी बनाते रहे, राजनैतिक पहुंच के बल पर केस को कमजोर करने का हर सम्भव प्रयास किया गया। आमिर के वृद्ध माता पिता संबंधित थाना कोतवाली, एसपी हरदोई से लेकर लखनऊ के एफएसएल तथा मानवाधिकार आयोग तक के चक्कर काटते रहे।
मानवाधिकार आयोग ने डीएनए रिपोर्ट आने तक कुछ नहीं कर सकते ऐसा कह कर साफ कर दिया की उसकी कर्तव्य निष्ठा क्या है। लखनऊ में एफएसएल ने डीएनए रिपोर्ट देने में दो साल का समय लेकर दिखाया की सरकारी कार्यप्रणाली क्या है।
जांच में सैम्पल मैच नहीं हुआ।
इस संबंध में जब एसपी हरदोई से बात की तो उन्होंने बताया कि पुलिस ने अपनी ओर से पूरी कोशिश करके देख ली। हमें लाश के बारे में पूर्ण विशवास था की आमिर की ही लाश है, किन्तु अब जब सैम्पल ही नहीं मैच हुआ तो हम करें भी तो क्या। हम चार्ज शीट बना कर कोर्ट में पेश कर रहे हैं आगे कोर्ट में देखिए जा कर। सजा देना हमारा काम नहीं है।