खलनाईका - दहेज प्रथा को बना कर हथियार, पुलिस के सहयोग से हो रहा है दुर्व्यवहार
लखनऊ 20 सितम्बर 2017 (ए.एस खान). महिलाओं पर अत्याचार, दहेज उत्पीडन, एव अन्य महिलाओं से जुडे अपराधो की रोक थाम के लिए चलाऐ गये अभियानों से क्या कोई हल निकला। शायद नही, समाज मे आज भी उस वर्ग विशेष की महिलाओं की वही स्थिति है। रोज ही समाचार पत्रों में बलात्कार गैंगरेप एवं महिलाओं के उत्पीडन से संबंधित खबरें छाई रहती हैं।
दूसरी ओर महिला सशक्तिकरण के नाम पर बनाये गये कानूनों तथा दिये गये अधिकारों का धडल्ले से दुरुपयोग हो रहा है तथा एक दो नहीं सैकडों हजारो की संख्या में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें असामाजिक महिलाओं ने अपने हित साधने हेतु महिला सशक्तिकरण कानून एवं दिये गये अधिकारों का जम कर दुरूपयोग करते हुए कई प्रकार से समाज का घोर उत्पीडन किया। तो वहीं पुलिस ने भी ऐसे मामलों में घोर अनियमित्ताऐं बरती तथा उपलब्ध साक्ष्यों की अनदेखी करते हुए कई जगह धन बल के दबाव में एक पक्षीय कार्रवाई कर पीडित को ही कटहरे में खडा कर दिया।
इसी क्रम में पहली घटना उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की है जहाँ साल भर से अधिक समय से घर बैठी बहू ने 120-किलो मीटर दूर जिला हरदोई में रहने वाली अपनी सास पर 307 का केस दर्ज करा दिया। पुलिस की संवेदनहीनता देखिए की उसने बिना किसी साक्ष्य तथा मेडिकल रिपोर्ट के वृद्ध एवं बीमार सास को जिला हरदोई से गिरफ्तार भी कर लाई। प्राप्त जानकारी के अनुसार लखनऊ के पेपरमिल कालोनी निवासी सुनंदा वर्मा पुत्री अशोक वर्मा का विवाह गौसगंज जिला हरदोई निवासी अनिल सोनी से 11 जून 2014 को हुआ था। शादी के बाद से ही सुनंदा पती अनिल सोनी से लखनऊ में घर लेकर रहने की जिद करने लगी तथा इसी बात पर घर मे विवाद होने लगे। अनिल ने कई बार अपने ससुर अशोक वर्मा से भी सुनंदा को समझाने को कहा किन्तु ससुर अशोक वर्मा ने हर बार बेटी सुनंदा का पक्ष लिया।
यही नही विवाद बढने की स्थिति में ससुर अशोक वर्मा ने (जो की राज्य संपत्ति विभाग मे ड्राइवर के पद पर कार्यरत हैं ) ने अपनी अधिकारियों से पहुंच बता कर अनिल और उसके परिवार को बंद कराने की धमकी भी दी। हार कर एवं ससुराल पक्ष के दबाव में अनिल सुनंदा संग लखनऊ आ कर रहने लगा। कभी ससुराल में तो कभी अलग किराये का घर लेकर। किन्तु सुनंदा फिर भी बात बात पर झगडती रही एव सुनंदा के पिता, पुत्री का पक्ष लेकर अनिल को प्रताणित करते रहे। 9 जून 2016 को सुनंदा अनिल में फिर झगडा हुआ तथा अशोक ने एक बार फिर पुत्री का पक्ष लेते हुए अनिल को अपमानित किया। प्रताडना से तंग आकर अनिल सोनी अपने घर गौसगंज हरदोई चला गया। जिसको ढूंढते हुऐ 11/ जून 2016/ को सुनंदा भी हरदोई पहुंच गई हरदोई में भी सुनंदा का तांडव जारी रहा जहाँ से अनिल के घरवालों ने स्थानीय पुलिस की मदद एवं सूचना संज्ञान में 25/ जून 2016 को लखनऊ वापस भेज दिया। धीरे धीरे 15 महीने बीत गये। दोनों पक्षों के बीच इस बीच संवाद बिल्कुल बंद रहा तथा सुनंदा न ही फिर अपनी ससुराल हरदोई गयी और न ही अनिल के घर से कोई सुनंदा के घर गया।
शनिवार दिनांक 16 सितम्बर 2017 को अचानक लखनऊ के हजरतगंज थाने की पुलिस मय महिला सिपाहियों के अनिल के घर गौसगंज हरदोई पर धावा बोलती है तथा अनिल की बीमार वृद्ध माता किरन वर्मा को गिरफ्तार कर लाई धारा 307 के केस में आरोपी बना कर। इस दौरान न तो पुलिस ने कोई पूर्व सूचना दी और न ही कोई वारंट दिखाया। हरदोई से लखनऊ लाते समय किरन वर्मा की तबियत बिगड गई तथा पुलिस ने कोई इलाज कराये बगैर तुरंत कोर्ट में पेश कर दिया जहां से उन्हें उपचार हेतु पुलिस अभिरक्षा में बलरामपुर हास्पिटल भेज दिया गया। वर्तमान में किरन वर्मा पुलिस कस्टडी में लखनऊ के बलरामपुर हास्पिटल की इमरजेंसी के 5 नम्बर वार्ड में इलाज करा रही है। पूरा मामले में पुलिस द्वारा घोर अनियमिततायें बरती गयी विशेष कर महिला थाना प्रभारी द्वारा ।
इसी प्रकार का एक मामला लखनऊ के राजाजी पुरम का है -
यहां के निवासी श्री अक्षय कुमार का विवाह सिपैहया जिला हरदोई के महादेव की पुत्री सत्यरूपा से हुआ था। किन्तु दोनों के विचारों में काफी विरोधाभास था जिस कारण अक्सर विवाद होता रहता था । किन्तु एक दिन एक छोटे से विवाद में सत्यरूपा ने हरदोई से पिता महादेव को बुला लिया और पति अक्षय कुमार सहित पिता तुलसी राम, माँ राभदेवी, जेठ अवनीश कुमार तथा जेठानी रजनी देवी के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी । घटना 2013 की है तब से आज तक अक्षय कुमार अपने परिवार सहित कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।
धन बल के आगे पुलिस ने बगैर विवेचना किऐ लडकी के पक्ष में एकतरफा कार्रवाई की थी। ऐसे एक दो नहीं सैकडों मामले हैं जहाँ महिलाओं ने सशक्तिकरण की आड में दिऐ गये अधिकारों का दुरुपयोग किया है पुलिस की मदद से। और फिर लखनऊ जैसे शहर में राज्य संपत्ति विभाग का ड्राइवर होना बडी बात है। किसी भी अधिकारी से फोन करा कर अपने पक्ष मे दबाव बना बडी बात नहीं। तो वही दूसरी ओर अनेकों ऐसी भी महिलाएं है जिनको वास्तव में प्रताणित किया जा रहा है और उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं होती हर जगहा से टरका दिया जाता है अथवा विवेचना के नाम पर भुक्तभोगी को ही प्रताणना दी जाती है। कारण है पैसा, लडके के पक्ष वाले पैसों से मजबूत निकले जबकी लडकी पक्ष गरीब। कुल मिला कर बाप बडा न भइया सबसे बडा रूपइया।
दूसरी ओर महिला सशक्तिकरण के नाम पर बनाये गये कानूनों तथा दिये गये अधिकारों का धडल्ले से दुरुपयोग हो रहा है तथा एक दो नहीं सैकडों हजारो की संख्या में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसमें असामाजिक महिलाओं ने अपने हित साधने हेतु महिला सशक्तिकरण कानून एवं दिये गये अधिकारों का जम कर दुरूपयोग करते हुए कई प्रकार से समाज का घोर उत्पीडन किया। तो वहीं पुलिस ने भी ऐसे मामलों में घोर अनियमित्ताऐं बरती तथा उपलब्ध साक्ष्यों की अनदेखी करते हुए कई जगह धन बल के दबाव में एक पक्षीय कार्रवाई कर पीडित को ही कटहरे में खडा कर दिया।
इसी क्रम में पहली घटना उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की है जहाँ साल भर से अधिक समय से घर बैठी बहू ने 120-किलो मीटर दूर जिला हरदोई में रहने वाली अपनी सास पर 307 का केस दर्ज करा दिया। पुलिस की संवेदनहीनता देखिए की उसने बिना किसी साक्ष्य तथा मेडिकल रिपोर्ट के वृद्ध एवं बीमार सास को जिला हरदोई से गिरफ्तार भी कर लाई। प्राप्त जानकारी के अनुसार लखनऊ के पेपरमिल कालोनी निवासी सुनंदा वर्मा पुत्री अशोक वर्मा का विवाह गौसगंज जिला हरदोई निवासी अनिल सोनी से 11 जून 2014 को हुआ था। शादी के बाद से ही सुनंदा पती अनिल सोनी से लखनऊ में घर लेकर रहने की जिद करने लगी तथा इसी बात पर घर मे विवाद होने लगे। अनिल ने कई बार अपने ससुर अशोक वर्मा से भी सुनंदा को समझाने को कहा किन्तु ससुर अशोक वर्मा ने हर बार बेटी सुनंदा का पक्ष लिया।
यही नही विवाद बढने की स्थिति में ससुर अशोक वर्मा ने (जो की राज्य संपत्ति विभाग मे ड्राइवर के पद पर कार्यरत हैं ) ने अपनी अधिकारियों से पहुंच बता कर अनिल और उसके परिवार को बंद कराने की धमकी भी दी। हार कर एवं ससुराल पक्ष के दबाव में अनिल सुनंदा संग लखनऊ आ कर रहने लगा। कभी ससुराल में तो कभी अलग किराये का घर लेकर। किन्तु सुनंदा फिर भी बात बात पर झगडती रही एव सुनंदा के पिता, पुत्री का पक्ष लेकर अनिल को प्रताणित करते रहे। 9 जून 2016 को सुनंदा अनिल में फिर झगडा हुआ तथा अशोक ने एक बार फिर पुत्री का पक्ष लेते हुए अनिल को अपमानित किया। प्रताडना से तंग आकर अनिल सोनी अपने घर गौसगंज हरदोई चला गया। जिसको ढूंढते हुऐ 11/ जून 2016/ को सुनंदा भी हरदोई पहुंच गई हरदोई में भी सुनंदा का तांडव जारी रहा जहाँ से अनिल के घरवालों ने स्थानीय पुलिस की मदद एवं सूचना संज्ञान में 25/ जून 2016 को लखनऊ वापस भेज दिया। धीरे धीरे 15 महीने बीत गये। दोनों पक्षों के बीच इस बीच संवाद बिल्कुल बंद रहा तथा सुनंदा न ही फिर अपनी ससुराल हरदोई गयी और न ही अनिल के घर से कोई सुनंदा के घर गया।
शनिवार दिनांक 16 सितम्बर 2017 को अचानक लखनऊ के हजरतगंज थाने की पुलिस मय महिला सिपाहियों के अनिल के घर गौसगंज हरदोई पर धावा बोलती है तथा अनिल की बीमार वृद्ध माता किरन वर्मा को गिरफ्तार कर लाई धारा 307 के केस में आरोपी बना कर। इस दौरान न तो पुलिस ने कोई पूर्व सूचना दी और न ही कोई वारंट दिखाया। हरदोई से लखनऊ लाते समय किरन वर्मा की तबियत बिगड गई तथा पुलिस ने कोई इलाज कराये बगैर तुरंत कोर्ट में पेश कर दिया जहां से उन्हें उपचार हेतु पुलिस अभिरक्षा में बलरामपुर हास्पिटल भेज दिया गया। वर्तमान में किरन वर्मा पुलिस कस्टडी में लखनऊ के बलरामपुर हास्पिटल की इमरजेंसी के 5 नम्बर वार्ड में इलाज करा रही है। पूरा मामले में पुलिस द्वारा घोर अनियमिततायें बरती गयी विशेष कर महिला थाना प्रभारी द्वारा ।
इसी प्रकार का एक मामला लखनऊ के राजाजी पुरम का है -
यहां के निवासी श्री अक्षय कुमार का विवाह सिपैहया जिला हरदोई के महादेव की पुत्री सत्यरूपा से हुआ था। किन्तु दोनों के विचारों में काफी विरोधाभास था जिस कारण अक्सर विवाद होता रहता था । किन्तु एक दिन एक छोटे से विवाद में सत्यरूपा ने हरदोई से पिता महादेव को बुला लिया और पति अक्षय कुमार सहित पिता तुलसी राम, माँ राभदेवी, जेठ अवनीश कुमार तथा जेठानी रजनी देवी के खिलाफ रिपोर्ट लिखा दी । घटना 2013 की है तब से आज तक अक्षय कुमार अपने परिवार सहित कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।
धन बल के आगे पुलिस ने बगैर विवेचना किऐ लडकी के पक्ष में एकतरफा कार्रवाई की थी। ऐसे एक दो नहीं सैकडों मामले हैं जहाँ महिलाओं ने सशक्तिकरण की आड में दिऐ गये अधिकारों का दुरुपयोग किया है पुलिस की मदद से। और फिर लखनऊ जैसे शहर में राज्य संपत्ति विभाग का ड्राइवर होना बडी बात है। किसी भी अधिकारी से फोन करा कर अपने पक्ष मे दबाव बना बडी बात नहीं। तो वही दूसरी ओर अनेकों ऐसी भी महिलाएं है जिनको वास्तव में प्रताणित किया जा रहा है और उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं होती हर जगहा से टरका दिया जाता है अथवा विवेचना के नाम पर भुक्तभोगी को ही प्रताणना दी जाती है। कारण है पैसा, लडके के पक्ष वाले पैसों से मजबूत निकले जबकी लडकी पक्ष गरीब। कुल मिला कर बाप बडा न भइया सबसे बडा रूपइया।
खलनाईका के दूसरे भाग में। दो प्रताणित महिलाओं की स्टोरी..........