कोर्ट की अवमानना पर, हाईकोर्ट में उपस्थिती के लिए सीएस, सचिव, कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी
बिलासपुर 13 सितंबर 2017 (रवि अग्रवाल). बिलासपुर हाईकोर्ट ने कोरिया जिले में जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) की राशि में अनियमितताएं व भ्रष्टाचार को लेकर एडिशनल एडवोकेट जनरल वाई.एस. ठाकुर को राज्य के खनिज सचिव से मामले में जानकारी लेकर जवाब देने को कहा है। मामले की अगली सुनवावई 26 अक्टूबर को होगी।
दरअसल हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने 45 दिन में मामले की जांच कर कार्यवाही के निर्देश जारी किए थे। लेकिन राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश का पालन समय सीमा में नहीं किया तो याचिकाकर्ता ने अवमानना का मामला दाखिल कर दिया।
नोटिस पर अफसरों की हालत खराब -
याचिकाकर्ता गुलाब सिंह कमरो कोर्ट की अवमानना को लेकर मामला दाखिल कर दिया है। इसमें राज्य के मुख्य सचिव विवेक ढांढ, खनिज सचिव सुबोध सिंह और जिला कलेक्टर नरेन्द्र दुग्गा को पार्टी बनाया है। कोर्ट ने एडिशनल एडवोकेट जनरल को बुलाकर राज्य के खनिज सचिव से अब की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। हाईकोर्ट की नोटिस ने सभी प्रशासनिक अधिकारियों के माथे पर पसीना ला दिया है क्योंकि उपस्थित होने पर जवाब देना मुश्किल हो जाएगा और उपस्थित न होने पर हाईकोर्ट सख्त कदम उठा सकता है। कोरिया के खनिज विभाग में भी उक्त नोटिस चहुंओर चर्चा का विषय बना हुआ है तो वहीं खनिज अधिकारियों की हालत पतली हो गई है क्योंकि एक तरफ कुंआ तो दूसरी तरफ खाई और बीच में हाईकोर्ट का डंडा है, जायें तो भी जाएं कहां?
मामले को दबाने में लगा प्रशासन -
इस संबंध में याचिकाकर्ता गुलाब सिंह कमरों ने कहा कि, छग प्रशासन को हाईकोर्ट का कोई डर नहीं है। उनका आरोप है कि जांच के नाम पर प्रशासन मामले को ठंडे बस्ते में डालने में लगा हुआ है। वर्तमान प्रशासन ने डीएमएफ के नियमों की भारी अवहेलना कर नियम विरुद्ध कई करोड़ रूपये स्वीकृत कर चुका है, जिनमें कई अनियमितताएं बरती जा रही है। कमरो का आरोप है कि अब तो कार्य का 10 प्रतिशत लेकर चाहे जिसको कार्य दे दिया जा रहा है। वर्तमान प्रशासन की भी कोर्ट में शिकायत की जा रही है।
क्या है मामला -
जानकारी के मुताबिक, जिला खनिज न्यास राशि के हेरफेर का मामले में लगी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने 7 अप्रेल 2017 को जारी आदेश में राज्य सरकार को 45 दिन में याचिकाकर्ता की सभी शिकायतों के आधार पर जांच करने के निर्देश दिए। उसके बाद समय सीमा बीत गई, तत्कालिन कलेक्टर और सीईओं को सीएम ने यहां से हटा दिया, राज्य सरकार ने मामले की जांच का जिम्मा नवपदस्थ कलेक्टर को दे दिया, जबकि जांच स्वयं सरकार को करना था, उसके बाद याचिकाकर्ता को प्रशासन ने बुलाया। याचिकाकर्ता के सामने जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट भी रखी गई, जांच में सबकुछ ठीक बताया गया था, याचिकाकर्ता ने खनिज सचिव के सामने ही जांच रिपोर्ट ही खारिज कर दिया। इधर, राज्य सरकार ने दुबारा सूक्ष्म जांच के निर्देश फिर से जिला प्रशासन को दी, परन्तु जांच आगे नहीं बढ़ी, वहीं जिला प्रशासन ने 45 दिन बीतते ही नियम विरूद्ध कई कार्याें की स्वीकृति देना शुरू कर दिया। कुछ दिन बाद राज्य सरकार ने फिर एक पत्र भेजा, जिसमें याचिकाकर्ता से बात कर जांच करने के निर्देश जारी किए, परन्तु जांच के संबंध में प्रशासन ने चुप्पी साध ली, इधर, जांच की समय सीमा बीते दो माह से ज्यादा हो गया। याचिकाकर्ता गुलाब सिंह कमरो कोर्ट की अवमानना को लेकर मामला दाखिल कर दिया, जिसमें राज्य के मुख्य सचिव विवेक ढांढ, खनिज सचिव सुबोध सिंह और जिला कलेक्टर नरेन्द्र दुग्गा को पार्टी बनाया है। कोर्ट ने एडिशनल एडवोकेट जनरल को बुलाकर राज्य के खनिज सचिव से अब की गई कार्यवाही की जानकारी मांगी है।
सरकारी वेबसाईट में अधूरी जानकारी -
याचिकाकर्ता गुलाब सिंह कमरो का आरोप है कि डीएमएफ को लेकर केन्द्र सरकार ने पारदर्शिता बरतने को लेकर स्पष्ट निर्देश दे रखे हैं। बावजूद इसके कोरिया में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। 17 मई 2017 के बाद जिला प्रशासन डीएमएफ की राशि खर्च कर रहा है, परन्तु इसकी जानकारी वेबसाईट पर नहीं डाली जा रही है। अभी तक सिर्फ 31 मार्च 2017 तक स्वीकृत कार्यो की सूची ही वेबसाईट पर उपलब्ध है, जबकि डीएमएफ की वार्षिक कार्ययोजना, मिली रायल्टी की जानकारी, स्वीकृत आदेशों की प्रति, सेक्टरवार खर्च की गई राशि की जानकारी, कार्यों के लिए जारी किए टेंडर, कोटेशन की जानकारी की जानकारी सार्वजनिक किए जाने के निर्देश है। मगर इनका पालन नहीं किया जा रहा है। सरकारी वेबसाइटों पर 5-6 माह बीतने के बाद जानकारियां अपडेट की जाती है जबकि विभागों ने वेबसाइटों पर अपडेशन के लिए कम्प्यूटर प्रोग्रामर के रूप में दैनिक वेतन पर कर्मी तक रखें गयें है। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सभी दिशा निर्देशों का उल्लंघन बार बार किया जा रहा है, मुख्यमंत्री तक शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है और न ही वेबसाइट व्यवस्था में सुधार किया जा रहा है।