तेज बुख़ार से बालक की मौत, स्वास्थ्य सेवाएँ हुयीं बेकार
अल्हागंज 18 सितम्बर 2017 (अमित वाजपेयी). क्षेत्र के गांव चिलौआ में रविवार की शाम को तेज बुखार से एक और बालक की मौत हो गई। क्षेत्र के लगे गांवों में बुखार व दस्त से अब तक चार बच्चों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य सेवाएँ पंगु हैं। विभागीय कर्मचारियों की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगता जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की अकर्मण्यता के चलते कर्मचारी अपनी ड्यूटी के प्रति लापरवाह बने हुए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव चिलौआ निवासी रजनेश उर्फ़ रज्जू हिमाचंल प्रदेश में नौकरी करता है। उसका सात माह का पुत्र अंकेश पिछले तीन दिनों से तेज बुख़ार से पीड़ित चल रहा था, और उसका उपचार अल्हागंज, जलालाबाद तथा मालूपुर में भी कराया गया। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। रविवार की शाम को उसकी मौत हो गई। बेचारा अंकेश अपने पिता की सूरत भी नहीं देख पाया। स्वास्थ्य विभाग की अकर्मण्यता के चलते कर्मचारी अपनी ड्यूटी के प्रति लापरवाह बने हुए हैं।
बालक की मौत होने के बाद अल्हागंज के सामुदायिक स्वस्थ्य केन्द्र के कर्मचारी दवा वितरण की औपचारिकता करने पहुंचे। गांव के ही 55 वर्षीय रामदास बताते है कि एक सप्ताह से बुख़ार चल रहा है। अल्हागंज के सरकारी अस्पताल से इलाज कराया पर कोई फायदा नहीं हुआ। सरकारी दवाईया बेअसर साबित हो रही हैं। इसी गांव के रामासरे, बादाम सिंह, कालीचरन, धनीराम, रामऔतार बताते हैं कि गांव में कभी भी कीटनाशक दवाईयों का छिडकाव नहीं हुआ, न ही कभी फागिंग कराई गई। ए.एन.एम गांव नहीं आती है। अब तक क्षेत्र में चार मौते हो चुकी हैं। जिसमें गांव चिलौआ से एक किलो मीटर दूर गांव कोयला में लंकुश के बच्चे डायरिया से मर गए थे। इसी प्रकार बजीरपुर बंजर मे एक बालिका की मौत बुखार से हो चुकी है।
अल्हागंज के सामुदायिक केन्द्र के चिकित्सा प्रभारी आदेश रस्तोगी बताते है। कि पिछले तीन दिनों से बच्चा तेज बुख़ार से बीमार था। इसकी सूचना किसी ग्रामीण तथा विभागीय कर्मचारी ने उनको नहीं दी। मौके पर स्वास्थ्य कर्मचारियों की एक टीम रवाना कर दी है।
दस वर्ष पूर्व बना गांव का उपस्वास्थ्य केन्द्र खस्ता हाल
गांव चिलौआ में दस वर्ष पूर्व बना उपस्वास्थ्य केन्द्र खस्त हाल है। रखरखाव न होने की वजह से अस्पताल खंडहर बन चुका है। चारों तरफ़ व उसके परिसर में झांडिया खडी है। केन्द्र में दो रसोईघर, दो शौचालय, चार कमरे बने हुए हैं। दवाखाने के अंदर बिछा मारवल कई जगह टूट गया है। उसके विंडो टूटे हुए हैं। तथा उसका मुख्य दरवाज़ा टूट चुका है। ग्राम प्रधान पति आलोक मिश्रा बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को उपकेंद्र के खस्ता हाल होने की सूचना दे रख्खी है। उसकी मरम्मत अभी तक नहीं कराई गई साफ सफाई भी नहीं होती। जब से इसका निर्माण हुआ तब से किसी भी विभागीय कर्मचारी की नियुक्ति वहाँ नहीं की गई है। अगर वहाँ स्वस्थ्य उपकेंद्र का मेंटीनेंस कर दिया जाये तो क्षेत्र के ग्रामीणों के स्वस्थ्य की समस्याओ से निजात पाया जा सकता है।
गांव चिलौआ में दस वर्ष पूर्व बना उपस्वास्थ्य केन्द्र खस्त हाल है। रखरखाव न होने की वजह से अस्पताल खंडहर बन चुका है। चारों तरफ़ व उसके परिसर में झांडिया खडी है। केन्द्र में दो रसोईघर, दो शौचालय, चार कमरे बने हुए हैं। दवाखाने के अंदर बिछा मारवल कई जगह टूट गया है। उसके विंडो टूटे हुए हैं। तथा उसका मुख्य दरवाज़ा टूट चुका है। ग्राम प्रधान पति आलोक मिश्रा बताते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को उपकेंद्र के खस्ता हाल होने की सूचना दे रख्खी है। उसकी मरम्मत अभी तक नहीं कराई गई साफ सफाई भी नहीं होती। जब से इसका निर्माण हुआ तब से किसी भी विभागीय कर्मचारी की नियुक्ति वहाँ नहीं की गई है। अगर वहाँ स्वस्थ्य उपकेंद्र का मेंटीनेंस कर दिया जाये तो क्षेत्र के ग्रामीणों के स्वस्थ्य की समस्याओ से निजात पाया जा सकता है।