छग के किसानों का प्रदेश स्तरीय आंदोलन शुरू, अपने हक के लिए सड़कों पर उतरा अन्नदाता
रायपुर 21 सितंबर 2017 (जावेद अख्तर). आज से प्रदेश भर के किसान अपनी-अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सीएम हाउस का घेराव करेंगे. इस हेतु प्रदेश के अनेक स्थानों में जगह-जगह किसान बैठकों का दौर चल रहा है।
रायपुर, बिलासपुर, सरगुजा, बस्तर संभाग एवं राजनांदगांव, बालोद, धमतरी, दुर्ग, धमधा, खैरागढ़, रायगढ़, कोरबा, कोरिया, कवर्धा, अंबिकापुर, जगदलपुर, सूरजपुर, बलौदा बाजार, बेमेतरा, महासमुंद सहित अनेक जिले में किसानों के द्वारा बैठकें ली जा रही है।
सभी स्थानों पर किसानों में राज्य शासन द्वारा सिर्फ एक वर्ष के बोनस दिए जाने की घोषणा को लेकर गहरी नाराजगी दिख रही है। यही नहीं प्रदेश में भीषण सूखा पड़ा है लेकिन सूखा राहत के नाम पर सरकार द्वारा किसी भी तरह की कोई सहायतार्थ पैकेज का ऐलान नहीं किया गया है। इस कारणवश प्रदेश के अधिकांश किसान सरकार के बोनस से और अधिक भड़क गए हैं और उनका कहना है कि सरकार प्रदेश के गरीब किसानों साथ ओछा मजाक कर रही और उनकी अंतरात्मा को ठेस पहुंचा रही है। रमन सरकार ने अपनी नीतियों से प्रदेश के किसानों को फंदे पर झूलने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। विगत दस वर्षों के दौरान प्रदेश के जितने भी किसानों ने आत्महत्या की, उसकी जिम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ रमन सरकार है।
सभी स्थानों पर किसानों में राज्य शासन द्वारा सिर्फ एक वर्ष के बोनस दिए जाने की घोषणा को लेकर गहरी नाराजगी दिख रही है। यही नहीं प्रदेश में भीषण सूखा पड़ा है लेकिन सूखा राहत के नाम पर सरकार द्वारा किसी भी तरह की कोई सहायतार्थ पैकेज का ऐलान नहीं किया गया है। इस कारणवश प्रदेश के अधिकांश किसान सरकार के बोनस से और अधिक भड़क गए हैं और उनका कहना है कि सरकार प्रदेश के गरीब किसानों साथ ओछा मजाक कर रही और उनकी अंतरात्मा को ठेस पहुंचा रही है। रमन सरकार ने अपनी नीतियों से प्रदेश के किसानों को फंदे पर झूलने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। विगत दस वर्षों के दौरान प्रदेश के जितने भी किसानों ने आत्महत्या की, उसकी जिम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ रमन सरकार है।
बढ़ती कृषि लागत के कारण किसानों का कर्ज बहुत बढ़ चुका है और किसान कर्ज मुक्ति की मांग कर रहे हैं। इसी तरह भाजपा ने वर्ष 2013 के चुनाव में मुफ्त बिजली का वादा किया था लेकिन अब तक बिजली का बिल अनाप-शनाप आ रहा है जिससे किसान त्रस्त हैं। विगत सप्ताह महासमुंद जिले के बसना क्षेत्र के हजारों किसानों के लिये चक्का जाम जैसा कदम उठाना पड़ा था।
ब्लाक स्तर पर बैठक -
आरंग ब्लाक के ग्राम नारा में छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संचालक मंडल सदस्य रूपन चन्द्राकर, पप्पू कोसरे, गोविन्द चन्द्राकर के नेतृत्व में किसानों की बैठक हुई। जिसमें आसपास के 18 गांवों नारा, भानसोज, ख़ौली, परसदा, संडी, खम्हरिया, रीवां, नवागांव आदि के प्रमुख किसान प्रतिनिधि फणीन्द्र वर्मा, गिरधारी लाल वर्मा, भूषण लाल साहू, मोहन लाल साहू गोवर्धनलाल कन्नौजे, नंद कुमार साहू आदि उपस्थित किसानों ने 21 सितंबर को अपनी मांगों को लेकर सीएम हाउस के घेराव के लिए तैयारी पर आम सहमति मांगें जाने पर ज्यादातर किसानों एवं संगठनों ने सहमति जताई है।
किसानों से डरी रमन सरकार, धारा 144 लागू -
रमन सरकार की नीतियों से प्रदेश के किसान इस कदर आक्रोशित हो गयें हैं कि पूरे प्रदेश के अलग अलग क्षेत्रों के किसान सीएम हाउस का घेराव करने की तैयारी कर रहे। तीन चार दिनों से किसानों की बैठकें एवं घेराव मीडिया की सुर्खियों में है। विरोध में एकत्रित होते किसानों की अत्यधिक बड़ी संख्या ने राज्य सरकार को दिन में ही तारे दिखा दिए। और तत्काल धारा 144 लागू कर दी गई है।
किसान नेताओं को लिया हिरासत में -
धारा लागू होने के बाद पुलिस प्रशासन ने राजनांदगांव और कवर्धा इलाके में किसानों की रैली को आगे जाने पर रोक लगा दी, किसान नेताओं और पुलिस अफसरों के बीच बहसबाजी हो गई। पुलिस ने रैली को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज कर दिया और पांच किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया। यह खबर आग की तरह पूरे प्रदेश में फैल गई, वहीं इस घटना के बाद पच्चीसों संगठनों ने राज्य सरकार की भत्सर्ना करते हुए इसे तानाशाही करार दिया, वहीं प्रदेश भर में इस घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया तथा किसान नेताओं को तत्काल रिहा करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है।
जायज़ हक की मांगों को कुचलने का प्रयास -
किसान मजदूर महासंघ, प्रगतिशील किसान संघ, ट्रेड यूनियन और तमाम किसान संगठनों के साथ कांग्रेस, आप, जकांछ आदि सभी भाजपा सरकार के खिलाफ लामबंद हो गये हैं। संगठनों का आरोप है कि रमन सरकार किसानों की लाखों की संख्या और एकता व शक्ति से इस कदर भयभीत हो गई कि किसानों की जायज मांगों एवं हक की आवाज़ को दबाने के लिए प्रदेश भर में धारा 144 लागू कर पुलिस प्रशासन को तैनात कर दिया है। आश्चर्य चकित करने वाली बात है कि किसानों द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकाली जा रही तो फिर धारा 144 लागू करने का क्या औचित्य। संभवतः रमन सरकार भूल बैठी है कि इन्हीं किसानों की वजह से ही तीन बार सत्ता मिली है मगर रमन सरकार ने किसानों को सिर्फ वोटबैंक माना, सत्ता मिलने के बाद किसानों को उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया। किसान सिर्फ अपना न्यायिक और जायज़ हक मांग रहे हैं। उग्र आंदोलन तो नहीं कर रहे।
धारा 144 लागू करने पर किसान एवं नेता, रमन सरकार पर कटाक्ष एवं व्यंग्य कर रहे, सोशल मीडिया पर तमाम तरह के व्यंग्यात्मक लेख, चुटकुले, पोस्टर, फोटो एवं कार्टून पोस्ट कर रहे तो वहीं विपक्षी दल भी सरकार की फिरकी ले रहे। इन हरकतों से प्रदेश नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर रमन सरकार की जमकर आलोचना हो रही और खूब खिल्ली उड़ रही है।