कानपुर के उर्सला अस्पताल में डाक्टरों की लापरवाही से मरीज की मौत
कानपुर 06 सितम्बर 2017 (सूरज वर्मा). एक बार फिर कानपुर में इंसानियत को शर्मसार करने वाला घटनाक्रम सामने आया
है जहाँ भगवान का दूसरा रूप कहे जाने वाले डॉक्टर्स की लापरवाही से मरीज की जान चली गयी। जब मरीजों और उनके
तीमारदारों के साथ डाक्टर ऐसा व्यवहार करें कि मरीज़ की जान चली जाए तो मरीज आखिर जायें कहां ?
मामला है कानपुर के उर्सला अस्पताल का, जहां सांस की
बीमारी और बुखार से पीडित एक 60 वर्षीय व्यक्ति की अस्पताल प्रशासन की
लापरवाही के चलते दर्दनाक मौत हो गयी। परिजनों ने डॉक्टर्स पर आरोप लगाते
हुए कहा कि 2 घण्टे तक इधर उधर ये कह कर भटकाते रहे कि इस रूम में चले जाओ, उस रूम में चले जाओ और एडमिट तक नहीं किया। इस दौरान उर्सला के इमरजेंसी में परिजनों और डॉक्टर्स के
बीच इमरजेंसी में वाद-विवाद जारी है।
अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही -
श्याम नगर के रहने वाले मृतक के बेटे संजीत कुमार ने बताया कि
सुबह 10 बजे सांस की बीमारी के चलते सुखदेव राम (60) को उर्सला अस्पताल ले
कर आये थे। जहां ओपीडी में पहले पर्चा बनवाने के बाद उन्होंने कहा कि
इन्हें 12 नंबर में दिखाइए, फिर बोले कि 26 में ले जाइये वहां बताया गया कि 27 में लेकर जाइये। इस प्रकार डाक्टर लोग यहां वहां टहलाते रहे। काफी देर
ऐसे ही मरीज़ को लिए टहलने के बाद एक डाक्टर ने कहा कि मरीज़ को 4 नंबर इमरजेंसी ले कर
जाइये। इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर्स ने मरीज़ को भर्ती तक नहीं किया और
कहा कि वापस ले जाओ। जिसके बाद मरीज़ की मौत हो गयी।
2 घण्टे तक डाक्टरों ने दौड़ा-दौड़ा कर मरीज़ को इधर उधर घुमवाया इस दौरान आखिर सुखदेव ने बीच में ही दम तोड़ दिया। दूसरी तरफ इमरजेंसी के
डॉक्टर नासिर ने बताया कि मरीज़ को यहां लाया ही नहीं गया। यहां सीरियस पेशेंट
हम लोग पहले देखते हैं। जबकि साफ साफ मृतक मरीज़ के तीमारदार कह रहे हैं
कि हम यहां मरीज़ को ले कर आये हैं, लेकिन उन्होंने साफ भर्ती करने से इनकार
कर दिया। ऐसा में फिर से एक बार अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में है। वहीं
इस मामले में सीएमओ अशोक शुक्ला ने पीड़ित पक्ष को न्याय
दिलाने का आश्वासन दिया है और जांच करने की बात कही है।