खुले में शौच के दौरान हो रही हैं हत्या एवं बलात्कार की ताबडतोड घटनाऐं
लखनऊ 07 Oct 2017. एक तरफ केन्द्र सरकार शौचालय निर्माण के अभियान पर करोडों अरबों रूपये केवल प्रचार पर फूंक रही है। तो वहीं दूसरी ओर खुले में शौच के दौरान हत्या एवं बलात्कार की ताबडतोड घटनाऐं सरकार की योजना की गंभीरता की पोल खोल रही हैं।
बुधवार को मलिहाबाद थाना क्षेत्र में शौच जाते समय दिल्ली से आई एक छात्रा के साथ गैंग रेप कर उसके सिर पर गोली मार दी गयी।
राजधानी से महज 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में खुले में शौच रोकने की कवायद मिथ्या साबित हो रही है। बडी-बडी होर्डिंग, विज्ञापन, यहाँ तक कि मेगा स्टारों की अपील सारी की सारी कवायद केवल कागजी साबित हो रही हैं। माल, मलिहाबाद, मोहनलाल गंज, निगोहा, जैसे ग्रामीण क्षेत्रों ही में नहीं राजधानी लखनऊ में भी अनेकों घर शौचालय विहीन हैं। पिछले सप्ताह घटी रेप एवं रेप के प्रयास की अनेकों घटनाओं का मुख्य कारण खुले में शौच के लिए जाना रहा। माल में किशोरी के साथ छेडछाड की घटना मोहनलाल गंज में दिव्यांग किशोरी के साथ शौच जाते समय भरी दोपहरी में बलात्कार के प्रयास की घटना सरकार की खुले में शौच से मुक्ति के अभियान का सच बयान कर रही है।
निगोहां के भगवान गंज गांव में मंडलायुक्त के अर्दली के पद से रिटायर सत्य नारायण की हत्या शौच जाते समय कर दी गयी। देवां रोड पर पडने वाले गांवों की स्थिति भी अत्यंत दयनीय है । गांव कस्बे से इतर राजधानी के भी कई क्षेत्रों में अनेकों मकान शौचालय विहीन हैं। दूर दराज के क्षेत्रों की स्थिति कैसी होगी आकलन किया जा सकता है। मोहान रोड पर अनेकों गांवों में अनेक प्रकार की घटनाएं शौच जाने के दौरान घटित हुई है। उपरोक्त गावों में अधिकांश घरों में शौचालय नहीं है अधिकांश लोग खुले में ही निवृत्त होने जाते हैं। मलिहाबाद खंड एवं उसके आस पास के अनेकों गांवों के ग्रामीण आज भी नित्य क्रिया खुले में कर रहे हैं जिससे छेडख़ानी, बलात्कार, रंजीशन हत्या आदी जैसी अनेको घटनाऐं घटित हो रही हैं।
सरकार का शौचालय निर्माण अभियान भी केवल प्रचार के लिए ढकोसला मात्र है । क्योंकि सरकार ने जहाँ तक जानकारी है कि प्रत्येक शौचालय निर्माण के लिए बीस हजार रुपये अनुदान देने की घोषणा की है। बीस हजार रूपए कम नहीं हैं शौचालय निर्माण के लिए। किंतु ये बीस हजार रूपए अनुदान की घोषणा चौदह लाख की घोषणा की तरह सफेद हाथी साबित हो रही है। संवाददाता ने जब खुले में शौच करने वाले कुछ लोगों से शौचालय निर्माण कराने तथा सरकार के अनुदान के विषय में जानना चाहा तो अनेकों लोगों ने जटिल प्रक्रिया को कोसा। प्रत्यक्ष दर्शियो के अनुसार केवल यह पता करने में की अनुदान के फार्म कहां मिलेंगे तथा प्रक्रिया क्या है उनके पसीने छूट गए। कोई सही जानकारी नहीं देता अत: घोषणाओं पर अब उनका जरा भी विश्वास नहीं रहा।
राजधानी से महज 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में खुले में शौच रोकने की कवायद मिथ्या साबित हो रही है। बडी-बडी होर्डिंग, विज्ञापन, यहाँ तक कि मेगा स्टारों की अपील सारी की सारी कवायद केवल कागजी साबित हो रही हैं। माल, मलिहाबाद, मोहनलाल गंज, निगोहा, जैसे ग्रामीण क्षेत्रों ही में नहीं राजधानी लखनऊ में भी अनेकों घर शौचालय विहीन हैं। पिछले सप्ताह घटी रेप एवं रेप के प्रयास की अनेकों घटनाओं का मुख्य कारण खुले में शौच के लिए जाना रहा। माल में किशोरी के साथ छेडछाड की घटना मोहनलाल गंज में दिव्यांग किशोरी के साथ शौच जाते समय भरी दोपहरी में बलात्कार के प्रयास की घटना सरकार की खुले में शौच से मुक्ति के अभियान का सच बयान कर रही है।
निगोहां के भगवान गंज गांव में मंडलायुक्त के अर्दली के पद से रिटायर सत्य नारायण की हत्या शौच जाते समय कर दी गयी। देवां रोड पर पडने वाले गांवों की स्थिति भी अत्यंत दयनीय है । गांव कस्बे से इतर राजधानी के भी कई क्षेत्रों में अनेकों मकान शौचालय विहीन हैं। दूर दराज के क्षेत्रों की स्थिति कैसी होगी आकलन किया जा सकता है। मोहान रोड पर अनेकों गांवों में अनेक प्रकार की घटनाएं शौच जाने के दौरान घटित हुई है। उपरोक्त गावों में अधिकांश घरों में शौचालय नहीं है अधिकांश लोग खुले में ही निवृत्त होने जाते हैं। मलिहाबाद खंड एवं उसके आस पास के अनेकों गांवों के ग्रामीण आज भी नित्य क्रिया खुले में कर रहे हैं जिससे छेडख़ानी, बलात्कार, रंजीशन हत्या आदी जैसी अनेको घटनाऐं घटित हो रही हैं।
सरकार का शौचालय निर्माण अभियान भी केवल प्रचार के लिए ढकोसला मात्र है । क्योंकि सरकार ने जहाँ तक जानकारी है कि प्रत्येक शौचालय निर्माण के लिए बीस हजार रुपये अनुदान देने की घोषणा की है। बीस हजार रूपए कम नहीं हैं शौचालय निर्माण के लिए। किंतु ये बीस हजार रूपए अनुदान की घोषणा चौदह लाख की घोषणा की तरह सफेद हाथी साबित हो रही है। संवाददाता ने जब खुले में शौच करने वाले कुछ लोगों से शौचालय निर्माण कराने तथा सरकार के अनुदान के विषय में जानना चाहा तो अनेकों लोगों ने जटिल प्रक्रिया को कोसा। प्रत्यक्ष दर्शियो के अनुसार केवल यह पता करने में की अनुदान के फार्म कहां मिलेंगे तथा प्रक्रिया क्या है उनके पसीने छूट गए। कोई सही जानकारी नहीं देता अत: घोषणाओं पर अब उनका जरा भी विश्वास नहीं रहा।