बाहर आया बाबरी मस्जिद का नया जिन्न, मुगलों के वंशज ने ठोका दावा
लखनऊ 01 नवम्बर 2017 (ए.एस खान). बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए बहादुर शाह जफर के वंशज प्रिंस याकूब हबीबउद्दीन तूसी ने आज अपना दावा पेश किया। राजधानी के होटल क्लार्क अवध में प्रेसवार्ता में उनके साथ ब्राह्मण महासभा के महासचिव अमरनाथ भी मौजूद थे ।
उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड से खुद को मुतवल्ली बनाए जाने की मांग करते हुए बाबरी मस्जिद पर शिया वक्फ बोर्ड के किसी भी तरह के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर सुन्नी वक्फ बोर्ड मुझे मुतवल्ली नहीं बनाता तो मैं अदालत का दरवाजा खटखटाउंगा। डीएनए की रिपोर्ट पेश करते हुए हबीबउद्दीन ने कहा कि वंशज होने के नाते मैं बाबरी मस्जिद का मालिक हूं। सवाल यह है कि बहादुर शाह जफर के वंशज होने का दावा करने वाले प्रिंस याकूब हबीब उद्दीन तुसी अब तक कहां थे ।
यदि इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो महान क्रांतिकारी बहादुर शाह जफर आखिरी मुगल कहलाते हैं। क्योंकि अंग्रेजों ने उनके सभी पुत्रों को क़त्ल करके उनके सरों को बकायदा थाल में सजा कर बहादुर शाह जफर के सामने पेश किया था। इस तरह से बहादुर शाह जफर के तमाम उत्तराधिकारी उनके दौर में ही समाप्त हो गए थे। यही कारण था के बहादुर शाह जफर को आखिरी मुगल कहा जाता है।
हो सकता है प्रिंस हबीबउद्दीन तूसी के दावे में सत्यता भी हो। किंतु यदि डीएनए परीक्षण को ही आधार मान लिया जाए तो मुगलों की हजारों-हजार वंशज पैदा हो जाएंगे क्योंकि मुगलों और नवाबों की दो चार नही सैंकडों की संख्या में रानियां हुआ करती थी। जिनसे एक अकेले पीतल के नवाब हबीब उद्दीन तुसी के अलावा हजारों-हजार की संख्या में वंशज इस समय होंगे। तूसी साहब के दावे के पीछे कितनी हकीकत और कितना फसाना है, यह तो वही बेहतर जाने। किंतु उनका इस दौर में इतने विवाद के बाद सामने आना, वो भी इस अदा के साथ (मुगल भेष में) कुछ ना कुछ तो फसाना बनाया जाना तय मालूम पडता है। कुछ नहीं तो इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए दो चार दिन हल्ला मचाने का समान तो बनेगा ही।