विधान सभा बना चन्द्रपुर, फिर भी नहीं मिला स्थानीयों को रोजगार
जांजगीर चांपा 08 नवंबर 2017 (जावेद अख्तर). उद्योगों और महानदी बैराज निर्माण के भू विस्थापितों को आज तक मुआवजा और रोजगार दोनों नहीं मिला। उक्त बैराज, जिन प्लांट्स को पानी देने बनाया गया, उन संयंत्रों में भू विस्थापितों को भी स्थाई रोजगार दिया जाना चाहिए। चन्द्रपुर इलाका अब विधान सभा बन चुका है, फिर भी अभी तक स्थानीयों को रोजगार नहीं मिल पाया है।
श्रम अधिनियम व दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रहे ठेकेदार -
इंटक प्रदेशाध्यक्ष दीपक दुबे ने एक प्रेस वार्ता में आज यहां कहा कि जिले के चंद्रपुर विस क्षेत्र आज औद्योगिक क्षेत्र में तब्दील हो गया फिर भी यहां स्थापित उद्योगों में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल रहा है, जिसे मिल भी गया गया है उन श्रमवीर साथियों का उद्योगों में कार्यरत बाहरी राज्यों के ठेकेदारों द्वारा शोषण करते हुए निर्धारित मजदूरी से आधी मजदूरी दिया जाना दुखद है। तो वहीं श्रम मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रत्येक दिवस 24 घंटे में से 8 घंटे काम लिया जाना है एवं संयंत्र के कार्य या उत्पादन या अन्य कारणों के चलते आवश्यकतानुसार अतिरिक्त समय तक कार्य लिया जाए तो उसका भुगतान सामान्य दैनिक मजदूरी की दर से अधिक यानि दर बढ़ाकर मजदूरी का भुगतान किया जाए। परंतु संयंत्रों के ठेकेदारों द्वारा 8 की बजाए 10-11 घंटों तक लगातार काम लिया जा रहा एवं अतिरिक्त समय के कार्य यानि ओवर टाइम के लिए मजदूरों को अतिरिक्त भुगतान नहीं दिया जाता है। जबकि ठेकेदार सीधे सीधे श्रम अधिनियम का उल्लंघन एवं मंत्रालय के दिशा निर्देशों का माखौल उड़ा रहे हैं।
वहीं ठेकेदारों द्वारा मजदूर भाइयों के जान माल की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की जाती जिसकी वजह से लगातार मजदूर साथी दुर्घनाग्रस्त होकर असमय अपनी जान गंवा रहे या फिर अपंग हो रहें हैं। दुर्घटनाग्रस्त मजदूरों को मुआवजा एवं चिकित्सकीय खर्च तक नहीं दिया जाता है। इन सभी लापरवाही, मनमानी, भर्राशाही के चलते मजदूरों की सुरक्षा, मूलभूत सुविधा, निर्धारित दर के हिसाब से मजदूरी भुगतान एवं ओवर टाइम का अतिरिक्त भुगतान को लेकर वे जल्द ही बड़े व व्यापक स्तर पर आंदोलन करेंगें।
महानदी में बने सभी बैराजों के भू-विस्थापितों को मुआवजा देने तथा जिन उद्योग को पानी देने के लिए निर्माण कराया गया, उन उद्योगों में स्थाई रोजगार की मांग को लेकर भी समस्त बैराज के भू-विस्थापितों को संगठित करेंगे। यहां के स्थापित उद्योगों द्वारा भू-विस्थापितों को रोजगार नहीं दिया गया है उस पर सभी उद्योगों के प्रभावित ग्रामों को संगठित करने का आह्वान करते हुए कहा कि सीएसआर मद की राशि से क्षेत्र और प्रभावित ग्रामों का विकास होना चाहिए था, किन्तु उक्त राशि को जिला मुख्यालय में भाजपा सरकार अपनी पार्टी के प्रचार प्रसार में खर्च कर आयोजनों के लिए बड़े बड़े पंडाल डोम बनवाकर प्रभावित ग्रामों व ग्रामीणों का हक मार रही है।