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स्‍वच्‍छ भारत अभियान को मुंह चिढा रहा है अनवरगंज स्टेशन

कानपुर 22 जनवरी 2018 (अमित कश्यप के साथ अमित कौशल). किसी जगह के प्रवेश द्वार को देखकर उस जगह के विकास और महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है। ये कहावत चरितार्थ होती है अनवरगंज स्‍टेशन पर। कहने को तो कानपुर सेंट्रल के बाद सबसे करीब का स्टेशन अनवरगंज है। पर विकास और सुंदरीकरण में ये  सबसे पीछे है।


यहां प्रवेश द्वार पर रोड खुदी हुई है, जिस पर दिन भर यात्री चल कर चुटहिल होते हैं। दो-दो पार्क हैं, पर किसी वीरान जंगल की तरह, एक पार्क में किसी का कब्जा है तो दूसरे में कूड़ाघर, जिसमें कुत्ते और सुअर धमा चौकड़ी करते हैं । सड़क के किनारे की दीवारें किसी सार्वजनिक मूत्रालय का आभास कराती हैं, जहाँ कोई भी मूत्र विसर्जन करता दिख जायेगा,  चाहे युवतियां अथवा महिलाएं  अपनी आँखें झुका कर निकल जाए पर लोगों पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा ।
 
क्षेत्र वासीयों से जानकारी हुई कि कई वर्ष पहले जब अनवरगंज के अमान परिवर्तन पर पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद जी आये थे तब पूरे परिसर को सुंदर और दर्शनीय बनाया गया था। उसके बाद से आज तक स्टेशन और आस-पास का इलाका अपने विकास की बाट जोह रहा है कि शायद रेल प्रशासन या क्षेत्रीय सभासद की नजरें इनायत हो जायें।