अल्हागंज सामुदायिक स्वास्थ केंद्र पर मरीज घंटों करते हैं डॉक्टर का इंतजार
शाहजहांपुर 09 जनवरी 2018 (अमित वाजपेयी). कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की हालात इतनी बदतर है कि यहां मरीज घंटों तक डॉक्टरों के आने का इन्तजार करते रहते हैं. आधे से अधिक चिकित्सक और नर्सिंग कर्मियों के पद रिक्त बताए जाते हैं। स्वास्थ्य केन्द्र पर आए दिन घन्टों तक ताला भी लटका हुआ रहता है, जिससे मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है और उनकी फरियाद सुनने वाला कोई नहीं है.
एक तरफ़ जिले के अधिकारीगण रात दिन छापेमारी कर के वाह वाही लूट रहे हैं दूसरी तरफ सरकार भी गरीबों के लिये बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और बेहतर इलाज देने के वास्ते पैसा पानी की तरह बहा रही है। जिससे ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे ग़रीबों को इलाज मुफ़्त में मिल सके। लेकिन डॉक्टरों की मनमानी के चलते गरीबों को मुफ़्त में मिलने वाला सरकारी इलाज नहीं मिल पा रहा हैं। कारण है डाक्टरों की लापरवाही, जो समय से अस्पताल नहीं पहुँचते हैं। जिसके कारण दूर दराज क्षेत्र से आये मरीज घंटो इंतज़ार करने के बाद सरकारी तन्त्र को कोसते हुये वापस चले जाते हैं। कहने को तो अल्हागंज सामुदायिक केन्द्र है, पर यहां कोई काम सरकारी कायदे से नहीं होता है।
आपको बता दे कि नगर समेत दर्ज़नों ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों के इलाज का जिम्मा इसी केन्द्र पर हैं। यहां इलाज हेतु आये राम अवतार ने हमारे संवाददाता को बताया कि अल्हागंज सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र के खुलने का समय कोई नहीं है। मरीज 10 बजे पहुँच जाते हैं, पर मरीज़ों से फार्मासिस्ट कायदे से बात न करके उनसे अभद्र भाषा का प्रयोग करते हैं। अपनी मां का ईलाज करवाने आये जुनैद ने बताया कि यहां के डाक्टर साहब लगभग दो महीने से हमेशा 12 बजे के बाद ही आते हैं। जिसकी शिकायत कई लोगों ने जिलाधिकारी से भी की। पर डाक्टर साहब का अभी भी वही हाल है। अल्हागंज सामुदायिक केन्द्र में गांव क्षेत्र से लगभग 200 आदमी रोजाना इलाज के लिए आते हैं। पर डाक्टर साहब को नदारद देख कर वापस चले जाते हैं।
नगर व क्षेत्र के झोलाछाप डाक्टरों की हो रही चांदी -
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर इलाज न होने के कारण मरीज़ मजबूरी में अपना इलाज झोलाछाप डाक्टरों से करवाते हैं। आपको बता दें कि नगर व आसपास के क्षेत्र में करीब 50 झोलाछाप डाक्टर बैठते हैं। शीतलहर की वजह से उनकी तो इस समय चांदी ही चांदी है। प्रशासन की इस बारे में खामोशी आश्चर्यचकित करती है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर इलाज न होने के कारण मरीज़ मजबूरी में अपना इलाज झोलाछाप डाक्टरों से करवाते हैं। आपको बता दें कि नगर व आसपास के क्षेत्र में करीब 50 झोलाछाप डाक्टर बैठते हैं। शीतलहर की वजह से उनकी तो इस समय चांदी ही चांदी है। प्रशासन की इस बारे में खामोशी आश्चर्यचकित करती है।