अबकी बार दगा देने वाली है रईस बनारसी की किस्मत ???
कानपुर 21 फरवरी 2018 (सूरज वर्मा). बनारस से लेकर भोपाल और
कानपुर तक लूट, उगाही और हत्या जैसी घटनाओं को गैंग चलाकर अंजाम देने वाला
शातिर बदमाश रईस बनारसी काफी समय से पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। ऐसा
नहीं कि पुलिस प्रयास नहीं कर रही है। उसे रईस के आने की खबर भी लगती है,
उसे दबोचने को पुलिस जाल भी बिछाती है। लेकिन रईस अपने बहुरुपिया होने के
चलते हर बार जाल से साफ बचकर निकल जाता है।
पुलिस विभाग के सूत्रों की माने तो रईस बनारसी की किस्मत अबकी बार दगा देने वाली है और जल्द ही उसका एन्काउन्टर होना तय है। अफवाहें तो आज ये भी जोरों पर रहीं कि रईस बनारसी पहले से ही क्राइम ब्रान्च की गिरफ्त में है और पुलिस उसके एन्काउन्टर की कहानी सेट करने में जुटी है। ये सब बातें केवल अफवाह हैं या इनमें कुछ सच्चाई भी है ये तो समय ही बतायेगा। फिलहाल हम इनकी पुष्टि करने में असमर्थ हैं।
बताते चलें कि शहर के अनवरगंज के हीरामन का पुरवा से जरायमकी दुनिया में
पैर रखने वाले रईस सिद्दीकी उर्फ रईस बनारसी को प्रदेश के बड़े क्रिमिनल के
तौर पर जाना जाता है। भाई की हत्या के बाद रईस ने बनारस में दशाश्वमेघ घाट
स्थित खालिसपुरा मकान नम्बर- डी 33/191 स्थित अपने ननिहाल में इसने पनाह
ली थी। इस दौरान इसने बनारस के राजेश अग्रहरी, राजकुमार उर्फ गुड्डू मामा,
बच्चा यादव, अवधेश सिंह ,बाले पटेल, पंकज उर्फ नाटे, कानपुर के शब्लू अण्डारोल और कटेसर (रामनगर) के
जावेद खां को मिलाकर एक गैंग बना लिया। सूत्रों की मानें तो इसको एक पूर्व
विधायक ने भी संरक्षण दे रखा था। जिसके कारण पुलिस भी इसकी गिरेबान तक
पहुंचने से कतराती थी।
बनारस में रहने के कारण क्राइम वर्ल्ड में लोगों ने रईस को रईस बनारसी के
नाम से जाना। गैंग चलाने के लिए उसने लूट व हत्या के साथ मुंगेर (बिहार) से
विदेशी असलहों की तस्करी शुरू कर दी। बिहार से यह असलहे रुई, कबाड़ और
भूसें के ट्रकों में छिपाकर प्रदेश में लाये जाते। क्राइम ब्रांच के
सूत्रों की मानें तो रईस की गिनती उन चंद खूंखार बदमाशों में होती है जो
लूट, रंगदारी के लिए जान लेने से नहीं हिचकते। कानपुर में भाई नौशाद के
हत्यारे शानू ओलंगा से बदला लेने की कसम खाने वाले रईस सिद्दीकी ने जब
क्राइम वर्ल्ड में कदम रखा तो उसे कुछ लोगों का ही सपोर्ट था, लेकिन उसने
अपने बल पर मुन्ना बजंरगी से सम्पर्क किया और पहले उसके साथ काम शुरू किया।
कुछ ही वक्त बाद रईस ने अपना गैंग बनाकर भाई की हत्या का बदला लिया।
रईस बनारसी ने मोनू पहाड़ी और राजकुमार बिंद उर्फ मामा के साथ मिलकर भाई के
हत्यारे शानू ओलंगा की हत्या कर दी थी।
रईस पर बनारस और कानपुर में एक दर्जन से ज्यादा मुकदमें हैं। इनमें
कोतवाली, सिगरा, भेलूपुर, जैतपुरा, आदमपुर कोतवाली में हत्या, लूट, हत्या
के प्रयास के मुकदमे मेन हैं। कुछ बड़े मामले जिनमें रईस शामिल था उनमें ये
हैं - हथुआ मार्केट में पेट्रोल पंप मालिक लहिड़ी की हत्या कर 3.50 लाख की
लूट, शेख सलीम फाटक (चेतगंज) में लोहता के व्यापारी को गोली मारकर लूट,
रामकटोरा के पास व्यापारी को गोली मार कर लूट का प्रयास, लक्सा के पास
व्यापारी को गोली मारकर दो लाख की लूट, मुखबिरी के शक में दशाश्वमेघ
क्षेत्र में साथी दीपू वर्मा की हत्या, रेवड़ी तालाब के पास साड़ी कारोबारी
संग दो लाख की लूट, वरुणापुल स्थित असलहा दुकान संचालक भाजयुमो नेता विवेक
सिंह को गोली मारकर हत्या के मामले हैं.
सूत्रों की माने तो कानपुर पुलिस इन दिनों रईस के दाहिने हाथ शब्लू अण्डारोल पर सख्ती से नज़रें जमाये है और उसके माध्यम से रईस बनारसी को कैच करने की फिराक में है। शब्लू अण्डारोल कानपुर में सभी नाजायज गैरकानूनी कामों के अलावा रईस बनारसी के नाम पर वसूली करने और वक्फ की जमीनों पर कब्जे करवाने के धन्धे में बिजी है। हमारा मानना है कि योगी की पुलिस इन दिनों जिस तरह का सख्त रवैया अपनाये है, उससे उत्तर प्रदेश काफी हद तक अपराधमुक्त हो सकता है। बदमाशों की कमर तोड़ने के लिए उन्हें शरण देने वालों पर कार्रवाई होनी भी जरूरी है। रईस बनारसी का आतंक यदि समाप्त हो जाता है तो इससे समाज का एक बडा तबका राहत की सांस लेगा, पर सच अभी सामने आना बाकी है।
सूत्रों की माने तो कानपुर पुलिस इन दिनों रईस के दाहिने हाथ शब्लू अण्डारोल पर सख्ती से नज़रें जमाये है और उसके माध्यम से रईस बनारसी को कैच करने की फिराक में है। शब्लू अण्डारोल कानपुर में सभी नाजायज गैरकानूनी कामों के अलावा रईस बनारसी के नाम पर वसूली करने और वक्फ की जमीनों पर कब्जे करवाने के धन्धे में बिजी है। हमारा मानना है कि योगी की पुलिस इन दिनों जिस तरह का सख्त रवैया अपनाये है, उससे उत्तर प्रदेश काफी हद तक अपराधमुक्त हो सकता है। बदमाशों की कमर तोड़ने के लिए उन्हें शरण देने वालों पर कार्रवाई होनी भी जरूरी है। रईस बनारसी का आतंक यदि समाप्त हो जाता है तो इससे समाज का एक बडा तबका राहत की सांस लेगा, पर सच अभी सामने आना बाकी है।