राजधानी में खुलेआम खनिज अधिकारी के सरंक्षण में फलफूल रहा है अवैध भट्टों का कारोबार
रायपुर 01 फरवरी 2018 (जावेद अख्तर). छग की राजधानी रायपुर को स्मार्ट सिटी के नाम पर जबरदस्त फर्जीवाड़ा किया जा रहा है क्योंकि जब राजधानी के वार्ड नंबर 70 में बेखौफ होकर ईंट भट्टे का संचालन खुलेआम चल रहा है जिसके कारण आसपास के लगभग पांच वार्ड प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में कौन से ग्रेड की स्मार्ट सिटी बनाने की योजना पर करोड़ों रूपये फूंके जा रहे हैं ये तो साफ तौर पर समझ आ रहा है। सिर्फ रूपयों का खर्च दिखाया जा रहा है मगर काम कुछ नहीं हो रहा है।
वार्ड क्रमांक 70 के भट्टे का संचालक सत्तासीन दल के वरिष्ठ नेताओं का बेहद करीबी होने के साथ ही कोचिंग सेंटर भी चलाने का कार्य करता है। राजधानी होने के बाद भी वार्ड 70 में चारों ओर उपजाऊ जमीनों को खोद खोदकर गहरे गहरे गड्ढे बना दिए हैं तथा पूरे क्षेत्र में भट्टे की राखड़ भरी पड़ी है, सरकार एवं विभाग के सिर पर खुलेआम प्रदूषण फैलाया जा रहा है मगर किसी एक भी अधिकारी को आज तक दिखाई नहीं दिया। यहां के निवासियों द्वारा दर्जनों शिकायत एवं जनदर्शन में आवेदन देने के बाद हालत ऐसी है तो सोचिए अन्य क्षेत्रों में क्या आलम होगा। न्यू स्मार्ट सिटी समिति, पर्यावरण विभाग, नगर निगम, आरडीए से लेकर जिला पंचायत सभी विभाग नोटों के भार से दबे दिखाई दे रहें हैं। अन्यथा किसी की क्या मजाल कि भट्टा का संचालन कर सके।
वार्ड क्रमांक 70 के भट्टे का संचालक सत्तासीन दल के वरिष्ठ नेताओं का बेहद करीबी होने के साथ ही कोचिंग सेंटर भी चलाने का कार्य करता है। राजधानी होने के बाद भी वार्ड 70 में चारों ओर उपजाऊ जमीनों को खोद खोदकर गहरे गहरे गड्ढे बना दिए हैं तथा पूरे क्षेत्र में भट्टे की राखड़ भरी पड़ी है, सरकार एवं विभाग के सिर पर खुलेआम प्रदूषण फैलाया जा रहा है मगर किसी एक भी अधिकारी को आज तक दिखाई नहीं दिया। यहां के निवासियों द्वारा दर्जनों शिकायत एवं जनदर्शन में आवेदन देने के बाद हालत ऐसी है तो सोचिए अन्य क्षेत्रों में क्या आलम होगा। न्यू स्मार्ट सिटी समिति, पर्यावरण विभाग, नगर निगम, आरडीए से लेकर जिला पंचायत सभी विभाग नोटों के भार से दबे दिखाई दे रहें हैं। अन्यथा किसी की क्या मजाल कि भट्टा का संचालन कर सके।
बिना अनुमति पत्र व नियम विरूद्ध चल रहे ईंट भट्टे -
जिले में अधिक ईंट भट्टे में अवैध रूप संचालित हो रहे है। यहां पर किसी भी ईंट भट्टे के लिए रायपुर पर्यावरण संरक्षण समिति से सहमति पत्र नहीं मिला है बावजूद इसके ईंट भट्टे दहक रहे है। एक भी ईंट भट्टा पर्यावरण संरक्षण समिति के मापदण्डों में खरा नहीं उतरा जिसके कारण किसी को भी ईंट भट्टा संचालन के लिए अनुमति नहीं दी गई है। जितने भी ईंट भट्टे संचालित हो रहे है वह अवैध है मुख्य रूप से ईंट भट्टा संचालित करने के लिए पर्यावण सरक्षण से पर्यावण संरक्षण सहमति पत्र लेना पड़ता है लेकिन यहां पर एक भी ईंट भट्टा संचालन के लिए सहमति पत्र नहीं दिया है। ईंट भट्टों के नियमों का यहां पालन नहीं किया जाता है।
पहला कानून तो यही कहता है की बैगैर अनुमति ईंट भट्टों में आग नहीं लगा सकते, मिट्टी की खुदाई नहीं कर सकते तथा पेड़ पौधों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते ताकि मानव सेहत पर विपरीत असर ना पड़े और किसी प्रकार कि दुर्घटना ना हो इस लिए ईंट भट्टों को घनी आबादी से कम से कम 3 किमी दूर होना चाहिए लेकिन यहां पर सबकुछ इसके विपरीत हो रहा है अधिकत्तर ईंट भट्टे घनी आबादी के बीच ही है हद तो देखिए कि राजधानी के नगर पालिका निगम के वार्ड नंबर 70 में ही ईंट भट्टा दहक रहा है। खनिज विभाग ध्यान नहीं दे रहे है जिससे सरकार को लाखो रुपये का नुकशान हो रहा है । खनिज विभाग उनपर कार्यवाही करे तो पेनाल्टी के तौर पर लाखो रुपये कि आम्दानी होती ।
गांव भी हुए प्रदूषणयुक्त -
जिले में खनिज अफसरों की शह पर अवैध लाल ईंट की दुकानदारी खूब चल रही है। खासकर गांवों में लाल ईंटों की जमकर कालाबाजारी हो रही है। बताया जा रहा है कि अवैध कारोबार की जानकारी खनिज अफसरों को है और उन पर मोटी रकम लेने का भी आरोप लगता रहा है। शायद यही वजह है कि मीडिया में लगातार खबरें आने के बावजूद खनिज अफसरों के कान में जूं तक नहीं रेंगती। जिले के गांवों में इन दिनों अवैध लाल ईंट का कारोबार खूब फलफूल रहा है। अमूमन सभी गांवों में कई ईंट भट्ठे खनिज अफसरों की शह पर बेखौफ संचालित है। सरकारी भूमि पर बेजाकब्जा कर लोग अवैध कारोबार करने से बाज नहीं आ रहे हैं। इस कार्य के लिए पंचायतों से एनओसी लेना भी जरूरी नहीं समझा जाता। बताया जा रहा है खनिज अफसरों की मिलीभगत से इनकी दुकानदारी खूब चल रही है क्योंकि इस कार्य में अच्छी आमदनी है। इसे ध्यान में रखते हुए ईंट भट्ठे कुकुरमुत्ते की तरह चल रहे हैं। खनिज अफसरों पर ज्यादा दबाव बनने की स्थिति में जुर्माना वसूल कर खनिज अफसर अपना दायित्व पूरा कर लेते हैं। जबकि इसके कुछ दिन बाद फिर से अवैध कारोबार बेखौफ चलने लगता है।
पर्यावरण विभाग भी भूला पर्यावरण -
जिले का पर्यावरण विभाग जाने कहां सोया हुआ है। नगर में प्रदूषण की रोकथाम की कोई कोशिश नहीं की जा रही है जिसके कारण यहां का वातावरण प्रभावित होता जा रहा है। फैक्ट्रियों के जहरीले धुएं पहले ही हालत बिगाड़ कर रखे हुए हैं और इन पर पर्यावरण विभाग आज तक नियंत्रण नहीं लगा सका वहीं अब गांवों में लाल ईंट भट्टों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों का वातावरण भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
ईट भट्टे की भेंट चढ़ती नदी व तालाब -
ईंट भट्टे भी केवल दूरस्थल वनांचल क्षेत्रों में नहीं बल्कि शहरी क्षेत्रों में बदले जा रहे है शहर से लगे हुए सरोना, लालपुर, धरसीवां, खपरी व मोट्यारी में अवैध ईंट भट्टे की भरमार है जिले की सभी हिस्से में अवैध ईंट भट्टे संचालित है कहीं नदी के किनारे तो कही तलाब और कही कही तो नहर के किनारे ईंट भट्टे दहक रहे है इसके चलते ही ठेकेदार पानी के स्त्रोतों के पास ही ईंट तैयार करवाते है जिसके कारण ही पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है।