राजधानी में सर्व आदिवासी समाज का महासम्मेलन, आदिवासी सरकार व मुख्यमंत्री के लिए उठी मांग
रायपुर 21 फरवरी 2018 (जावेद अख्तर). राजधानी में सोमवार को सर्व आदिवासी समाज की महारैली रायपुर के रावणभांठा स्थित मैदान में आयोजित की गई। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के बैनर तले प्रदेश के आदिवासी समाज द्वारा विधानसभा चुनाव से पहली अपनी ताकत का एहसास सरकार को करा दिया। अभी तक की आयोजित सभाओं में सबसे बड़ी इस महासभा में बेहद उत्साह दिखा, बच्चे आदिवासी नायक और नायिका के रूप में घोड़े पर सवार होकर आये थे।
आदिवासी समाज ने अपनी 21 सूत्रीय मांगों को लेकर महासभा का आयोजन किया जिसमें प्रदेश भर से हजारों की तादात में आदिवासी सभास्थल में शामिल होने पहुंचे, यह सिलसिला दोपहर तक जारी रहा। भीड़ को देखकर लाखों की संख्या तक पहुंचने का अंदाजा लगाया गया। वहीं इस महासभा को सफल बनाने के लिए प्रदेश भर के आदिवासी एवं सतनामी समाज संबंधित 29 छोटे बड़े संगठनों ने अपना समर्थन दिया। आदिवासी समाज के तत्वावधान में आयोजित महासभा में भाजपा विधायकों को छोड़कर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी नेता, विधायक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उपस्थिति दर्ज कराई।
पेटी कॉन्ट्रेक्टर बन कर रह गये भाजपा के आदिवासी नेता -
जनसभा में उपस्थित आदिवासी नेताओं ने भाजपा के आदिवासी विधायकों/मंत्रीयों पर तंज कसते हुए कहा कि "वे सरकार में पेटी कॉन्ट्रेक्टर बन कर रह गये है।" आदिवासी समाज के उत्थान के लिए आयोजित महासभा में शामिल नहीं होकर उन्होंने इस बात का प्रमाण दे दिया कि 'वे सरकार द्वारा आदिवासी समुदाय पर किए जा रहे अत्याचार, शोषण, मौलिक अधिकारों का हनन एवं फर्जी मुठभेड़ों के समर्थन में खड़े हैं। उन्हें अपने समाज से ज्यादा अपनी कुर्सी और पद का मोह है। समाज के प्रतिनिधि शाम को राज्यपाल से भी मिले और अपनी मांगें भी रखीं।
भीड़ देख डरी रमन सरकार -
लाखों की संख्या में राजधानी के सभा स्थल पर पहुंचे लोगों को देखकर छग राज्य सरकार भयभीत दिखाई दी। सरकार ने देर शाम आदिवासी समुदाय को लेकर विकास विस्तार एवं छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा देने तक के व्यकतव्य अलग अलग मंत्रियों एवं संगठन के नेताओं द्वारा दिए गए। इससे ही समझ सकते हैं कि राजधानी में पहली बार महाविशाल आदिवासियों की उपस्थिति ने सरकार की हालत बिगाड़ दी।
अवैधानिक नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना अपराध नहीं -
छग के पूर्व सांसद व वरिष्ठ आदिवासी नेता सोहन पोटाई ने कहा कि आज देश के जितने भी आदिवासी बाहुल्य राज्य हैं नक्सलवाद की चपेट में हैं। नक्सलवाद के नाम पर सरकार के द्वारा आदिवासियों के खिलाफ अप्रत्यक्ष युद्व छेड़ रखा है। भूमि अधिग्रहण विधेयक को पूर्ण रूप से समाप्त करने की मांग भी इस महारैली के माध्यम से की गई। वहीं आदिवासी समाज अपने खिलाफ हो रहे शोषण को लेकर आंदोलन करने पर उतारू हुआ क्योंकि विगत दसियों सालों से सरकार उद्योगपति एवं पूंजीपतियों के लिए समाज एवं संस्कृति का दमन कर रही, हजारों बेगुनाह आदिवासी बिना अपराध किए सालों से जेलों में बंद हैं, उनको परिवार तक से मिलने नहीं दिया जा रहा। इसके अलावा माओवादियों के नाम पर जिन आदिवासियेां को जेल में बंद किया गया है, उनके संबंध में भी राज्य सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचेंगे। लिहाजा, रायपुर के रावांभाटा मैदान में होने वाले इस आयोजन में सुबह से ही लोग बसों व ट्रकों में सवार होकर पहुंचे। प्रदेश भर से करीब 2 लाख के आसपास आदिवासी इस रैली में शामिल हुए।
34 सीटों का आरक्षण मिले आदिवासी समाज को -
वरिष्ठ आदिवासी नेता अरविंद नेताम ने कहा कि आदिवासी समाज अलग से चुनाव लड़ेगा और अपनी सरकार भी बनायेगा। उन्होंने विधानसभा की 90 सीटों में से 34 सीट आरक्षण की मांग की और कहा कि सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर जमीन छीन रही हैं, और आदिवासीयों को उनकी जमीन से बेदखल कर रही है। समाज के लोगों का अधिकार छिन गया है। आज कागज-कलम के साथ तलवार और बंदूक भी चल रही है।
अबकी बार आदिवासी सरकार : क्रांति सेना
राज्य सरकार को चेतावनी देते हुये छग क्रांति सेना संगठन ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में आदिवासी अपनी ताकत दिखाने को तैयार हैं, यदि जल जंगल जमीन की लूट नहीं रूकी तो हम अपनी सरकार बनायेंगे इसीलिए आगामी चुनाव में दलगत पार्टी से अलग चुनाव लड़ने की तैयारी भी की जा रही है।
बस्तर को आजाद कराना है : सोनी सारी
छग की प्रमुख महिला नेत्री सोनी सोरी ने कहा "राज्य सरकार कॉरपोरेट के साथ आदिवासियों की जल जंगल ज़मीन लुट रही है, हम ऐसा नहीं होने देंगे। बस्तर में बहनों के साथ अत्याचार हो रहा, पुलिस आदिवासी महिलाओं को टॉर्चर कर रही। फर्जी मुठभेड़ करके उन्हें खत्म किया जा रहा है। बस्तर को सुरक्षाबलों ने गुलाम बना लिया है, हमें बस्तर को आज़ाद करना है, जितना अत्याचार करोगे हम उतने ही तेज़ी से प्रतिरोध करेंगे। अब आदिवासी समाज ऐसा होने नहीं देगा। उन्होंने कहा कि हम कमज़ोर नहीं हो सकते बल्कि अत्याचार हमें और मज़बूत करती है।
जनसभा में उपस्थित प्रमुखों ने कहा -
आदिवासी समाज द्वारा अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा को लेकर किए गए महाप्रदर्शन को मिले जनसमर्थन से समुदाय के नेता एवं कार्यकर्ता गदगद दिखाई दिए। जनसभा में कहा गया कि महारैली को मिली जबरदस्त सफलता के चलते इस बार के विस चुनावी में सर्व आदिवासी समाज अपनी अलग रणनीति तैयार कर मैदान में उतरेगा। साहू समाज के अध्यक्ष विपिन साहू ने कहा कि आदिवसियों की सरकार बननी चाहिए। और हमें अपने लोग ही लूट रहे हैं, उनसे बचकर रहना पड़ेगा। छतीसगढ़ के पूर्व आईएएस बीपीएस नेताम ने भी संबोधित करते हुए कहा कि टाइगर रिजर्व के नाम पर हर जगह आदिवासी समाज को बेदखल किया जा रहा है। जिसके कारण विरोध व्यापक होता जा रहा है।
ये रहे उपस्थित -
रावणभाटा में सर्व आदिवासी सम्मेलन में पूर्व सांसद सोहन पोटाई, अरविंद नेताम, विधायक मोहन मरकाम, सोनी सोरी, बीपीएस नेताम सहित कई आदिवासी नेता मौजूद हैं, साथ ही आधा दर्जन संगठनों सहित कई अन्य समाज ने भी अपना समर्थन दिया है साथ ही साहू समाज, कुर्मी समाज, कुम्भकर समाज सहित कई समाज के लोग यहां पहुंचे हैं। वहीं छग प्रदेश के कोने-कोने तक से आदिवासी समुदाय के लोग महासभा में पहुंचे।