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होली का त्योहार आते ही सक्रिय हुये मिलावटखोर

शाहजहांपुर 23 फरवरी 2018 (ब्‍यूरो रिपोर्ट). होली का त्योहार नजदीक आते ही जिले में खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वाले सक्रिय हो गए हैं। मिलावटखोर अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में खाद्य पदार्थों में मिलावट करके लोगों को बीमारियां बांट रहे हैं। रंगों के त्योहार होली को एक सप्ताह का समय शेष रह गया है। होली के त्योहार पर हर घर में खाद्य पदार्थ खरीदे जाते हैं, पर मिलावटखोर होली को बदरंग करने की तैयारी में जुट गए हैं।



बाजार में बिकने वाले देशी घी, सरसों का तेल, बेसन, आटा, हल्दी, धनियां, मिर्च, दूध, खोआ, टोमाॅटो साॅस समेत तमाम खाद्य सामग्री में मिलावट की जा रही है। नाम न छापने की शर्त पर एक दुकानदार ने बताया कि 100 प्रतिकिलो बिकने वाले सरसों के तेल में 40 से 50 रूपए प्रतिकिलो बिकने वाला पाॅम आॅयल मिलाया जा रहा है। 90 रुपया प्रतिकिलो बिकने वाले बेसन में कम कीमत पर बिकने वाले मटर का बेसन मिलाकर बेचा जा रहा है।  मिलावटखोर मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों के स्वास्थ्य से खुलेआम खिलवाड़ करने में लगे हैं। बढ़ती मांग के कारण अधिक कमाने के चक्कर में किराना व्यापारी, होटल संचालक आदि खाद्य पदार्थों में मिलावट करने में लगे हुए हैं।


खाद्य पदार्थों की मिलावट करने वाले होली के त्योहार के समय विभिन्न सामान बाहर से जिले तथा क्षेत्र में ला रहे हैं। इतना ही नहीं खाद्य मसालों आदि में भी जमकर मिलावट की जा रही है। इस प्रकार के मिलावटी खाद्य पदार्थ, खाने वालों के शरीर में पहुंचकर धीमे जहर का काम कर रहे हैं। मिलावट करने वाले मिलावटी खाद्य पदार्थ की बिक्री कर उपभोक्ताओं को ब्लडप्रेशर, शुगर, खांसी, जुकाम, दमा जैसी घातक बीमारियां होली के अवसर पर तोहफे के रूप में दे रहे हैं। दूसरी तरफ़ क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मिलावटी मावा तथा कृत्रिम रंगों से मिठाइयां तैयार की जा रही है। वहीं खाद्य सुरक्षा विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।


होली पर मिठाइयों की डिमांड पर मिलावटखोर जमकर फायदा उठाते हैं। जलालाबाद व अल्हागंज नगर व आस पास के क्षेत्र में यह गोरखधंधा खूब फल-फूल रहा है। बता दें कि हर बार त्यौहार पर चाहे दीपावली हो या होली सभी  त्यौहारों पर खाद्य सुरक्षा विभाग चेकिंग के नाम पर मिठाई के नाम पर बसूली करके चला जाता है। जिस दिन गम्भीरता की चेकिंग होती है। उस दिन पहले कोई विभाग का कर्मचारी सूचना दे देता है। जिसके परिणामस्वरूप पहले ही नगरों की दुकाने बंद हो जाती है। होली पर गुजियां बनाने के लिए खोये की मांग कुछ ज्यादा होती है। ज्यादा खपत करने के लिए दुकानदार मिलावटी खोया तैयार कर पहले ही रख लेता है। और मनचाहे दामों मे बेचता है।