कानपुर - पुलिस प्रशासन फ्लाप, क्राइम आन द टॉप
कानपुर 17
अप्रैल 2018 (सूरज वर्मा). कानपुर का बाबूपुरवा थाना इन दिनों जरायम पेशा लोगों का
स्वर्ग बन चुका है। सूत्रों की माने तो सभी प्रकार के जरायम करवाने का
ठेका स्वयं पुलिस वालों ने ले रखा है। ऐसे सभी अवैध धंधे वालों को यहां
खुली छूट दे कर उनसे सरेआम रुपये की वसूली हो रही है। इसके लिए यहां कई
दलाल सेट हैं, जो वसूली की रकम पुलिस वालों तक पहुंचाते हैं।
सूत्रों
की माने तो दलालों के माध्यम से कई पुलिसकर्मी हर महीने मोटी रकम वसूल कर
सभी प्रकार के अवैध धंधे संचालित करवा रहे हैं। बाकरगंज मुर्गा मार्केट के
पास भोलू चरस बेचता है, अतीक नामक आदमी ईसाइयों के मैदान में सट्टा नेटवर्क
चलवाता है। इलाके के गुलाम, मुन्नू, मुकीम, अतीक, मुन्ना चावल, बगाही
भट्टा के पास मटके का धन्धा चलाते हैं (मटका एक गैरकानूनी खेल है और मूलभूत रूप से वो लाटरी का ही एक प्रकार है).
मंदिर के समीप की गल्ला दुकान पर बैठने वाले मुल्ला जी सरकारी राशन
ब्लैक में बेचते हैं, यहीं समीप में ही कबाड़ी की दुकान पर चोरी का माल
खरीदा बेचा जाता है और ये सब हो रहा है पुलिस वालों के संरक्षण में।
इसके
अलावा भी यहां कई गलत धंधे चोरी छुपे संचालित हो रहे हैं जिनमें
वेश्यावृत्ति रैकेट, चोरी की गाडियों की कटाई, कटाई, रेलवे के पुराने माल
गोदाम से चोरी, झकरकटी बस अड्डे से अवैध माल की लोडिंग प्रमुख है। कहते हैं
कि एसओ अगर चाह ले तो उसके इलाके में परिंदा भी पर नहीं मार सकता, अपराध
करना तो दूर की बात है। पर इस थाने का हाल जरा अनोखा है, यहां थाना
इंस्पेक्टर नहीं एक सिपाही चलाता है। इलाकाई लोगों के अनुसार
इन्सपेक्टर साहब चुलबुल पाण्डे से काफी प्रेरित हैं और वर्दी में कम ही
नज़र आते हैं। वैसे हम ये कतई नहीं कह रहे हैं कि यहां सारे पुलिस वाले
बेईमान हैं, ईमानदार भी हैं और उन्हीं के सहारे ये थाना चल रहा है। पर अगर
वरिष्ठ अधिकारी थोड़ी सख्ती करें तो यहां ईमानदारी का प्रतिशत थोड़ा बढ
जायेगा और ये थाना दौडने लगेगा.