आइये समझें क्या होता है भांग, चरस और गांजा
कानपुर 11 जून 2018 (Suraj Verma). भगवान शिव और होली के साथ भांग का नाम बहुत पहले से जुड़ा चला आ रहा है, भारतीय संस्कृति और साहित्य में भांग, गांजे और चरस का इतिहास कम से कम 3000 साल पुराना है। जानकारों के अनुसार गांजा, चरस और भांग तीनों एक ही पौधे के अलग-अलग हिस्सों से बनते हैं। इस पौधे का साइंटिफिक नाम ‘कैनेबिस’ है, इसी पौधे को मारिजुआना, हेम्प और वीड के नाम से भी जाना जाता है।
बताते चलें कि गांजे में THC नाम का एक केमिकल एलिमेंट होता है, जिससे नशा चढ़ता है, THC यानी Tertrahydrocannabinol. एक और एलिमेंट होता है – CBD. इसके ‘साइकोएक्टिव इफेक्ट्स’ नहीं होते, मतलब ये दिमाग पर एैसे असर नहीं करता जिससे नशा चढ़ता है। CBD यानी Cannabidiol होता है। कैनेबिस की दो जातियां बहुत फेमस हैं - कैनेबिस इंडिका और कैनेबिस सेटाइवा। ‘चरस’ कैनेबिस पौधे के गोंद से बनता है, जो पेड़ की डालियों पर लटकता है। ‘गांजा’ इसी पौधे के फूल को सुखा के उसे खूब दबा के तैयार किया जाता है। ‘भांग’ को कैनेबिस के बीज और पत्तियों को पीस-पीस कर तैयार किया जाता है।
मरिजुआना को मोटे तौर पर दो केटेगरी में बांटा गया है – ‘मेडिकल मरिजुआना’ और ‘रिक्रिएशनल मरिजुआना’। मेडिकल मरिजुआना यानी औषधीय रूप में इस्तमाल किए जाने वाला मरिजुआना। मेडिकल मरिजुआना में THC कंटेंट कम और CBD कंटेंट ज्यादा होता है। और रिक्रिएशनल मरिजुआना यानी ज्यादा THC कंटेंट वाला मरिजुआना, जो मेडिकली रिकमेंड नहीं किया जाता। इसका सेवन नशे के लिए किया जाता है। कैनेबिस अभी तो हर जगह उगाया जाने लगा है, लेकिन भारतीय उप-महादीप में बहुत पहले से यह पौधा प्राकृतिक रूप से उगता था। कैनेबिस इंडिका का नाम भी देश के यानी इंडिया के नाम से ही पड़ा है।
1961 में अमेरिका के मैनहेटन में एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन हुआ, सिंगल कन्वेंशन ऑन नार्कोटिक ड्रग्स, 1961. इस सम्मलेन में कैनेबिस को ‘हार्ड ड्रग्स’ की श्रेणी में डाल दिया गया और सभी राष्ट्रों से इस पर शिकंजा कसने की अपील की गई। सम्मलेन में भारत के प्रतिनिधि कैनेबिस से जुड़ी सामाजिक और धार्मिक प्रथाओं का हवाला देते हुए इसका विरोध कर रहे थे, उनका पक्ष था कि इसे भारतीय समाज पर एकदम से नहीं थोपा जा सकता। 1986 में कन्वेंशन को 25 साल पूरे होने थे, इससे एक साल पहले 1985 में भारत सरकार ने एक एक्ट पास किया – ‘नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेन्सेस एक्ट’ या NDPS एक्ट. NDPS ने कैनेबिस की अमरीका में हुए कन्वेंशन में तय हुई परिभाषा को हुबहू उठा लिया. कैनेबिस की परिभाषा की चपेट में चरस, गांजा और इन दोनों का कोई भी और मिक्सचर आ गया। भांग को NDPS की पहुंच से बाहर रखा गया, लेकिन इसके बावजूद अलग-अलग राज्यों ने भांग पर अपने कानूनों के ज़रिये शिकंजा कस रखा है।