एक माह तक दक्षनगरी में भोलेनाथ रहेंगे विराजमान
शाहजहांपुर 28 जुलाई 2018. श्रावण मास में एक माह तक भगवान शंकर दक्षनगरी में विराजमान रहेंगे। भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की मनोकामनाएँ जलाभिषेक मात्र से ही प्रसन्न होकर पूरी करते हैं। लेकिन पौराणिक मान्यता है कि श्रावण मास में भोलेनाथ अपनी ससुराल कनखल (हरिद्वार) यानी दक्षनगरी में दक्षेश्वर महादेव के नाम से विराजते हैं।
दक्ष मन्दिर पर श्रावण मास में जलाभिषेक करने के लिए भक्तों को लंबी कतार में लगकर घण्टों इंतजार करना पड़ता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा के मानस पुत्र प्रजापति दक्ष ने जब सती के साथ शिव का विवाह कर दिया तो एक सभा में जब दक्ष पहुंचे तो सभी देवगण जहां सम्मान में खड़े हो गए। लेकिन भोलेनाथ अपने आसन पर बैठे रहे। तभी से दक्ष के मन में भोलेनाथ के प्रति द्वेष भावना उत्पन्न हो गई। एक बार दक्ष ने अपनी राजधानी खनखल में महायज्ञ का आयोजन किया। महायज्ञ में सभी देवतागणों को आमंत्रित किया गया। लेकिन भोलेनाथ को महायज्ञ में न्योता नही दिया गया। जब सती ने आकाश मार्ग से सभी देवतागणों को जाते देखा तो उन्होंने शिव से पूछा तो उन्होंने सती को बताया कि उनके पिता ने महायज्ञ का आयोजन किया है। वही सब लोग जा रहे है। लेकिन उन्हें द्वेषवश के चलते आमंत्रित नही किया गया है।
सती शिव के मना करने के बाद भी यज्ञ में भाग लेने खनखल पहुंच गई। यज्ञ में निरादर होने के कारण सती यज्ञ में कूद गई। जब शिव को पता चला तो उन्होंने वीरभद्र को भेजकर यज्ञ को विध्वंस करा दिया। शिवगणों ने दक्ष का सिर काट डाला। शिव सती को लेकर ब्रह्मांड में तांडव करने लगे। जिससे देवतागणों में हाहाकार मच गया। देवताओं ने शिव को शांत करने के लिए स्तुति गान किया। वही विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खण्ड खण्ड कर दिया। जहां जहां सती का जो अंग गिरा वही 51 शक्तिपीठ की स्थापना की गई। जब शिव शांत हुए तो दक्ष ने यज्ञ पूर्ण करने का उपाय तलाशा। शिव ने बकरे का सिर लगाकर दक्ष को शल्य क्रिया कर यज्ञ को सम्पन्न कराया। दक्ष ने क्षमा याचना कर वरदान मांगा कि शिव इसी स्थान पर दक्षेश्वर के नाम से विराजमान हो। शिव ने श्रावण मास में खनखल में दक्षेश्वर नाम से विराजमान रहने और भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी करने का वरदान दिया। तभी से खनखल स्थित दक्षघाट पर स्नान कर दक्षेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने की परंपरा चली आ रही है। श्रावण मास में दक्षेश्वर मन्दिर में भक्तों का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि यहां भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।