शिक्षा की बुनियादी सुविधाओं का अकाल, पानी व शिक्षकों की कमी से कोनचरा हाईस्कूल बदहाल
बिलासपुर 28 जुलाई 2018 (जावेद अख्तर). छत्तीसगढ़ प्रदेश की न्यायधानी बिलासपुर के कोटा विकासखण्ड अंर्तगत कोंचरा ग्राम पंचायत में संचालित शासकीय हाईस्कूल बदहाली की मार झेल रहा है। न तो स्कूल में पानी की उपयुक्त सुविधा है और ना ही पर्याप्त शिक्षक और न ही मूलभूत सुविधाएं। सुविधाओं के अभाव के चलते कोनचरा शासकीय हाईस्कूल में अध्ययनरत छात्र छात्राओं की पढ़ाई बाधित हो रही है जिससे इनका भविष्य अंधकारमय नज़र आता है। पीडब्लूडी के जिम्मेदार अधिकारी स्कूल भवन निर्माण के बाद भवन से जुड़ी समस्यायों की पूरी जानकारी होने के बाद भी उदासीन बने हुए है।
शिक्षा उज्जवलमय भविष्य का आधार -
हरेक माता पिता की चाहत अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य की होती है, और उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा अनिवार्य है। शिक्षा के लिए स्कूल 'शिक्षा का मंदिर' होता है, उज्जवल भविष्य की पहली सीढ़ी स्कूल से होकर जाती है। यहां पर बच्चों के बेहतर भविष्य की नींव रखी जाती है और उसे मज़बूती प्रदान करने का दायित्व शिक्षक का होता है। इसीलिए गुरूजन पूज्यनीय होते हैं। बच्चों के लिए स्कूल का वातावरण, अनुशासन, सुविधाऐं और शिक्षकों द्वारा दिया गया ज्ञान उनके व्यक्तित्व पर गहरा असर डालता है। जो बच्चों के विकास में मील का पत्थर साबित होती है। और अगर बच्चों को स्कूल में अच्छा वातावरण न मिले, मूलभूल सुविधाओं का टोटा हो और ज्ञान देने वाले शिक्षकों की कमी हो तो बच्चों का भविष्य उज्जवलमय कैसे होगा अथवा हो सरता है।
06 माह से पानी की समस्या बरकरार -
शिक्षकों और स्कूली छात्र छात्राओं ने बताया कि पीडब्ल्यूडी डिवीज़न पेण्ड्रा द्वारा नवनिर्मित स्कूल भवन में पानी की समस्या पिछले 06 माह से बनी हुई है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारी ने उच्च अधिकारियों को लिखित में जानकारी दी है बावजूद इसके 06 माह बीतने के बाद भी आज तक पानी कि समस्या का समाधान नहीं किया जा सका है।
बोतलों में लेकर आते हैं पानी -
पिछले 06 माह से पेयजल की समस्या से जूझ रहे बच्चों ने बताता कि हम सभी अपने अपने घरों से बोतलों में पानी लेकर आते है। अधिकांशतः बच्चे एक बोतल लातें हैं, लेकिन कई बार अधिक प्यास लगने पर बोतल का पानी पर्याप्त नहीं होता, तब हम आसपास के घरों में जाकर पानी मांगते है यानि उधार के पानी से अपनी प्यास बुझातें हैं।
स्वच्छ भारत अभियान को पलीता -
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वच्छ भारत अभियान चलाकर स्वच्छता का संदेश दे रहे और नल जल योजना से पानी की पहुंच सुदूर ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे लेकिन कोनचरा हाईस्कूल में प्रधानमंत्री की दोनों भावी योजना में पलीता लग रहा है। पानी का अभाव होने से स्कूल में अध्ययनरत बच्चे और शिक्षक स्कूल के शौचालय का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। ज्ञात हो कि शासन द्वारा 01 अगस्त से 31 अगस्त तक स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण मिशन अभियान चलाया जाना है। कोनचरा हाईस्कूल में तो पानी की सुविधा ही नहीं है तो स्वच्छ भारत और सर्वेक्षण ग्रामीण मिशन अभियान कैसे पूरा होगा। स्पष्ट है कि मात्र कागजों में खानापूर्ती ही की जायेगी। वैसे यह भी काबिलेगौर है कि कोंटा ओडीएफ घोषित हो चुका है, यानि कागज़ों में ओडीएफ।
छात्र-छात्राएं बाहर जाने विवश -
छात्र तो फिर भी बाहर जाकर लघु और दीर्ध-शंका का समाधान कर लेतें हैं किंतु छात्राएं बाहर कैसे जाएं। लेकिन कई बार मजबूरन लघु और दीर्ध शंका का समाधान करने बाहर जाना ही पड़ता हैं। इससे छात्र-छात्राएं, अभिभावकों एवं आसपास के लोगों में स्कूली शिक्षा व्यवस्था को लेकर आक्रोश है। पालकों ने भी शीध्र इस समस्या के समाधान किये जाने की बात कही है।
सुविधाओं का टोटा -
शासकीय हाईस्कूल के चारों ओर अहाता अथवा बाउंड्री वाल नहीं है तो वहीं स्कूल परिसर के लिए सफाई कर्मी भी नहीं है, जिससे अध्यनरत छात्र-छात्राओं को सफाई भी करनी पड़नी करती है। स्कूल के लिए चौकीदार नहीं होने से पिछले 06 माह से बंद बोर के चोरी होने, पानी में किसी शरारती तत्वों द्वारा जहरीला पदार्थ मिलाये जाने की संभावना बनी रहती है वहीं अहाता नहीं होने से असामाजिक तत्वों का स्कूल परिसर में आना जाना बना रहता है जिससे छात्र-छात्राओं की सुरक्षा खतरे में होती है। साथ ही आवागमन एवं शोरगुल से पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
शिक्षकों की कमी से जूझता कोनचरा हाईस्कूल -
कोनचरा हाईस्कूल में 01 प्राचार्य और 03 शिक्षक पदस्थ है। जिसमें से एक शिक्षका ट्रेनिंग में हैं, यानि दो शिक्षकों द्वारा हाईस्कूल के बच्चों को ज्ञान बांटा जा रहा है। हाईस्कूल परीक्षा का परिणाम कितना सुखद प्राप्त हो सकता है, ये तो साफ है। शासन के नियमानुसार, हाईस्कूल में विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिये लेकिन यहां पर ऐसी शिक्षकीय व्यवस्था लागू नहीं है। गणित, अंग्रेजी, विज्ञान जैसे विषयों के शिक्षक शहर छोड़ना नहीं चाहते। इसलिए भी शिक्षकों की कमी है। जिम्मेदार अफसर ग्रामीण अंचलों के हाईस्कूलों के प्रति कितने जवाबदेह हैं ये तो कोनचरा हाईस्कूल बता ही रहा है। यहां के बच्चे भगवान भरोसे शिक्षित होने मजबूर है।
डिजीटल व मेक इन इंडिया की असलियत -
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे नारों को बुलंद किया जा रहा है लेकिन वास्तविकता कोनचरा हाईस्कूल दिखा रहा। डिजीटल इंडिया जैसी योजनाओं के बावजूद भी कोनचरा हाईस्कूल में अध्ययनरत बच्चों के ज्ञान के लिये एक अदद कम्प्यूटर भी नहीं है, जिसके माध्यम से बच्चे कम से कम्प्यूटर का बेसिक ज्ञान प्राप्त कर सकें।
क्यों बढ़ रहे प्राइवेट स्कूल -
इसीलिये ही शिक्षा का व्यवसायीकरण हो रहा है और जगह जगह निजी विद्यालय खोलें जा रहे, जो मोटी फीस लेकर सुविधाओं के साथ तकनीकी ज्ञान भी दे रहे। इसी कारणवश सरकारी स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या दिनों दिन गिरती जा रही है और सरकार महानता दिखाते हुए सरकारी स्कूलों को ही बंद करती जा रही। आखिरकार शासन इस पर कब गंभीरता से विचार करेगा और निराकरण के लिए सख्त फैसले लेगा।
हाल ही में मुख्यमंत्री ने किया दौरा -
ये वहीं गांव है जहां के मरार समाज के ग्रामीणों के आमंत्रण पर छत्तीसगढ़ के मुखिया डाॅ रमन सिंह यहां पधारें थे और सामाजिक कार्यक्रम में शामिल हुए। छग मुख्यमंत्री के आमद पश्चात ग्रामीणों की आस जागी कि शायद अब इस गांव का कायाकल्प हो जाय, लेकिन अफसोस ऐसा हुआ नहीं और गांव वालों की आस, आस बनकर ही रह गई।
मंथन सभाकक्ष में बैठक व प्रगति रिपोर्ट -
किसी भी विभागीय कार्य प्रगति को लेकर जिले के कलेक्टोरेट के मंथन सभाकक्ष में विभागीय अधिकारियों के कार्यों की प्रगति रिपोर्ट लेेनें कलेक्टर हर मंगलवार को बैठक लेते है, फिर हर माह कार्यों की समीक्षा भी होती है जिसकी रिपोर्ट कलेक्टर शासन को भेजते है। तीन माह में जिला प्रभारी मंत्री भी जिले में समीक्षा बैठक लेते है तो फिर क्या प्रगति रिपोर्ट में अधिकारियों द्वारा कलेक्टर बिलासपुर को गलत जानकारी देकर भ्रमित किया जा रहा है, संभावना प्रबल है।
अफसर मस्त, जनता त्रस्त -
फिलहाल देखना होगा कि शिक्षा विभाग से जुड़ी इस समस्या के निराकरण के लिये प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी कब कोई ठोस कदम उठाते है या फिर स्कूली छात्र, छात्राओं और पालकों को स्कूली समस्या के समाधान के लिये आंदोलन, उग्र प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना होगा।