मातृ-शिशु एवं परिवार कल्याण उपकेंद्र पर हो रही है अवैध वसूली
अल्हागंज 23 जुलाई 2018 (अमित वाजपेयी). ग्राम चिलौआ का मातृ-शिशु एवं परिवार कल्याण उपकेंद्र असामाजिक तत्वों का
अड्डा बन गया है। इसके दरवाजे, खिड़कियां, पेयजल टंकी तथा उसके पाइप चोरी
हो गए हैं तथा शौचालय सहित पूरे केंद्र की फर्श टूटी हुई पड़ी है। केंद्र
में बड़ी बड़ी घास व झाड़ियां खड़ी हैं। आरोप है कि यहां प्रथम प्रसव पर मिलने वाली सरकारी सहायता 6000 रुपये दिलाने के नाम पर गर्भवती महिलाओं से 10% की वसूली की जा रही है।
ग्रामीणों तथा सोशल मीडिया पर इन दिनों मातृ-शिशु एवं परिवार कल्याण उप केंद्र लालपुर इमिलिया चर्चा का विषय बना हुआ है। आरोप है कि यहां भी गर्भवती महिलाओं से अवैध वसूली की जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को उक्त उपकेंद्र पर मातृ एवं शिशु टीकाकरण का कार्य चल रहा था, इसी दौरान कुछ गर्भवती महिलाओं ने 500 से लेकर 600 रुपये की अवैध वसूली का मामला उठाया। जिसे लेकर आशा वर्कर एवं प्रभारी के बीच अवैध वसूली के बंटवारे को लेकर जमकर झड़प हुयी। मौके पर तमाम महिलाएं तथा ग्रामीण जन एकत्र हो गए। विवाद के चलते टीकाकरण कार्य भी कुछ समय के लिए रोक दिया गया था, जिससे टीका लगवाने आई महिलाएं अपने घर वापस जाने लगी थी।
इस संदर्भ में इसी उपकेंद्र पर कार्यरत आशा वर्कर सुनीता ने बताया कि शनिवार को टीकाकरण दिवस था, इसकी सूचना भी उनको नहीं दी गई थी। उन्होंने दूसरी एएनएम से इस बाबत पूछा तो पता लगा वैक्सीन बॉक्स एक ग्रामीण के यहां रखा है। करीब 9:30 बजे एएनएम नेहा पटेल भी उपकेंद्र पर आ गई। उन्होंने प्रसव कराने वाली गर्भवती महिलाओं का संदर्भ लेते हुए विवाद शुरू कर दिया। सुनीता का आरोप है कि एएनएम नेहा पटेल प्रथम प्रसव पर मिलने वाले 6 हजार रुपए दिलाने के नाम पर तीन तीन सौ रूपये प्रत्येक गर्भवती महिला से मांगती हैं। जबकि इसके फार्म भरवाने की जिम्मेदारी आशा वर्कर की है।
सुनीता का यह भी आरोप है कि टीकाकरण संबंधी वार्षिक परिपत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए उनसे 500 रुपये मांगे जाते हैं। न देने पर वह अपने हस्ताक्षर नहीं करती हैं। इसी प्रकार आशा वर्कर रेशमा बताती हैं की गर्भवती महिलाओं से तीन तीन सौ रूपये एएनएम द्वारा मांगे जाते हैं। जबकि प्रसव से लेकर टीका कराने तक उनको कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। टीकाकरण एक सत्र का कराने का उनको विभाग की तरफ से 150 रूपये दिया जाता है। तथा अस्पताल में प्रसव कराने पर प्रति केस 600 रूपये प्रोत्साहन राशि मिलती है। दूसरी तरफ केंद्र प्रभारी एएनएम नेहा पटेल का कहना है कि प्रतेक गर्भवती महिला से सुविधा शुल्क की मांग आशा वर्करों द्वारा की जाती है। उन्होंने इसकी जांच की है जिसमें शिकायतें सही पाई गई हैं। आशा वर्कर पूरा विजिट भी नहीं करती हैं। सम्भावित कार्यवाही से बचने के लिये आशा वर्कर मुझ पर झूठा आरोप लगा रही हैं।
ग्रामीणों तथा सोशल मीडिया पर इन दिनों मातृ-शिशु एवं परिवार कल्याण उप केंद्र लालपुर इमिलिया चर्चा का विषय बना हुआ है। आरोप है कि यहां भी गर्भवती महिलाओं से अवैध वसूली की जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार को उक्त उपकेंद्र पर मातृ एवं शिशु टीकाकरण का कार्य चल रहा था, इसी दौरान कुछ गर्भवती महिलाओं ने 500 से लेकर 600 रुपये की अवैध वसूली का मामला उठाया। जिसे लेकर आशा वर्कर एवं प्रभारी के बीच अवैध वसूली के बंटवारे को लेकर जमकर झड़प हुयी। मौके पर तमाम महिलाएं तथा ग्रामीण जन एकत्र हो गए। विवाद के चलते टीकाकरण कार्य भी कुछ समय के लिए रोक दिया गया था, जिससे टीका लगवाने आई महिलाएं अपने घर वापस जाने लगी थी।
इस संदर्भ में इसी उपकेंद्र पर कार्यरत आशा वर्कर सुनीता ने बताया कि शनिवार को टीकाकरण दिवस था, इसकी सूचना भी उनको नहीं दी गई थी। उन्होंने दूसरी एएनएम से इस बाबत पूछा तो पता लगा वैक्सीन बॉक्स एक ग्रामीण के यहां रखा है। करीब 9:30 बजे एएनएम नेहा पटेल भी उपकेंद्र पर आ गई। उन्होंने प्रसव कराने वाली गर्भवती महिलाओं का संदर्भ लेते हुए विवाद शुरू कर दिया। सुनीता का आरोप है कि एएनएम नेहा पटेल प्रथम प्रसव पर मिलने वाले 6 हजार रुपए दिलाने के नाम पर तीन तीन सौ रूपये प्रत्येक गर्भवती महिला से मांगती हैं। जबकि इसके फार्म भरवाने की जिम्मेदारी आशा वर्कर की है।
सुनीता का यह भी आरोप है कि टीकाकरण संबंधी वार्षिक परिपत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए उनसे 500 रुपये मांगे जाते हैं। न देने पर वह अपने हस्ताक्षर नहीं करती हैं। इसी प्रकार आशा वर्कर रेशमा बताती हैं की गर्भवती महिलाओं से तीन तीन सौ रूपये एएनएम द्वारा मांगे जाते हैं। जबकि प्रसव से लेकर टीका कराने तक उनको कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। टीकाकरण एक सत्र का कराने का उनको विभाग की तरफ से 150 रूपये दिया जाता है। तथा अस्पताल में प्रसव कराने पर प्रति केस 600 रूपये प्रोत्साहन राशि मिलती है। दूसरी तरफ केंद्र प्रभारी एएनएम नेहा पटेल का कहना है कि प्रतेक गर्भवती महिला से सुविधा शुल्क की मांग आशा वर्करों द्वारा की जाती है। उन्होंने इसकी जांच की है जिसमें शिकायतें सही पाई गई हैं। आशा वर्कर पूरा विजिट भी नहीं करती हैं। सम्भावित कार्यवाही से बचने के लिये आशा वर्कर मुझ पर झूठा आरोप लगा रही हैं।
चिलौआ का उप केंद्र बना असामाजिक तत्वों का अड्डा -
कहने को यह मातृ-शिशु परिवार कल्याण उपकेंद्र है लेकिन इसके परिसर में बड़ी बड़ी घास तथा झाड़ियां उगी हुई है। सभी कमरों तथा शौचालय की फर्श तथा टाइल टूटे पड़े हैं। किसी कमरे में भी दरवाजे, विंडो तथा रोशनदान नहीं हैं। इसकी पेयजल टंकी व पाइप सभी गायब हो चुके हैं। उपेंद्र का मुख्य गेट भी टूटा पड़ा है, इसकी कोई मरम्मत नहीं करा रहा है। लेकिन इसकी ऊपरी रंगाई पुताई करा दी जाती है। इस स्थिति के चलते उपकेंद्र पर एएनएम तथा आशा वर्कर बैठती नहीं है और वहाँ पर असामाजिक तत्वों की उपस्थिति बनी रहती है तथा छोटे बडे जानवर घूमते रहते हैं।