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कानाफूसी - शहर में प्रतिदिन खेला जा रहा है करोड़ों रुपये का जुआ

29 अक्‍टूबर 2018 (Suraj Verma).  वैसे तो हमको किसी के फटे में टांग घुसाने की आदत नहीं है लेकिन आप इतना पूछ रहे हैं तो बताये देते हैं। शहर में प्रतिदिन करीब एक करोड़ रुपये का जुआ खेला जा रहा है। एक दर्जन से अधिक स्थान जुए के अड्डे के रूप में अपनी स्‍थायी पहचान बना चुके हैं। इनमें से कई रिहाइशी इलाके में हैं, जहां जुआरियों की रात-दिन की धमाचौकड़ी से आसपास का जनजीवन प्रभावित हो रहा है। स्थानीय लोगों द्वारा वरिष्‍ठ पुलिस अधिकारियों तक को इसकी सूचना कई बार दी गई है, पर पुलिस की ओर से इस अवैध कारोबार के खिलाफ हाल-फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसके चलते पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध बनी हुई है।


जानकारी के अनुसार दीपावली के समय जुए का खेल चरम पर होता है, पर यहां तो हर रात 'दीवाली' मन रही है। सुरक्षित और संरक्षित अड्डों पर 10 से 20 लाख रुपये प्रतिदिन का खेल होता है, जबकि छोटे अड्डों पर एक से पांच लाख रुपये का खेल चलता है। इनमें से अधिकतर अड्डे दुर्गापूजा के वक्त शुरू हुए थे जो अब तक जारी हैं। सूत्रों की माने तो शहर के बीच स्थित एक पॉश इलाके में चल रहे जुए के अड्डे शाम ढलते ही गुलजार हो उठते हैं। शराब एवं कबाब का यहां भरपूर इंतजाम रहता है, जबकि खास मौकों पर 'शबाब' भी उपलब्‍ध कराया जाता है। इन जुआरियों में इलाके के छंटे हुए बदमाश भी होते हैं और कुछ सफेदपोश भी। 

सूत्रों की माने तो कुछ पुलिस वालों का भी यहां आना-जाना लगा रहता है। पूर्व प्रधानमंत्री के नाम वाले एक मोहल्‍ले में जुए का मुख्य अड्डा है। यह मकान एक नामचीन जुआरी का बताया जाता है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यहां सुबह औऱ शाम होते ही लोग जुटने लगते हैं। नीचे रूम में दारू व नानवेज तथा ऊपर के कमरे में जुआ और सिगरेट के धुएं के बीच सुबह होने तक दांव पर दांव लगते हैं। जुआरियों के लिए खाना यहां एक नामचीन होटल से मंगाया जाता है। यहां बाहर के इलाके से भी जुआरी आते हैं। 

स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पर होने वाले शोर से आस-पास के लोगों की नींद हराम हो जाती है। यहां प्रतिदिन 10 से 20 लाख रुपये का खेल होता है। सूत्रों के अनुसार यहां जुए का धंधा चलाने में दस के करीब लोग सक्रिय हैं। लोग तो यह भी कहते हैं की पुलिसिया कार्रवाई ना हो इसके लिये प्रतिमाह पांच लाख की भेंट चढ़ाई जाती है। स्‍थानीय लोगों की माने तो मतैया नाम का आदमी इस पूरे खेल का सरगना है जो थाने से लेकर अधिकारी त‍क सभी को मैनेज करने का दावा करता फिरता है। लेकिन इस सबसे हमें क्‍या लेना देना ? वो तो यूं ही आप पूछ रहे थे तो बता दिया, वर्ना हम तो किसी के फटे में टांग नहीं घुसाते हैं.