Breaking News

डिप्रेशन के चलते कारोबारी खत्म कर रहे हैं जिंदगी

कानपुर 24 दिसम्‍बर 2018 (सूरज वर्मा). नोटबंदी और जीएसटी के चलते कारोबार में घाटा होने के चलते कारोबारी डिप्रेशन में आ गए हैं और सुसाइड कर अपनी जिंदगी खत्म कर रहे हैं। चार दिन पहले गंगा बैराज में व्यापारी ने छलांग लगी दी, जिनका शव अभी तक नहीं मिला। सोमवार को काकादेव थानाक्षेत्र साईं स्पर्श अपार्टमेंट निवासी कारोबारी ने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी। परिजनों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज जांच शुरू कर दी। 



परिजनों ने बताया कि मृतक कारोबार में घाटा होने के चलते पिछले कई दिनों से डिप्रेशन में थे और घर में ज्यादा किसी से बात नहीं करते थे। फांसी लगाकर दे दी जान काकादेव में थाने के पीछे साईं स्पर्श अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल के फ्लैट में दवा व्यापारी पंकज नैथानी (40) परिवार के साथ रहते थे। उनकी बिरहाना रोड पर फार्म डिस्ट्रीब्यूटर नाम से फर्म है। पत्नी हर्षा, दो बेटे युवराज और अयान हैं। हर्षा के मुताबिक पंकज पिछले पांच साल से व्यापार को लेकर डिप्रेशन में रहते थे और रात में नींद की दवा भी खाते थे। सोमवार सुबह बड़ा बेटा स्कूल चला गया और वह छोटे बेटे अयान को लेकर करीब साढ़े दस बजे स्कूल चली गई थी। दोपहर बाद लौट कर आईं तो पति को कमरे में चादर से फांसी के फंदे से लटकता देखा। 

घटना की जानकारी होते ही अपार्टमेंट में सनसनी फैल गई। आसपास के फ्लैट में रहने वाले पड़ोसी व लोग बाहर आ गए। घाटे के चलते थे परेशान पंकज की पत्नी हर्षा ने बताया कि नोटबंदी के बाद कारोबार में घाटा लगा था। पैसे को लेकर कर्मचारियों ने जॉब छोड़ दिया था। इसके बाद जीएसटी ने उनकी कमरतोड़ दी। कारोबार में घाटे के चलते वो डिप्रेशन में थे और नींद की गोलियां खा रहे थे। पत्नी के मुताबिक सुबह के वक्त उन्होंने सिर्फ चाय पी थी। इसके बाद वो घर के बाहर नहीं निकले और अपने कमरे में चले गए। वहीं मामले पर काकादेव इंस्पेक्टर राजीव सिंह घटनास्थल पर पहुंचे और पूछताछ की। उन्होंने बताया कि मौके पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, आत्महत्या के कारणों का पता किया जा रहा है। परिजनों ने कारोबार में घाटे की वजह बताई है। पुलिस हर पहलू पर जांच कर रही है। 

गंगा में लगा दी छलांग काकादेव के पांडु नगर में रहने वाले केमिकल कारोबारी नवीन सिंघल (50) ने शुक्रवार सुबह गंगा में छलांग लगा कर जान दे दी थी। पुलिस ने शव को बरामद करने के लिए दो दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, लेकिन कामयाबी नहीं मिली। नवीन सिंघल रनिया में केमिकल फैक्टरी चलाते थे। कुछ समय से उनका कारोबार ठीक नहीं चल रहा है। तीन माह पूर्व फैक्टरी में बॉयलर फटने से काफी नुकसान भी हो गया था। उनके भाई अतुल ने बताया कि जीएसटी व प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी आए दिन उन्हें परेशान करते थे। कंपनी मुनाफे के बजाए घाटे में चल रही थी। कर्मचारियों का वेतन तक नहीं निकल रहा है। एक सप्ताह पहले प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने छापा मारा था। जिसके कारण वो काफी नाराज थे और घर में आकर फूट-फूट कर रोए। इसी के बाद वो डिप्रेशन में चले गए और खाैफनाक कदम उठा लिया। 

नोटबंदी-जीएसटी ने कर दिया बर्बाद व्यापारी नेता उमंग अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस दिन नोटबंदी की घोषणा की उसी के अगले दिन से कारोबारियों के खराब दिन शुरू हो गई। महज दो माह के अंदर पांच सौ से ज्यादा छोटी और बड़ी फैक्ट्रियां बंद हो गई। जे.के कॉटन मिल चल रही थी। पांच सौ से ज्यादा मजदूर और सैकड़ों कर्मचारियों को दो वक्त की रोटी इसी के जरिए मिल रही थी। लेकिन नोटबंदी के बाद मिल में तालाबंदी हो गई। उमंग कहते हैं कि नोटबंदी से व्यापारी उभर नहीं पाया था कि उन्हें जीएसटी रूपी काले कानून का सामना करना पड़ा। जीएसटी के नाम पर कारोबारियों का उत्पीड़न किए जाने लगा। इसी के चलते कारोबारी आजादी के बाद से सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। सरकार को जीएसटी को खत्म कर, व्यापारियों को राहत के लिए कोई कदम उठाना चाहिए।