तीन तलाक बिल - हंगामे के बीच राज्यसभा की कार्यवाही 2 जनवरी तक स्थगित
कानपुर 31 दिसम्बर 2018. तीन तलाक बिल पर हंगामे के बीच राज्यसभा की कार्यवाही हुई। लेकिन विपक्ष इस बिल को पहले सिलेक्ट कमेटी भेजने की जिद पर अड़ा था। सरकार ने भी साफ कर दिया कि इस बिल को सिलेक्ट कमेटी नहीं भेजा जा सकता है। सरकार के इस जवाब से नाराज होकर विपक्ष ने हंगामा किया। भारी हंगामे के बीच राज्यसभा के उपसभापति ने सदन की कार्यवाही को 2 जनवरी तक स्थगित करने का फैसला किया।
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर मुस्लिम महिला विवाह अधिकार सरंक्षण विधेयक 2018 को चर्चा के लिए लाया गया। इसी दौरान अन्नाद्रमुक के सदस्य कावेरी नदी पर बांध के निर्माण का विरोध करते हुए आसन के निकट आ गए। उपसभापति हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत होने और अपने स्थानों पर लौटने की अपील करते हुए कहा कि लोकसभा चल रही है और वहां चर्चा हो रही है। लेकिन राज्यसभा में कामकाज नहीं हो रहा है।
हम अपनी भूमिका के बारे में देश को क्या संदेश देना चाहते हैं? हंगामे के बीच ही तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की और कहा कि अधिकतर विपक्षी सदस्य इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजना चाहते हैं तो सरकार इसे क्यों नहीं भेज रही। नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह एक ऐसा विधेयक है जो बहुत से लोगों के जीवन को सकारात्मक या नकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा, लिहाजा विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति में भेजकर इस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबंध में विपक्ष द्वारा प्रस्ताव भी लाया गया है।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह संसदीय परंपराओं की अनदेखी कर अधिकतर विधेयकों को स्थायी या प्रवर समिति में भेजे बिना इन्हें सीधे संसद में पारित करवाना चाहती है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक विधेयक को लोकसभा में स्थायी समिति के पास नहीं भेजा गया। आजाद ने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा एक अति महत्वपूर्ण विधेयक है और इसे प्रवर समिति में भेज कर इस पर चर्चा कराना आवश्यक है।