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मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने किया आयुर्वेद महोत्सव का शुभारंभ

कानपुर 19 जनवरी 2019 (सूरज वर्मा). आयुष मंत्रालय के आयुर्वेद महोत्सव का शुभारंभ करने कानपुर आये यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिद्धि और औषधि को एक-दूसरे का पूरक बताते हुए कहा कि आयुर्वेद के इलाज के बारे में लोगों को जागरूक करना होगा, आयुर्वेद से जुड़े हमारे विशेषज्ञों को अपना संकोच दूर कर एलोपैथी से सीधा मुकाबला करने के लिए आगे आना होगा। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप जलाकर किया गया।


मुख्यमंत्री ने कहा कि वक्त की मांग है कि जो प्रचार-प्रचार में आगे रहेगा वही आगे निकल पाएगा। मुख्यमंत्री योगी ने आज आयुर्वेद महोत्सव के मंच से ऐलान किया कि 10 करोड़ की लागत से बराबंकी के साथ ही सूबे में 100 आयुर्वेदिक विश्वविद्यालयों की नींव रखी जाएगी। इस मौके पर उन्होंने यहां मौजूद डॉक्टर, छात्र व अन्य गणमान्य लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद का हमारे देश से सदियों पुराना नाता रहा है। साधु-संत और वैद्य जटिल से जटिल रोगों का इलाज जड़ी बूटियों के जरिए करते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों से पैसे की चकाचौंध में एलोपैथ हॉवी हो गया और लोग भी इसी के जरिए अपना इजाज करवाने लगे। लेकिन अब इसे पेशे से जुड़े विशेषज्ञों को आगे आना होगा, आवुर्वेद की भी मार्केटिंग कर एलोपैथ से सीधे मुकाबला करना होगा।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर के गोरक्षपीठ में 1970 में आयुर्वेदिक कॉलेज था, उनका विचार था यहां विशुद्ध रूप से आयुर्वेद से ही इलाज हो लेकिन उस समय लोग उसे बढ़ाने में असफल रहे। इसके कारण उसे रोक दिया गया, आज वहां तीन सौ बेड का अस्पताल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आयुर्वेद विश्वविद्यालय बनाए जाएंगे। इसके लिए आगामी बजट में प्रावधान किया जाएगा। यूपी के सभी 100 स्थानों में बन रहे वेलनेस सेंटर में आयुर्वेद डॉक्टर बैठेंगे। आयुर्वेद में लोगों को अपनी रुचि दिखानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने लोगों से अपील की वो एलोपैथ के बजाए आयुर्वेद के जरिए अपना इलाज करवाएं।



आयुर्वेद महासम्मेलन में चिकित्‍सकों द्वारा मुख्यमंत्री को पंचकर्म चिकित्सा पद्धति की जानकारी दी गई। इसमें पहला वमन (उल्टी कराना), दूसरा विरेचन (दस्त कराना), तीसरा नस्य (नाक के अंदर तेल डालना), चौथा वस्ती (गुदा द्वारा औषधि डालना) और पांचवा रक्त मोक्षम (शरीर से गंदा खून बाहर करना) शामिल है। इस बीच मुख्यमंत्री ने खुद एक-एक स्टॉल पर जाकर आयुर्वेद से तैयार औषिधियों को देखा। इस मौके पर डॉक्टरों ने उन्हें एक नई पद्धति से इलाज के बारे में भी अगवत कराया। डॉक्टरों ने बताया कि यदि अंदरूनी घावों पर जोंक इस्तेमाल मरीज करें तो मात्र एक सप्ताह के अंदर घाव भर जाएगा।


कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अलावा विशिष्ट अतिथि के तौर पर केन्द्रीय आयुष विभाग मंत्री श्रीपद नाईक और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार आयुष, अभाव, सहायता एवं पुनर्वास विभाग डॉक्टर धर्म सिंह सैनी और सांसद मुरली मनोहर जोशी भी मौजूद थे। सम्मेलन में लोगों को स्थानीय स्तर पर आसानी से मिलने वाली 50 तरह की औषधियों और उनसे बीमारियों में फायदों की जानकारी दी गई। आयुर्वेद सम्मेलन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां जाने-माने आयुर्वेदाचार्य लाइफ स्टाइल डिजीज से बचाव और इलाज की जानकारी भी दे रहे हैं। प्रसिद्ध नाड़ी विशेषज्ञ वैद्य ताराचंद्र शर्मा सहित अन्य विशेषज्ञ मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया।