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पत्रकार को दबंग स्पोर्ट्स डायरेक्टर ने दी मारने की धमकी

कानपुर 27 जनवरी 2019 (महेश प्रताप सिंह). एक ओर उत्‍तर प्रदेश सरकार खेल को बढ़ावा देने व पत्रकारों की सुरक्षा के लिए प्रयासरत है वहीं दूसरी ओर उन्हीं की नाक के नीचे उच्च पदों पर अधीनस्थ अधिकारी पत्रकारों को मारने की और ठीक कराने की धमकी देने के साथ साथ भद्दी गालियां देने और विभागीय दबदबे को भी बताने से नहीं चूकते और बात यहीं तक खत्म नहीं होती है, खेल से जुड़े खिलाड़ियों को भी उनके भविष्य से संबंधित उपलब्धियों से भी वंचित करने से गुरेज नहीं करते और ऐसा ये इसलिए करते हैं क्योंकि ये लोग इनकी जेबें भरने में बाधा उत्‍पन्‍न करते हैं




जानकारी के अनुसार ग्रेपलिंग एसोसिएशन ऑफ कानपुर के सचिव सुनील चतुर्वेदी ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में आये चार खेलों में खेल ग्रेप्पलिंग के खिलाड़ियों को ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में प्रतिभाग कराने हेतु स्पोर्ट्स डायरेक्टर आफ कानपुर यूनिवर्सिटी राजेश प्रताप सिंह से मुलाकात करने उनके विभाग गये थे। पहले तो राजेश प्रताप सिंह ने खेल का नाम सुनते ही अनसुना करने लगे फिर उनसे पैसे के बिना ये कर पाना सम्भव नहीं ऐसा बोला। टरकाने का ये खेल लगातार दो दिनों तक चला, आखिर में डायरेक्टर राजेश प्रताप सिंह ने सीधे तौर पर कह दिया की मुझे तुम्हारे खेल को भेजने का कोई मन नहीं है और मैं इस खेल को नहीं जानता हूं। ग्रेप्पलिंग खेल की उपलब्धियां बताने पर और विभिन्न समाचार पत्रों में ग्रेप्पलिंग खेल से जुड़ी हुई खबरों की प्रकाशन संबंधित जानकारी व उप्लब्धियों को याद दिलाने और घूस का विरोध करने पर डायरेक्टर आफ स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी राजेश प्रताप सिंह पेशे से शहर के एक दैनिक समाचार पत्र में उप संपादक पद पर कार्यरत सुनील चतुर्वेदी पर भड़क गए और भद्दे शब्दों का प्रयोग किया, मना करने पर मारने की धमकी भी दी और विभागीय रौब दिखाते हुए कहा मैं कई पत्रकारों को पैसा देता हूँ मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे मेरी पहुंच ऊपर तक है। ऐसे ही नहीं यूनिवर्सिटी में इतने सालों से काबिज हूँ। इसका पूरा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है


पूरे देश में सोशल मीडिया में विडियो के वायरल होने पर देश के कई खेल संघों और पत्रकार संगठनों ने इस घटना की निंदा की है। पत्रकार व खेल प्रेमी पूर्ण रूप से सुनील चतुर्वेदी के पक्ष में उतर गए हैं वहीं दूसरी ओर राजेश प्रताप सिंह ने कई पत्रकारों के फोन आने पर उनसे अभद्रता से बात की और कुछ नहीं कर पाओगे की धमकी दी।


बताते चलें कि ग्रेप्पलिंग खेल भारतीय सभ्यता से जुड़े प्राचीन खेल मल्लयुद्ध की विधा पर आधारित है विगत कई वर्षों से किया खेल पूरे देश में खेला जा रहा है देश व प्रदेश के साथ साथ इससे जुड़े खिलाड़ी कई पदक जीतकर प्रदेश व देश का मान पूरे विश्व में बड़ा चुके हैं जिसको देखते हुए अभी कुछ माह पूर्व ही नीलकंठ तिवारी उत्तर प्रदेश युवा कल्याण खेल मंत्री ने प्रदेश के बच्चों को उत्तर प्रदेश उत्कृष्ट खेल सेवक सम्मान से सम्मानित किया तथा प्रधानमंत्री मोदी, राज्यवर्धन राठौर केंद्रीय खेल मंत्री, मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान, रामदास आठवले, सुषील कुमार ओलिम्पिक मेडलिस्ट, मुकेश खन्ना व कई बड़ी बड़ी हस्तियों ने इस खेल के प्रति अपना आभार प्रकट किया और शुभकामनाएं पत्र के साथ साथ सोशल मीडिया पर वीडियो भी प्रेषित की ।अब बात करते हैं सुनील चतुर्वेदी की, आर्थिक अभाव से जूझते हुए पत्रकारिता के साथ साथ वे रक्तदान जैसी मुहिम से जुड़े हैं, लगभग 35 बार रक्तदान कर चुके हैं, लगभग 20 साल से खेल से जुड़े रहने के साथ ग्रेप्पलिंग खेल का ढाई वर्षों से शहर में प्रशिक्षण दे रहे हैं। खेल से जुड़े हुए कई बच्चे जिला राष्ट्र व अंतरराष्ट्रीय स्तर  प्रतियोगिता में भाग ले कर पदक जीत कर शहर व देश का मान बढ़ा चुके हैं। बताते चले सुनील चतुर्वेदी इसके साथ साथ अंतरराष्ट्रीय रेफ़री व राष्ट्रीय कोच भी हैं। अभी जल्द ही साउथ एशियन ग्रेपलिंग चैंपियन शिप प्रतियोगिता जो भूटान में आयोजित हुई थी उसमें इन्हें भूटान नरेश के प्रतिनिधियों ने सम्मानित भी किया था।


विचारणीय है कि जब कोई नया खेल आल इंडिया यूनिवर्सिटी में शामिल किया जाता है तो सम्बंधित विश्वविद्यालय में पत्र के माध्यम से सूचना या मेल के माध्यम से सूचना दी जाती है। तदोपरान्त विश्वविद्यालय का दायित्व बनता है कि सम्बंधित खेल के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन व प्रतिभागिता हेतु विज्ञापन देना चाहिए। 2018 में ही यह खेल आल इंडिया यूनिवर्सिटी में आ गया था। लेकिन विश्वविद्यालय की लापरवाही के चलते व पैसे के लोभी लोग नए खिलाड़ियों को मौका ही नही देना चाहते।