‘सुपोषित गांव’’ के लिए चयनित 82 ग्रामों में मानकों को पूर्ण करायें अधिकारी : शम्भु कुमार
बहराइच 28 फरवरी 2019 (ब्यूरो). बुधवार की शाम कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय पोषण समिति व कुपोषण मुक्त गांवों की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी शम्भु कुमार ने निर्देश दिया कि नोडल अधिकारियों के भ्रमण के दौरान बन्द पाये गये 42 आॅगनबाड़ी केन्द्रों का पुनः सत्यापन करा लिया जाय, और सत्यापन के दौरान जो भी आॅगनबाड़ी केन्द्र बन्द पाये जाये तो सम्बन्धित को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी किया जाये।
जिलाधिकारी ने सुपोषित गांवों के लिए चयनित किये गये सभी 82 गांवों के नोडल अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रथम माह में फार्मों इत्यादि के भरवाने की कार्यवाही पूर्ण कर ली जाये। कन्वर्जेन्स विभागों स्वास्थ्य, आपूर्ति, बेसिक शिक्षा, पंचायती राज व आईसीडीएस को निर्देश दिया कि सुपोषित गाॅवों के सम्बन्ध में निर्धारित विभागीय मानकों को पूर्ण करायें।
जिलाधिकारी ने कहा कि शासन द्वारा प्रदेश में कुपोषण की रोकथाम के लिए ''सुपोषित गाॅव'' बनाये जाने का निर्णय लिया गया है जो ''कुपोषण मुक्त गाॅव'' की संकल्पना का संशोधित रूप है। कुमार ने सभी नोडल अधिकारियों को निर्देश दिया कि जनपद में सुपोषित गाॅव के लिए चिन्हित ग्रामों में शासन द्वारा निर्धारित कोर व आवश्यक मानक पर पूरा किया जाय। उन्होंने बताया कि ''कोर मानक'' आउटकम आधारित हैं तथा इनका फोकस कुपोषण तथा एनीमिया की दर में कमी लाना है। किसी भी गाॅव को ''सुपोषित गाॅव'' घोषित करने के लिए इन मानकों की पूर्ति अनिवार्य होगी। जबकि आवश्यक मानक गतिविधि आधारित होंगे तथा विभिन्न कन्वर्जेन्स विभागों से जुड़े होंगे।
जिलाधिकारी ने कहा कि कुपोषण के दृष्टिगत महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण की रोकथाम मल्टी सेक्टोरल एप्रोच से ही संभव है, इसको मद्देनज़र रखते हुए ही पूर्व में 06 विभागों के मध्य कन्वर्जेन्स का शासनादेश प्रेषित किया गया है, जिसके अन्तर्गत पोषण विशिष्ट (गर्भावस्था के दौरान देख-भाल, स्तनपान, एनीमिया, कुपोषित बच्चों/सैम/मैम बच्चों की देख-भाल) तथा पोषण संवेदनशील (स्वच्छता, रोज़गार, अतिरिक्त खाद्य पदार्थ) हस्तक्षेपों को समाहित करते हुए जनपद में कार्य किया जाना है।
जिलाधिकारी ने सभी नोडल अधिकारियों को निर्देश दिया कि ''सुपोषित गाॅव'' बनाने की कार्यवाही के तहत कोर मानक अन्तर्गत ऐसे राजस्व गांव जहां 0-5 वर्ष का कोई भी बच्चा सैम अथवा मैम (वज़न की लाल/पीली श्रेणी) की श्रेणी में नहीं आता हो तथा ऐसे राजस्व गाॅव जहाॅ 90 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने गर्भावस्था के प्रथम त्रैमास में अपना पंजीकरण कराया हो तथा आखिरी त्रैमास में 10 प्रतिशत से अधिक गर्भवती महिलाएं एनिमिया से ग्रसित नहीं हों, की पूर्ति अनिवार्य होगी। जिलाधिकारी ने सभी कन्वर्जेन्स विभागों तथा नोडल अधिकारियों को निर्देश दिया कि बेहतर समन्वय के साथ कार्य करते हुए सभी चयनित 82 ग्रामों में कोर व आवश्यक मानक को पूर्ण करायें।
बैठक का संचालन जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनील कुमार श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. ए.के. पाण्डेय, प्रभागीय वनाधिकारी बहराइच आर.पी. सिंह, जिला विकास अधिकारी राजेश कुमार मिश्र, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. मधु गैरोला, उप निदेशक कृषि डा. आर.के. सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक राजेन्द्र कुमार पाण्डेय, जिला पंचायत राज अधिकारी के.बी. वर्मा, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी एस.के. तिवारी, डीपीएम एनएचएम डा. आर.बी. यादव सहित अन्य नोडल अधिकारी, प्रभारी चिकित्साधिकारी व बाल विकास परियोजना अधिकारी मौजूद रहे।