गंगा बैराज पर पुलिस की सेटिंग से हो रहा है मछलियों का अवैध शिकार
कानपुर 17 अप्रैल 2019 (सूरज वर्मा). गंगा बैराज पर मछलियों का अवैध शिकार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आरोप है कि यहां खुद पुलिस अपनी मौजूदगी में मछलियों का शिकार करवा रही है या यूं कहें कि बैराज समेत कई स्थानों पर लोकल पुलिस की शह पर एनजीटी के आदेशों को दरकिनार कर मछलियों का अवैध शिकार किया जा रहा है।
बताते चलें कि गंगा
में बिठूर से वाराणसी तक मछलियों के शिकार पर रोक है। हर साल बड़े पैमाने
पर गंगा में रोहू, कतला, नैन आदि प्रजातियों की मछलियां मत्स्य विभाग
छोड़ता है ताकि ये मछलियां गंगा के प्रदूषण को कम करें। बावजूद इसके बिठूर
से रानी घाट तक बड़े पैमाने पर कुछ माफिया मछलियों का शिकार करा रहे हैं।
प्रतिदिन 10 से 12 क्विंटल मछली का शिकार हो रहा है। जानकारी के अनुसार कानपुर के कोहना थाना क्षेत्र स्थित गंगा बैराज पर एनजीटी के आदेशों को दरकिनार कर शिकारी अवैध रूप से मछलियों का शिकार कर रहे हैं। स्थानीय लोगों की माने तो पुलिस की शह पर पूरे मामले को अंजाम दिया जा रहा है। ये मछली शिकारी रोज खुलेआम दर्जनों नावों में सवार होकर सुबह से शाम तक मछलियों का शिकार करते हैं। आपको बता दें कि बैराज से चंद क़दमों की दूरी पर पुलिस चौकी भी स्थित है फिर भी मछली शिकारी धड़ल्ले से इस काम को अंजाम दे रहे हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि मछली शिकारी पुलिस के सामने मछलियों का शिकार करते हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी तमाशा देखती रहती है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार ये शिकारी स्थानीय पुलिस को शिकार करने के एवज में हर हफ्ते मोटा नज़राना भेंट कर रहे हैं। जिला प्रशासन की ओर से कार्रवाई न किये जाने के कारण इन शिकारियों के हौंसले और भी ज्यादा बुलंद हैं। गंगा बैराज पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की कवायद के बाद गंगा में मछली मारने वालों पर नजर रखने के लिए विभागीय लोगों को लगाया गया था, पर सभी प्रयास व्यर्थ ही रहे। शहर में गंगा नदी में अवैध मछली के शिकार को लेकर कई बार खूनी संघर्ष हो चुका है। इसी को देखते हुए पूर्व में मत्स्य विभाग की बैठक में होली के बाद निगरानी बढ़ाने की बात रखी गई थी। दूसरी तरफ ऐसे क्षेत्रों के थानों को भी अलर्ट रहने को कहा गया था। दबाव के चलते पुलिस ने शिकंजा कसते हुए गंगा बैराज में मछली मारने वाले शिकारियों को कई बार गिरफ्तार कर जेल भेजा, फिर भी मछली का अवैध शिकार रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
इसी तरह कटरी क्षेत्र के साथ महाराजपुर, कोहना व नवाबगंज पुलिस ने अवैध शिकार करने वालों की धरपकड़ के लिए तमाम दिखावटी प्रयास किये जो किसी काम नहीं आये। वहीं मत्स्य विभाग ने मछली पकड़ने का ठेका लेने वालों के साथ विभागीय लोगों को निगरानी के लिए लगा दिया है। बताते चलें कि गंगा बैराज की तमाम संदिग्ध गतिविधियों को देखते हुए यहां सीसीटीवी कैमरे लगाने की कवायद शुरू की गयी थी जो किसी काम की साबित नहीं हुई।
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के हाल का आकलन तो समाचारों की सुर्खियों को देख कर लगाया जा सकता है। लेकिन यदि कानपुर की पुलिस की व्यवस्था को देखना है तो शहर में घुसते ही गंगा बैराज पर आकर आपको सब पता लग जाएंगा। यहां पुलिस को जेब भरने से मतलब दिखता है। सरकारी धन का नुकसान होता है तो होता रहे। गंगा बैराज पर इन दिनों कोहना थाने की पुलिस खुद अपने डंडे के बल पर अवैध रूप से मछली पकड़ने के कारोबार को चलवा रही है। हालांकि वैसे तो गंगा को छोड़कर दूसरी नदियों में मछली पकड़ने का बकायदा ठेका निकलता है लेकिन गंगा में मछली पकड़ने पर रोक लगी है। लेकिन जब पुलिस का हाथ माफिया के सिर पर हो तो सारे गलत काम भी सही हो जाते हैं।
सूत्र बताते हैं कि यदि पुलिस सारे उगाही के काम खुद करने लगेगी तो लोगों की उंगलियां उठने में देर नहीं लगेगी और अपने इसी अनुभव के चलते यहां पुलिसवाले क्षेत्र के एक दबंग को इस तरह के अवैध काम की वसूली का कार्यभार सौंपते हैं। गंगा बैराज पर जैसे ही आप कदम रखते हैं मछली पकड़ने की दर्जनों नावें बिना किसी भय और डर के गंगा से मछली पकड़ने का काम करती नजर आ जाएंगी।
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