दलितों और पिछड़ों ने प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन को नकार दिया
लखनऊ 24 मई 2019 (महेश प्रताप सिंह). दलित और पिछड़े वर्ग के बुद्धिजीवियों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है कि दलितों और पिछड़ों ने प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन को नकार दिया है। इसका मुख्य कारण है कि सपा-बसपा के मुखिया केवल अपनी-अपनी जाति के नेता बनकर रह गए हैं।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) के सीनियर प्रोफेसर और दलित चिंतक डॉ. मुनीश कुमार बताते हैं कि मायावती और अखिलेश अपनी पार्टी का मूल मंत्र भूल चुके हैं। मायावती जो पहले बहुजन समाज की नेता हुआ करती थीं, वो अब केवल जाटव जाति की नेता बनकर रह गई हैं वहीं अखिलेश जिनको पिछड़ों का नेतृत्व करना चाहिए था, वह केवल यादव जाति के नेता बनकर रह गए हैं। इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी ने उठाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुजन और पिछड़ों की सभी जातियों को पार्टी से जोड़ा और विजयी हुयी।
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