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दरवाजा तो खोल कि अंदर आने दे, रपट लिखवाने दे

कानपुर 09 अगस्‍त 2019 (सूरज वर्मा). जिले में इन दिनों निरन्‍तर बढ़ते अपराध के मामले सुर्खियां बटोर रहे हैं। ऐसे में कानपुर पुलिस की एक हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है। दरअसल, तस्वीर कानपुर के थाना कोहना की आर्यनगर पुलिस चौकी की है, इलाकाई लोगों का आरोप है कि इस पुलिस चौकी का दरवाजा अकसर बन्‍द रहता है और फरियाद‍ियों को पुलिस सहायता उपलब्‍ध नहीं हो पाती है। 


 

आसपास के लोगों का कहना है कि यहां पर तैनात पुलिस कर्मियों का कुछ पता नहीं रहता है और ऐसे में उनको अपनी शिकायत लेकर कोहना कोतवाली जाने के अलावा कोई चारा नहीं बचता है। शुक्रवार सुबह ली गई तस्वीर में भी पुलिस चौकी में कुंडी लगी मिली और पुलिसकर्मी वहां से गायब थे।


शहरवासी खैरियत मनाएं कि उनके साथ सब कुछ ठीक रहे। क्याेंकि शहर की पुलिस न तो उनकी सुनने वाली है और न ही शिकायत दर्ज करने वाली है। चाेरी, लूट या हादसे की स्थिति में जहां सबसे पहले जनता राहत की उम्मीद करे उन पुलिस चाैकियाें के दरवाजे बंद रहते हैं। कहने काे पुलिस के सिस्टम में थानाें में स्टाफ की रात्रि ड्यूटी भी तय है और गश्त भी, पर असलियत क्‍या है ये तो जगजाहिर है।


एैसा नहीं है कि वर्तमान में चौकियों की उपयोगिता समाप्त हो गई है। सच्चाई यह है कि आबादी बढऩे के साथ चौकियों की उपयोगिता बढ़ी है। दरअसल, चौकियों की स्थापना थानों के सहयोग व आमजन को त्वरित रेस्पांस देने के लिए की गई थी। पुलिस का भी मानना था कि घटना के बाद कई बार थाने से पुलिस के पहुंचने में देरी हो जाती है। एैसे में ये चौकियां अपराधों की रोकथाम में काफी सहायक रहती हैं। इसके अलावा चौकियों पर आमजन की आवाजाही होने से पुलिस को भी क्षेत्र के एक-एक व्यक्ति की पहचान रहती है। परन्‍तु चौकियों में पुलिसकर्मियों के नहीं बैठने से लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए थानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।



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