उप चुनाव - क्या होती है जमानत राशि और कब होती है जब्त ?
कानपुर 25 सितम्बर 2019 (सूरज कश्यप). जिले में विधानसभा उपचुनाव 2019 का शंखनाद हो चुका है और उम्मीदवार चुनाव में नामांकन दाखिल कर रहे हैं। चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया के दौरान सबसे अहम चीज होती है जमानत राशि। साथ ही अक्सर सुना जाता है कि किसी उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई है, ऐसे में जानते हैं कि आखिर यह जमानत राशि क्या होती है, कितनी राशि होती है और यह कब जब्त होती है ???
किसी भी चुनाव में जब प्रत्याशी चुनाव लड़ता है तो पर्चा भरते वक्त उसे एक निश्चित रकम जमानत के तौर पर चुनाव आयोग में जमा करनी होती है, इसी राशि को चुनावी जमानत राशि कहते हैं। यह राशि कुछ मामलों में वापस दे दी जाती है अन्यथा आयोग इसे अपने पास रख लेता है।
जमानत राशि हर चुनाव के आधार पर तय की जाती है और चुनाव के आधार पर अलग अलग होती है. पंचायत के चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक जमानत राशि अलग अलग होती है. यह राशि सामान्य वर्ग के लिए और आरक्षित वर्ग के लिए अलग अलग होती है। एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को जनरल वर्ग के उम्मीदवारों के मुकाबले अलग राशि देनी होती है।
पार्षद चुनाव के लिए जमानत राशि -
चुनाव के दौरान जनरल वर्ग के उम्मीदवार को 5000 रुपए और आरक्षित उम्मीदवार को 2500 रुपए की राशि जमानत के तौर पर जमा करनी होती है.
विधानसभा चुनाव के लिए जमानत राशि -
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34(1)(ए) के अनुसार विधानसभा चुनाव में जनरल वर्ग के उम्मीदवारों को 10 हजार रुपये और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार को 5 हजार रुपये जमा करने होते हैं।
लोकसभा चुनाव के लिए जमानत राशि -
लोकसभा चुनाव में दावेदारी प्रस्तुत करने जा रहे जनरल वर्ग के उम्मीदवारों को 25 हजार रुपये और एससी-एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 12,500 रुपये फीस जमा करनी होती है. 2009 से पहले जनरल वर्ग के लिए यह राशि 10 हजार रुपये और एससी-एसटी उम्मीदवार के लिए 5 हजार रुपये थी।
कब जब्त होती है जमानत -
जब कोई प्रत्याशी किसी भी चुनाव क्षेत्र में पड़े कुल वैध वोट का छठा हिस्सा हासिल नहीं कर पाता है तो उसकी जमानत राशि जब्त मानी जाती है और नामांकन के दौरान दी गई राशि उन्हें वापस नहीं मिलती है। जैसे अगर किसी सीट पर 1 लाख लोगों ने वोट दिया है और उम्मीदवार को 16666 से कम वोट हासिल हुए हैं तो उसकी जमानत जब्त हो जाएगी.
किसे वापस मिलती है जमानत राशि -
जब किसी उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो जाता है या वह अपनी उम्मीदवार वापस ले लेता है तो यह राशि लौटा दी जाती है। अगर कोई उम्मीदवार छठे हिस्से जितना वोट हासिल नहीं कर पाता है और चुनाव जीत जाता है तो उन्हें भी राशि दे दी जाती है.
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