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नवंबर 2021 से कानपुर में चालू हो जायेगी मेट्रो



कानपुर. आइआइटी से मोतीझील तक मेट्रो 2022 में नहीं बल्कि नवंबर 2021 तक दौड़ने लगेगी. यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एम.डी कुमार केशव ने आज कहा कि इस बात की पूरी कोशिश है कि पहले चरण का काम सितंबर 2021 तक खत्म कर दिया जाए और आइआइटी से मोतीझील तक नवंबर से मेट्रो दौड़ने लगे.


मेट्रो के निर्माण की आधारशिला रखने से पहले यूपी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एम.डी कुमार केशव खासे उत्साहित नजर आए. उनका उत्साह इस बात को लेकर और ज्यादा था कि कई वर्षों की कवायद के बाद अंतत: अब कानपुर में मेट्रो के निर्माण का काम शुरू होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि पहले चरण में मेट्रो दौड़ाने के लिए कोई बाधा नहीं है. जमीन और धन से जुड़ी सभी दिक्कतें खत्म हो चुकी हैं. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने भी लोन की स्वीकृति प्रदान कर दी है.


सवा साल में पूरे कॉरीडोर पर शुरू होगा काम -
कुमार केशव ने कहा कि ​आज से निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. इसके बाद तेजी से काम होगा. सवा साल के अंदर पूरे कॉरीडोर पर काम शुरू हो जाएगा. उन्होंने बताया कि पहला कॉरीडोर आइआइटी से नौबस्ता तक होगा. 23.8 किलोमीटर लंबे इस कॉरीडोर में मोतीझील के बाद झकरकटी तक आठ स्टेशन अंडरग्राउंड बनेंगे. इसी तरह दूसरे कॉरीडोर में सीएसए से बर्रा आठ तक चार अंडरग्राउंड स्टेशन बनेंगे.


लोन को लेकर यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक से चल रही बात -
उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के बाद अब यूरोपियन इंवेस्टमेंट बैंक से लोन लेने पर बातचीत चल रही है. इस बैंक ने लखनऊ मेट्रो को लेकर भी लोन दिया था. स्थानीय निकायों से मिलने वाले अंशदान पर बोले कि पांच साल प्रोजेक्ट चलना है. स्थानीय निकाय अपने हिस्से का 350 करोड़ का अंशदान जरूर देंगे. गौरतलब हो कि स्थानीय निकाय के अंशदान में केडीए को 100 करोड़ की धनराशि देनी थी लेकिन बाद में उसने इनकार कर दिया था हालांकि यू.पी मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के एम.डी ने आशा जताई है कि इसको लेकर कहीं कोई दिक्कत नहीं आएगी.


2024 तक पूरा हो जाएगा प्रोजेक्ट -
उन्होंने बताया कि इस बात की पूरी कोशिश है कि पहले चरण में नवंबर 2021 से मेट्रो चलने लगे. इसके बाद अगले तीन सालों में दोनों कॉरीडोर पर तेजी से काम होगा. 2024 तक प्रोजेक्ट को पूरा करने के प्रयास हैं. उन्होंने कहा कि जहां पर सड़क ज्यादा चौड़ी नहीं है, वहां पर कोशिश इसी बात की है कि पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाकर मेट्रो से जुड़े निर्माण किये जाएं.


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